कभी-कभी अभिनेता के रील और रियल लाइफ़ में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं होता है. वो जो पर्दे पर होते हैं, ठीक वैसे ही असल ज़िंदगी में होते हैं. मिलिये मुंबई के उस पुलिस इंस्पेक्टर से जो रील लाइफ़ और रियल लाइफ़ दोनों में आपराधिक मामले सुलझाता है. 34 वर्षीय लीलाधर पाटिल वर्ली पुलिस स्टेशन में Detection (खोज) अधिकारी हैं.
लीलाधर को पुलिसिंग और अभिनय दोनों से ही बहुत प्रेम है. इसलिये वो पुलिस की जॉब करने के साथ-साथ अभिनय से भी जुड़ गये. हांलाकि, टीवी पर पुलिस का किरदार निभाने के लिये राज्य के गृह विभाग से स्पेशल अनुमित लेनी पड़ी थी. वो अपने काम के प्रति इतने ईमानदार हैं कि अपराध के मामलों को सुलझाने के लिए लगभग 120 बार अवॉर्ड से नवाज़े जा चुके हैं. काम के प्रति उनकी इसी लगन को देखते हुए उन्हें कई फ़िल्मों और सीरियल के ऑफ़र आ रहे हैं. फ़िलहाल ‘वो तेरा यार हूं मैं’ और ‘क्राइम पैट्रोल’ जैसे धारावाहिकों में नज़र आ चुके हैं.
कैसे जागा एक्टिंग का शौक़?
अभिनय के लिये उनकी ये दीवानगी देख उनके आधिकारियों ने भी उनका सहयोग दिया. इसके साथ ही लीलाधर ने भी अपने साथियों से वादा किया कि वो अभिनय की वजह से कभी अपने ड्यूटी पर आंच नहीं आने देंगे. नवंबर के पहले सप्ताह में महाराष्ट्र नगरी सेवा अधिनियम, 1979 के तहत गृह विभाग ने उन्हें अभिनय करने की छूट दी.
लीधाधर के पिता जलगांव में ठेका मज़दूर के रूप में काम करते थे. पैसों की कमी की वजह से उन्होंने पढ़ाई के लिये भी काफ़ी संघर्ष किया. इसलिये उन्हें वेफ़र कंपनी में काम करके अपनी शिक्षा पूरी करने का फ़ैसला लिया. कमाल है. एक जुनून आपको कहां से कहां तक पहुंच सकता है न.