जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानी जेआरडी टाटा का नाम सुनते ही देश के पहले कमर्शियल पायलेट और एयर इंडिया की तस्वीर ज़ेहन में उभर आती है. आधुनिक भारत की औद्योगिक बुनियाद रखने वाले उद्योगपतियों में उनका नाम सुनहरे अक्षरों लिखा जाता है. यही नहीं, उन्होंने अपने जीवन में बहुत से ऐसे काम किए, जो हर किसी के लिए प्रेरणादायी हैं. आज उनकी जन्मतिथी है, ऐसे में उनके कुछ प्रेरक किस्सों की याद आना लाज़मी है.
अपने कुशल नेतृत्व क्षमता से जेआरडी ने टाटा सन्स को देश के अग्रणी घरानों में शामिल कराया था. इसके साथ ही कर्मचारियों के कल्याण के लिए भी कई सराहनीय कदम उठाए. देश में कॉरपोरेट कंपनियों और कारखानों में आज जो 8 घंटे कार्य, मुफ्त चिकित्सा सहायता, और दुर्घटना मुआवज़ा देने जैसी सारी योजनाएं देखने को मिलती हैं, उन्हें सबसे पहले जेआरडी टाटा ने ही शुरू किया था. इन सारी योजनाओं को बाद में भारत सरकार ने भी अपनाया और पूरे देश में लागू किया.
देश हित था सर्वोपरी
जेआडी टाटा शुरुआत से ही उस काम करने की सोचते थे, जिसमें देशहित पहले हो. उनके लिए देश पहले था और बाकी चीज़ें बाद में. इसलिए जेआरडी ने कभी ये नहीं सोचा कि जिस उत्पाद से कंपनी को अधिक मुनाफ़ा मिल रहा है, उन्हें उसका अधिक से अधिक उत्पादन करना चाहिए.
वो हमेशा से ही इसी बात पर जोर देते थे कि ऐसी वस्तुओं और उत्पादों का निर्माण किया जाए,जिसकी आवश्यकता अपने देश को अधिक है. जेआरडी अमेरिका के मशहूर इस्पात उद्योगपति एंड्रयू कारनेगी के विचारों से प्रेरित थे.
कारनेगी की सोच थी कि एक धनी व्यक्ति को सीधे-साधे ढंग से बिना दिखावे के रहना चाहिए और अपनी कमाई को लोगों में बांटना चाहिए. इसी नज़रिये से प्ररित थे जेआरडी टाटा, जिन्होंने देश की पहली विमान सेवा, इस्पात उद्योग, इंज़ीनियरिंग और होटल जैसे व्यवसायों से भारत का विकास किया और आखिर में अपनी पूरी संपत्ति टाटा सन्स के नाम कर दी.
भारत रत्न से किए गए थे सम्मानित
समाज और देश के विकास में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1992 में भारत रत्न से नवाज़ा था. उनका सपना था कि हमारा देश तरक्की तो करे ही, इसके साथ ही खु़ुशहाली के पैमाने पर भी अव्वल रहे. तरक्की के रास्ते पर आज हम हैं ही, बस लोगों को खु़शहाल बनाना बाकी है. उम्मीद है कि बहुत जल्द हम इस पैमाने पर भी खरे उतरेंगे.
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