हम इंसानों की तरह, मुसीबत के वक़्त चींटियां भी लेती हैं अपने दोस्तों की मदद

Rashi Sharma

क्या आप जानते हैं कि इंसानो की तरह चींटियों ने भी अपना एक इमरजेंसी नंबर बना लिया है. जी हां, चीटियां भी आपातकालीन सेवा की तरह ही मुसीबत में एक-दूसरे का साथ देती हैं.

india

वैज्ञानिकों ने एक ख़ास तरह की चींटियों की खोज की है, जिनका नाम African Matabele Ants है, ये चीटियां अक्सर अपने की ताकतवर शिकार से लड़ाई के दौरान घायल होने पर अपनी साथी चींटियों से मदद मांगती हैं. इसलिए वैज्ञानिकों का दावा है कि इन चींटियों ने अपना आपातकालीन नंबर बन लिया है, जिसकी सहायता से वो मुसीबत के समय मदद के लिए बाकी चींटियों को बुला सकती हैं.

इसके अलावा वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि African Matabele चींटियां उस समय भी इस सेवा का इस्तेमाल करती हैं, जब उनपर किसी तरह के केमिकल का छिड़काव किया जाता है.

African Matabele चींटियां खासतौर से दीमक का शिकार करती हैं और उनसे मुकाबला करते हुए कई बार घायल हो जाती हैं.

कुछ कीड़ों में एक तरह का SOS सिन्नल होता है, जिसके बारे में इससे पहले पता नहीं था. रिसर्चर्स ने अपने शोध में पाया है कि जान भी ये कीड़े, जैसे कि चींटियां जब किसी मुसीबत में होती हैं, तो वो अपने साथियों को इसकी सूचना देने के लिए एक खास तरह के पदार्थ निकालती हैं.

इससे उस साथ की बाकी चीटियों को एक गंध आ जाती है और वो सभी अपनी घायल साथी के पास तेज़ी से पहूंच जाती हैं और फिर उसको उठाकर उसको मांद (चींटी का घर) तक ले जाती हैं, ताकि वो फिर से ठीक हो सके. ज़्यादातर घायल चींटी के शरीर पर बुरी तरह से दीमक चिपक जाती है.

ये African Matabele प्रजाति की चींटियां सहारा के दक्षिणी क्षेत्रों में अधिक पायी जाती हैं. ये एक दिन में करीब चार बार बहुत बड़े झुण्ड के साथ दीमक के घरों पर हमला करती हैं.

जर्मनी की University of Wurzburg के शोधकर्ताओं ने उनकी इस चालाकी या यूं कह लें कि उनकी ‘एम्बुलेंस’ को पहली बार देखा था. इस University के पीएचडी स्टूडेंट, Erik Frank का कहना है, ‘पहली बार हमने चींटियों में एक-दूसरे की मदद करने वाले व्यवहार पर गौर किया था. वास्तव में जानवरों में ही ऐसा पहली बार देखा गया था. यह एक अप्रत्याशित खोज थी – खासतौर पर जहां इंसानों में इस तरह की भावना देखने को कम ही मिलती है, वहां कीड़ों में ये व्यवहार मिलना अद्भुत था.’

चींटियों के बारे में शोधकर्ताओं के ये निष्कर्ष साइंस एडवांस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं.

Feature Image Source: wordpress

आपको ये भी पसंद आएगा
बेवफ़ा समोसे वाला: प्यार में धोखा मिला तो खोल ली दुकान, धोखा खाये लवर्स को देता है डिस्काउंट
जानिये दिल्ली, नई दिल्ली और दिल्ली-NCR में क्या अंतर है, अधिकतर लोगों को ये नहीं मालूम होगा
जानिए भारत की ये 8 प्रमुख ख़ुफ़िया और सुरक्षा जांच एजेंसियां क्या काम और कैसे काम करती हैं
मिलिए गनौरी पासवान से, जिन्होंने छेनी व हथोड़े से 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां
ये IPS ऑफ़िसर बेड़िया जनजाति का शोषण देख ना पाए, देखिए अब कैसे संवार रहे हैं उन लोगों का जीवन
अजय बंगा से लेकर इंदिरा नूई तक, CEO भाई बहनों की वो जोड़ी जो IIM और IIT से पास-आउट हैं