ईरान को किसी समय उदार इस्लामी धर्मावलम्बियों वाले देश के रूप में देखा जाता था. वर्तमान में वैश्विक राजनीतिक स्वार्थों ने इस शानदार और रुहानी देश को बहुत हद तक बदल डाला है. लेकिन आज भी इस देश में कई सुकून भरे दृश्य देखने को मिल जाते हैं.
ऐसे ही कुछ नायाब दृश्य यहां की शाह चिराग मस्जिद में देखने को मिल जायेंगे. यह धार्मिक इमारत मज़ार और मस्जिद का संगम है, जो कि ईरान के शिराज़ में स्थित है. इस मस्जिद का नाम अपने आप में लाजवाब है, शाह चिराग का शाब्दिक अर्थ होता है, ‘रौशनी का बादशाह’.
यह नाम इसे यूं ही नहीं मिला है, इस मस्जिद को बाहर से देखने पर यह जितना साधारण नज़र आती है, अंदर जाने पर यह उतनी ही आलौकिक छटा बिखेरने लगती है.
काफ़ी दिलचस्प है इस मस्जिद का इतिहास
एक प्राचीन कथा के अनुसार 9वीं शताब्दी में एक राहगीर को इस जगह पर कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया. जब उसने अच्छी तरह से इस जगह की छानबीन करी, तो उसे यहां एक कब्र दिखाई दी. इसके बाद से यह स्थान शिया मुस्लिमों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनता गया.
समय के थपेड़ों को सहते हुए भी यह आलीशान इमारत अपने पूरे रुआब के साथ आज भी खड़ी है. इसके अंदर फैली जन्नतनुमा रौशनी को देखने के लिए पूरी दुनिया से यहां पर्यटक आते रहते हैं.
1. यह इमारत समुद्र के ठहरे हुए पानी की तरह शान्त और सरल नज़र आती है.
2. यहां अंदर आते ही इबादत में सिर अपने आप झुक जाते हैं.
3. यहां ज़र्रा-ज़र्रा एक रुहानी रौशनी में डूबा नज़र आता है.
4. इसे देख कर लगता है, फरिश्तों ने ख़ुद अपने हाथों से इसे तराशा है.
5. दिल करता है, इस नजारे को बस देखते और देखते ही रहें.
6. यहां इबादत किसी नगमे की तरह बहती नज़र आती है.
7. ऐसा लग रहा है, ख़ुदा ने आसमान से तारे तोड़ कर इसकी दिवारों में जड़ दिए हों.
8. मस्जिद का हर कोना हरियाली रौशनी में नहाया नज़र आता है.
9. वैसे तो ख़ुदा हर जगह मौजूद है, लेकिन फिर भी यहां उसकी कुछ ख़ास ही नेमत बरसती है.
10. ये नज़ारे हर दिन ईद होने का एहसास कराते हैं.
इश्क मिज़ाजी में माशूक अकसर अपने दिल अज़ीज को कहता है कि तुझे ज़रुर फरिश्तों ने बनाया होगा. हमें माशूक का तो इल्म नहीं लेकिन इस मस्जिद में फैले रुहानी आलम को देख कर ज़रुर कह सकते हैं, ‘इसे फरिश्तों ने खुदा के साथ मिल कर तराशा होगा’.