इतिहास का वो सबसे छोटा और रोचक युद्ध, जो महज़ 38 मिनट में ही समाप्त हो गया था

Akanksha Tiwari

‘युद्ध’

ये शब्द सुनते ही आंखों के सामने भयानक मंजर छा जाता है. हमारे इतिहास में कई युद्ध ऐसे हुए हैं, जिनकी आज भी चर्चा होती है. इन्हीं में एक इंग्लैंड और ज़ांज़ीबार के बीच लड़ा गया युद्ध भी है. इसे इतिहास का सबसे छोटा युद्ध भी कहा जाता है.

News18

क्यों और कैसे हुई युद्ध की शुरुआत?

1896 में ज़ांज़ीबार और इंग्लैंड के बीच शुरु हुई वॉर महज़ 38 मिनट में समाप्त हो गई थी. इंग्लैंड की मज़बूत रणनीति और सैनिक बल की शक्ति देखते हुए ज़ांज़ीबार ने युद्ध की शुरुआत होते ही इंग्लैंड के सामने घुटने टेक दिये, जिससे ये जंग वहीं समाप्त हो गई. कहा जाता है कि 1890 में ज़ांज़ीबार को लेकर ब्रिटेन और जर्मनी के बीच संधि पर हस्ताक्षर किये गये. इस संधि के माध्यम से ब्रिटेन पूर्वी अफ़्रीका में अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था और यही वजह थी कि उसे ज़ांज़ीबार की सत्ता सौंप दी गई. इसके साथ ही तंज़ानिया के भूभाग जमर्नी के पास आ गए.

News18

वहीं 1893 ज़ांज़ीबार की देख-रेख का ज़िम्मा हमद बिन तुवानी को सौंप दिया गया और करीब 3 साल तक उन्होंने काफ़ी शांतिपूर्ण तरीके से वहां शासन किया. 25 अगस्त 1896 को तुवानी की मौत हो गई, इसके कुछ ही समय बाद तुवानी के भतीजे ख़ालिद बिन बर्गश ने ख़ुद को ज़ांज़ीबार का सुल्तान घोषित कर दिया. ऐसा माना जाता है कि सत्ता के लोभ में आ कर ख़ालिद ने तुवानी को ज़हर दे कर मार दिया था.

News18

ख़ालिद के सुल्तान बनने से ब्रिटेन के अधिकारी बिल्कुल ख़ुश नहीं थे, जिस वजह से चीफ़ डिप्लोमैट बेसिल केव ने ख़ालिद को सुल्तान पद से हटने का निर्देश सुनाया. पर ख़ालिद ने चीफ़ का आदेश मनाने के बजाए करीब 3000 हज़ार सैनिकों को हथियार के साथ महल की सुरक्षा में खड़ा कर दिया. केव ने शांतिपूर्वक मसले को सुलझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन ख़ालिद किसी भी कीमत पर सुल्तान की गद्दी छोड़ने को राज़ी नहीं था. दूसरी ओर चीफ़ केव को ब्रिटेन सरकार की ओर से साम-दाम-दंड-भेद से जंग जीतने का आदेश मिल चुका था. सरकार के इस आदेश के बाद 26 अगस्त को सुल्तान ख़ालिद को अगले दिन सुबह 9 बजे तक आत्मसमर्पण की चेतावनी दी गई.

News18

इसके साथ ही चीफ़ के आदेश पर ब्रिटेन के जंगी जहाज़ भी रणयुद्ध के लिये तैयार थे. आख़री अल्टीमेटम मिलने के बाद भी जब ख़ालिद अपनी ज़िद पर अड़ा रहा, तो सुबह करीब 9:02 मिनट पर ब्रिटिश सेना ने महल पर हमला कर ख़ालिद की सेना को परास्त कर दिया और करीब 9 बजकर 40 मिनट में ये युद्ध समाप्त हो गया.

इतिहास में हुए इस सबसे छोटे युद्ध पर अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं.

आपको ये भी पसंद आएगा
बेवफ़ा समोसे वाला: प्यार में धोखा मिला तो खोल ली दुकान, धोखा खाये लवर्स को देता है डिस्काउंट
जानिये दिल्ली, नई दिल्ली और दिल्ली-NCR में क्या अंतर है, अधिकतर लोगों को ये नहीं मालूम होगा
जानिए भारत की ये 8 प्रमुख ख़ुफ़िया और सुरक्षा जांच एजेंसियां क्या काम और कैसे काम करती हैं
मिलिए गनौरी पासवान से, जिन्होंने छेनी व हथोड़े से 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां
ये IPS ऑफ़िसर बेड़िया जनजाति का शोषण देख ना पाए, देखिए अब कैसे संवार रहे हैं उन लोगों का जीवन
अजय बंगा से लेकर इंदिरा नूई तक, CEO भाई बहनों की वो जोड़ी जो IIM और IIT से पास-आउट हैं