सिक्किम भारत का एक ऐसा राज्य जो अपनी ख़ूबसूरती के दुनियाभर में प्रसिद्ध है. हरे-भरे पहाड़, बर्फ़ से ढकी चोटियां, नदी व झरने कुछ इसी तरह की ख़ूबसूरती के लिए जाना जाता है सिक्किम. यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. तिब्बती भाषा में सिक्किम को “चावल की घाटी” कहा जाता है. जिस सिक्किम को आज हम एक ख़ूबसूरत प्रदेश के तौर पर जानते हैं उसका इतिहास उतना ही विवादास्पद भी है.
15 अगस्त सन 1947 को भारत को तो आज़ादी मिल गयी, लेकिन सिक्किम को नहीं मिली. इसी दौरान एक लोकमत-संग्रह के तहत सिक्किम का भारत में विलय को अस्वीकार कर दिया गया था. लेकिन तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सिक्किम को संरक्षित राज्य का दर्जा दिया. इसके तहत भारत को सिक्किम का संरक्षक माना गया और सिक्किम के विदेशी, राजनयिक संबन्धी विषयों की ज़िम्मेदारी भारत ने संभाल ली थी.
दरअसल भारत की आज़ादी के बाद से ही सिक्किम का राजा चोग्याल समय-समय पर सिक्किम के लिए अलग देश की मांग करने लगा था. लेकिन भारत को ये कत्तई मंज़ूर नहीं था.
सिक्किम को अलग के देश की मांग के पीछे एक ख़ास वजह थी चोग्याल की अमरीकी मूल की पत्नी होप कुक. जो हमेशा सिक्किम को अलग देश की मांग को लेकर चोग्याल को उकसाने का काम किया करती थी. चोग्याल को भी लगता था कि अगर वो सिक्किम को पूरी तरह से आज़ाद कराने की मांग करेगा तो अमरीका भी उनका समर्थन करेगा. इसके बाद चोग्याल ने भारत सरकार के सामने सिक्किम को अलग देश की मांग तेज़ कर दी और उसकी ये मांग साल 1975 तक ऐसे ही ज़ारी रही.
आख़िकार 6 अप्रैल, 1975 की सुबह सिक्किम के चोग्याल को अपने राजमहल के गेट के बाहर भारतीय सैनिकों के ट्रक दिखाई दिए. कुछ ही देर में करीब 5 हज़ार भारतीय सैनिकों ने उनके राजमहल को चारों तरफ़ से घेर लिया. उसके बाद गेट के बाहर मशीन गन चलने की आवाज़ें गूंजने लगी. इतने में राजमहल के गेट पर तैनात गार्ड बसंत कुमार चेत्री गोली खा कर नीचे गिरता है. भारतीय सैनिक 30 मिनट से भी कम समय में उनके 243 गार्डों को काबू में कर राजमहल पर कब्ज़ा कर लेते हैं.
राजमहल पर कब्ज़ा करने के बाद चोग्याल को उनके महल में ही नज़रबंद कर दिया जाता है. इसी के साथ सिक्किम की अलग देश की मांग हमेशा के लिए ख़त्म हो जाती है. दो दिनों के भीतर पूरा सिक्किम राज्य भारत सरकार के नियंत्रण में था. कुछ दिन बाद सिक्किम का भारत में विलय को लेकर एक जनमत-संग्रह भी किया गया जिसमें सिक्किम की 97.5 प्रतिशत जनता ने इसका समर्थन किया.
कहा जाता है कि नज़रबंद के दौरान चोग्याल ने ‘हैम रेडियो’ पर इसकी सूचना पूरी दुनिया को दी थी. इंग्लैंड के किसी गांव के था एक रिटायर्ड डॉक्टर और जापान व स्वीडन के दो अन्य लोगों ने उनका ये आपात संदेश सुना था.
कुछ समय बाद जब सिक्किम में चुनाव की घोषणा हुई तो चोग्याल ने दक्षिण सिक्किम का दौरा करने की मंशा ज़ाहिर की. पहले वो जिन इलाको में जाते थे लामा सड़कों पर लाइन लगा कर उनका स्वागत किया करते थे. लेकिन इस बार उन्हें अपनी फ़ोटो पर जूते लटके हुए दिखाई दिए. चुनाव में चोग्याल के समर्थन वाली नेशनलिस्ट पार्टी को 32 में से सिर्फ़ 1 सीट मिली.
30 जून, 1974 को चोग्याल ने इंदिरा गांधी से मुलाक़ात कर उन्हें अपने पक्ष में करने की अंतिम कोशिश की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत सिक्किम में जिन राजनीतिज्ञों पर दांव लगा रहा है वो विश्वास के क़ाबिल नहीं हैं. लेकिन इंदिरा ने भी दो-टूक शब्दों में कह दिया कि जिनकी बात आप कर रहे हैं वो जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं. चोग्याल इससे आगे कुछ बोलते उससे पहले ही इंदिरा गांधी चुप हो गईं. उनकी चुप्पी का मतलब होता था कि वो आगे बात करने में इंटरेस्टेड नहीं हैं.
8 मई को भारत सरकार और चोग्याल के बीच जो समझौता हुआ था, उस पर दस्तख़त करने के बावजूद चोग्याल ने इसे कभी दिल से स्वीकार नहीं किया. इसके बाद भी उसने चीन, पाकिस्तान और नेपाल से मदद मांगी, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की.
16 मई, 1975 को सिक्किम औपचारिक रूप से भारत का 22वां राज्य बना और इसी के साथ सिक्किम मे राजशाही का अंत हुआ.