ताज़ी कटी घास की ख़ुशबू जो आपको पसंद है न, असल में वो गंध ‘घास के डर’ की होती है

Kundan Kumar

पहली बारिश की महक, किताब के पन्नों की ख़ुशबू, कटी हुए घास की ताज़गी… नहीं नहीं, कटी हुई ‘घास का डर’.  

लोगों ने ताज़ी, कटी घास की महक पर कविताएं लिखी हैं. बाज़ार में इस महक के Freshner मिलते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दरअसल ये ख़ुशबू घास के डर की होती है?  

James Wong नाम के Ethnobotanist (यानि पेड़-पौधों के डॉक्टर) ने ट्विटर पर पूरा मामला समझाया है. वो लिखते हैं कि जब घास काटने की शुरुआत होती है, तो घास एक कैमिकल का रिसाव करती है, जो आस-पड़ोस की घास को ख़तरे की सूचना देता है.  

लोगों ने फिर James Wong से पूछा कि बाकी की घास इस महक से करती क्या है? अगले ट्वीट में इसका जवाब भी दिया गया.  

“बाकी घास अपने अंदर डिफ़ेन्स हार्मोन्स एक्टिव कर देती है, जो पत्तों के विकास को रोक देता है. इससे घास एनर्जी को ज़मीन के अंदर स्टोर कर लेती है और अपनी पत्तियों को सख़्त, तेज़, कसैला और ज़हरीला बना लेती है. ”  

-James Wong

घास का ये तरीका बिल्कुल कीड़े जैसा है ही, जैसे जब कीड़ों के ऊपर हमला होता है, तो वो भी बाकियों को बता देते हैं.  

इस ज्ञान को पा कर लोग हक्का बक्का रह गए. किसी ने शायद ही कभी सोचा होगा कि अच्छी लगने वाली घास की स्मेल असल मं उसके डर की है.   

आखिर में James ने एक और धांसू डायलॉग दे डाला, ‘अगली बार जब आपके लगे कि पौधे कुछ नहीं करते, तब इसके बारे में सोचिएग. पौधे अपने पास की दुनिया से सूचना इकट्ठा कर उसके इस्तेमाल से ख़ुद के बर्ताव को बेहतर बनाते हैं और बाकी जीवों के साथ भी साझा करते हैं… बस हमें नहीं बताते.’  

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