स्टैंडअप कॉमेडी की दुनिया में जहां है पुरुषों की भरमार, कॉमेडियन नीति बना रही अपनी अलग पहचान

Ishi Kanodiya

आज से नौ साल पहले, नीति पालता ने भारत में अंग्रेजी स्टैंडअप कॉमेडी में क़दम रखा था, नीति अपनी कॉमेडी में न केवल जरूरी सन्देश देती हैं, बल्कि लोगों को हंसा-हंसा कर पागल भी कर देती है. 

कॉमेडी से नीति का लगाव बचपन से ही जुड़ गया था. 

आर्मी परिवार में पली-बड़ी होने के कारण नीति देश के कोने-कोने में रही है. नीति बचपन में अपने भाई को परेशान करने के लिए उस पर चुटकुला मारा करती थी. 

नीति ने अपने करियर की शुरुआत एडवरटाइज़िंग से की. 12 साल एक लोकप्रीय एडवरटाइज़िंग कंपनी में काम करने के बाद उन्होंने उसे छोड़ दिया. 

नीति के लिए स्टैंड अप कॉमेडी के दरवाजे उस समय खुले, जब वो कॉलिन मोची और ब्रैड शेरवुड के शो में एक वालंटियर के रूप में शामिल हुईं.   

अपने पहले Gig के बारे में बात करते हुए नीति कहती हैं, 

मंच पर पहली बार अच्छा भी जा सकता है या बहुत बुरा भी. और मैं यही प्रार्थना करती हूं कि वो बुरा ही जाए. क्योंकि अगर अच्छा चल जाएगा तो आपको विश्वास हो जाता है, जो उस समय आपके टैलेंट के लिए अच्छा नहीं होता है. चूंकि मेरा पहला प्रदर्शन अच्छा रहा जिसके कारण मुझे लगा कि मैं परफ़ेक्ट हूं. मगर अगली ही बारी में मुझे पता चल गया मैं कितने पानी में हूं. 

लोगों को हंसाना आसान बात नहीं है ख़ास तौर से जब आप महिला कॉमेडियन हो तो. 

दिल्ली में, मुझे याद है मैं लाइन में खड़ी होने वाली अकेली महिला थी. सच बताऊं तो मुझे नहीं लगा था कि मैं कुछ हट कर कर रही हूं. मैं तो बस लोगों को हंसा रही थी. ये मेरे आसपास के लोगों की प्रतिक्रिया और धारणा थी जिसने मुझे अलग महसूस कराया. ऐसी कोई रूलबुक नहीं है जो ये कहती हो कि लड़कियां कॉमेडी नहीं करती.   

लोगों के इस नज़रिए के चलते नीती ने वो हर मुमकिन कोशिश की जिस से लोगों का ध्यान उनकी कॉमेडी पर जाए. 

लैंगिक असमानता के बारे में बात करते हुए नीति बताती हैं कि कैसे अगर कोई लड़का लोगों को हंसाने में असफल हो जाता है तो उसे नाकामी समझ ली जाती है वहीं दूसरी ओर कोई लड़की अगर यही काम करे तो उसे सही समझा जाता है. 

सबसे ज़्यादा चुभने वाली बात ये है कि जब बात पब्लिक प्लेटफॉर्म की होती है तो आमतौर पर आप पुरुष कॉमिक सोलो एक्ट के बड़े पोस्टर देखेंगे. महिलाओं को ये नहीं मिलता. हमको ये बोला जाता है- सोलो महिला कॉमिक एक्ट नहीं बिकते है. 

नीति लगभग एक दशक से कॉमेडी में हैं. वो मानती हैं कि कई पुरुष कॉमेडियन के मुक़ाबले उन्हें सही वेतन मिलता है. फिर भी, हमारे समाज में जिस तरह से लोग महिला कॉमेडियंस को देखते हैं उस सोच को बदलने में अभी बहुत वक़्त लगेगा. 

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