कहानी उन 300 महिलाओं की जिन्होंने 1971 की जंग में 71 घंटों में हवाईपट्टी बना की वायुसेना की मदद

Akanksha Tiwari

ये बात 1971 की है, जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल था और इस वजह से दोनों मुल्क़ों की सीमाओं पर लगातार बमबारी चालू थी. इस लड़ाई में पाकिस्तान की एयरफ़ोर्स ने गुजरात के भुज पर हमला कर भारतीय वायुसेना की हवाई पट्टी पूरी तरह से नष्ट कर दी. हवाई पट्टी के तबाह होने पर भारतीय एयरफ़ोर्स हमला करने में सक्षम नहीं थी. वहीं अगर हिंदुस्तान अगले दो दिन के अंदर भुज हवाई अड्डे से हमला नहीं करता, तो पाकिस्तान कच्छ पर हमला कर उसे तबाह कर देता.  

भारतीय वायु सेना को मुश्किल हालातों में देख कच्छ की लगभग 300 महिलायें उनकी मदद के लिये सामने आई और महज़ 71 घंटों के भीतर हवाई पट्टी को एकदम नया कर दिखाया. महिलाओं के इस अनोखे कमाल के बाद भारत की तरफ़ से जवाबी कार्यवाई की गई और परिणाम स्वरूप पाकिस्तान दो हिस्सो में विभाजित हो गया. इसमें दूसरे हिस्से को बांग्लादेश नाम दिया.  

इस मामले पर आज तक से बात करते हुए 74 साल की बालाबेन ने बताया कि पाकिस्तान के बम दागने पर ख़तरे का सायरन बज जाता था. वहीं ख़तरा टलने पर शांति की घंटी बजती. भारत-पाकिस्तान की इस लड़ाई में लगातार ख़तरे का सायरन बज रहा था, ऐसे में जब ख़तरे का सायरन बजता, तो सभी महिलाएं जालियों में छिप जाती और शांति होते ही सभी काम पर लग जाती. इस तरह से सभी महिलाएं 71 घंटे में हवाई पट्टी फिर से बनाने में कामयाब हुई.  

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इंटरव्यू में बालाबेन ने ये भी कहा कि उस समय पड़ोसी मुल्क की तरफ़ से 18 बम दागे गए थे, जिसमें 4 बमों ने हवाई पट्टी तबाह कर दी थी. वहीं युद्ध ख़त्म होते ही बालाबेन और उनकी अन्य साथियों के सम्मान में गांव के बाहर एक वीरांगना स्मारक की स्थापना की गई. यही नहीं, 74 की साल उम्र में भी ये जाबांज़ महिला आज भी भारतीय सेना की मदद करने को तैयार है. 

बालाबेन समेत सभी महिलाओं को दिल से सलाम! 

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