सोशल मीडिया (Social Media) पर इन दिनों एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा है. वीडियो में ‘आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे’ पर एक नौजवान बगैर हेलमेट लगाए 100 की स्पीड से बाइक दौड़ता नज़र आ रहा है. इस बीच इटावा के पास एक कार सवार शख़्स उसे ओवरटेक करता है और उसे बिना हेलमेट बाइक न चलाने की सलाह देते हुए उसके हाथ में एक नया ISI मार्क वाला हेलमेट थमा देता है. ये सब देख बाइक सवार युवक हक्का-बक्का रह गया. दरअसल, हेलमेट देने वाला कोई और नहीं, बल्कि Helmet Man Of India के नाम से मशहूर राघवेंद्र सिंह हैं.
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देशभर में ‘हेलमेट मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से मशहूर राघवेंद्र सिंह ने अपनी कार के उपर ‘यमराज ने भेजा है जान बचाने के लिए, ऊपर जगह नहीं है जाने के लिए’ स्लोगन भी लिखवाया है.
कौन है ये Helmet Man Of India?
मूलरूप से बिहार के रहने वाले राघवेंद्र सिंह पिछले कई सालों से लोगों को हेलमेट पहनकर बाइक चलाने के लिए जागरूक करते आ रहे हैं. राघवेंद्र अपनी इस नेक पहल के चलते अब तक हज़ारों लोगों की जान बचा चुके हैं. वो पिछले 9 साल से लोगों को फ़्री में हेलमेट बांट रहे हैं और अब तक देश के 22 राज्यों में घूमकर 56,000 से अधिक हेलमेट बांट चुके हैं. इसी वजह से राघवेंद्र सिंह को Helmet Man Of India भी कहा जाता है.
Helmet Man Of India बनने की असल वजह
दरअसल, राघवेंद्र सिंह ने साल 2014 में नोएडा में एक सड़क हादसे में अपने सबसे क़रीबी दोस्त कृष्ण कुमार ठाकुर को खो दिया था. बाइक सवार कृष्ण ने हेलमेट नहीं लगाया था. सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से वो 8 दिन तक वेंटिलेटर पर रहा, लेकिन बच नहीं सका. कृष्ण अपने परिवार का इकलौता बेटा था, जो माता पिता की शादी के 20 साल बाद पैदा हुआ था. राघवेंद्र सिंह ने उस दिन कसम खाई थी कि वो किसी को भी बिना हेलमेट सड़क पर बाइक चलाने नहीं देंगे.
घर, जेवरात सब बेच दिए
राघवेंद्र पिछले 9 सालों से लोगों को फ़्री हेलमेट बांट रहे हैं. इस मुहिम में लोगों की जान तो बची, लेकिन उनकी सारी कमाई व बचत ख़त्म हो गई. इस मिशन के लिए उन्हें क़र्ज़ तक लेना पड़ा और क़र्ज़ चुकाने के लिए उन्हें दिल्ली में अपना घर भी बेचना पड़ा. राघवेंद्र के इस फ़ैसले से कोई ख़ुश नहीं था, परिवार और रिश्तेदार इसे उनका पागलपन कह रहे थे, लेकिन वो लगे रहे. एक समय ऐसा भी आया जब उनको अपने इस मिशन के लिए पैसों की सख़्त ज़रूरत थी ऐसे में उनकी पत्नी ने साथ दिया और उन्होंने अपने जेवरात बेच दिए. राघवेंद्र के पास 14 बिटकॉइन भी थे जिन्हें बेचकर उन्होंने 70-75 लाख रुपये इकट्ठे किये और अपने मिशन को देशभर में फ़ैलाया.
इंडिया टुडे से बातचीत में राघवेंद्र सिंह कहते हैं, ‘इस मुहिम को शुरू किए हुए तकरीबन 9 साल हो चुके हैं. मैं अब तक 56 हज़ार लोगों को हेलमेट बांट चुका हूं. इनमें से ऐसे 30 लोगों को तो मैं जानता हूं जिनकी हेलमेट की वजह से जान बची है. यही मेरी सबसे बड़ी कामयाबी है कि मैंने इतने लोगों की जान बचाई है’.
आज राघवेंद्र सिंह देशभर में Helmet Man Of India के नाम से मशहूर हो गये हैं. राघवेंद्र के इस नेक काम को देखते हुए उन्हें बड़े बड़े कार्यक्रमों और देशभर के तमाम स्कूलों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए बुलाया जाता है. यहां वो छात्रों के बीच अपने अनुभव साझा करते हैं.
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