समंदर के किनारे ठंडे-ठंडे पानी के बीच गर्म-गर्म धूप सेकना, सुनने में भले ही बहुत ख़ूबसूरत लगता हो, पर असलियत ये है कि हर बार ये उतना ख़ूबसूरत नहीं होता, जितना कि हम इसके बारे में सोचते हैं. अब जैसे Sunburn को ही ले लीजिये, जिसके निशान कई बार इतने भद्दे दिखने लगते हैं कि इन्हें छिपाने में ही भलाई लगती है.
कहां जाना है भाई?
हम साथ-साथ हैं.
इसका तो ECG हो गया.
का भईया कौन देस से आये हो?
एक तिरंगा यहां भी.
लो जी, फिर रायता फैल गया.
का किये हो बे?
बेटा क्या मिलता है ये सब करके?
हा…हा…हा…
तुम यहां तुम्हें, तो तुम्हारे पिताजी आगरा में ढूंढ़ रहे हैं.