वो नंगे पैर भागना चाहता है
वो सिरहाने में सपने दबा कर सो जाना चाहता है
वो खिलखिला कर हंसना चाहता है, कभी वो मायूसी में रोना चाहता है
आज वो दोबारा बच्चा बन जाना चाहता है
वो बिस्तर में उछलकूद मचाना चाहता है
वो मां के आंचल में छिप जाना चाहता है
बड़ी मुश्किल से तो वो बड़ा हुआ है
फिर भी बच्चा बन जाना चाहता है
सच्च ही तो है… कहीं न कहीं हम सभी दोबारा बचपन को पाना चाहते हैं. बचपन की उन यादों में लिपटना चाहते हैं, जिनसे कभी पीछा छुड़ाते हुए बड़े होना चाहते हैं. जब यादों का दौर चल ही पड़ा है, तो अच्छे से गोते लगाते हैं बचपन की उन यादों में.
1. स्कूटर के आगे खड़ा सुपरमैन
पापा के स्कूटर की आगे वाली जगह हमारे लिए होती थी. कहीं जाते हुए जब हवा के थपेड़े चेहरे पर पड़ते थे, तो लगता था हवा में हैं. स्कूटर पापा चलाते थे, लेकिन हीरो हम बन जाते थे. आगे की उस सीट पर सिर्फ़ हमारा हक़ था.
2. डेस्क के नीचे से लंच निपटाना
टीचर से छुपाते हुए बड़ी चालाकी से अपना और दोस्त का टिफ़िन निपटाना और शातिर चोरों की तरह डब्बे को एक-एक कर पास करना. खाने को एक टुकड़ा ही मिलता था, लेकिन उसमें ख़ुशी सबसे बड़ी थी.
3. मम्मी की साड़ी पहनना, पापा के जूते
अपने छोटे-छोटे पैरों को पापा के जूतों में डालना और फिर लम्बे कदम रखते हुए चलना. चलते हुए सोचना कि हम कब बड़े होंगे… मम्मी की साड़ी नहीं तो चुन्नी से साड़ी बनाना और पूरे घर में घूमना. इस काम के लिए कभी-कभी मम्मी कोई चुन्नी भी दे देती थी.
4. मेहमानों के जाने के बाद बिस्किट चट कर जाना
घर में कोई आये, तो शराफ़त की मूरत बन कर बैठ जाना और उनके जाते ही बिस्किट-नमकीन की प्लेट्स पर टूट पड़ना. मम्मी-पापा मेहमानों को दरवाज़े के बाहर तक ही छोड़ कर आते, लेकिन तब तक हम अपना काम कर जाते.
5. लड़ाई में भाई-बहन की पोल पट्टी खोलना
ज़रा सी अनबन क्या हुई, भाई-बहन से Peace-Treaty का टूट जाना. फ़ौरन मम्मी को जा कर बताना कि उसने अपना होमवर्क पूरा नहीं किया और फिर शिकायतों का युद्ध शुरू होना.
6. खिड़की के लिए नाटक
सफ़र करते हुए ट्रेन या बस की खिड़की के लिए लड़ना. पेड़ों को पीछे जाते हुए देखने का अलग ही मज़ा था.
7. शाम का खेल
स्कूल से घर आकर जल्दी से होमवर्क निपटाना, ताकि शाम को खेलने जा सकें. आंखें अटकी रहती थी दरवाज़े पर, कब दोस्त आये और ‘आंटी क्या हम इन्हें खेलने ले जाएं’ बोले.
8. नयी किताबों के लिए प्यार
नयी क्लास में पहुंचते ही पहले के वो चार दिन, जब किताबों, कॉपियों और स्टेशनरी ख़ूबसूरत लगते थे. किताबों के कुछ चैप्टर पहले ही पढ़ लिया करते थे. और हां, ख़ुश्बू वाले रबर!
9. बर्थडे वाले दिन की नई ड्रेस
पूरे स्कूल में सिविल ड्रेस में घूमना. हर क्लास में जा कर टॉफ़ी-चॉकलेट बांटना. बेस्ट फ़्रेंड को अलग से एक्स्ट्रा टॉफ़ी देना. शाम को केक-समोसे वाली पार्टी करना.
10. गर्मियों की छुट्टियों का क्रेज़
गर्मियों की छुट्टियों के लिए महीनों पहले से दिन गिनना… छुट्टियां ख़त्म होने से दो दिन पहले सारा हॉलिडे होमवर्क निपटाना और नानी-दादी के घर से मोटे हो कर आना.
11. शक्तिमान बनना
बचपन में लगता था बिस्तर से कूद कर, घूमते हुए हम भी शक्तिमान बन सकते हैं. ऐसा सोचने की ग़लती करना और धड़ाम से गिरना.
12. कट्टी-अब्बा
दोस्त से ज़रा सी लड़ाई होने पर कट्टी कर लेना और सुलह करने पर अब्बा. काश, अब भी रिश्ते इतने ही सिंपल होते!
13. 15 अगस्त, 26 जनवरी के दिन की ख़ुशी
स्कूल से मिलने वाले लड्डू, आधे दिन के लिए स्कूल जाना, स्कूल की परेड का हिस्सा बनना… उस समय फ़ील थी इन दोनों दिनों की.
14. पॉकेटमनी से पैसे बचा कर मम्मी-पापा के लिए गिफ़्ट लेना
‘अपने पैसे’ बोल कर मम्मी-पापा के बर्थडे पर गिफ़्ट लेकर आना, ऐसा फ़ील करवाता था जैसे अब बड़े हो गए हैं.
15. पहला क्रश
वो मासूम सा प्यार, जब किसी को देख कर अच्छा-अच्छा सा फ़ील होता था.
16. छुप-छुप कर टीवी देखना
Exams के टाइम पर मम्मी के मना करने के बाद भी छुप-छुप कर टीवी देखना और डरते रहना कि मम्मी कहीं पकड़ न ले.
17. जलेबी के लिए प्यार!
कोई लौटा दे वो प्यारे-प्यारे दिन!