पूरी दुनिया लॉकडाउन है और इसकी वजह सभी को पता है. इसने लोगों के लाइफ़स्टाइल को भी काफ़ी प्रभावित किया है. जैसे अब न्यूयॉर्क को ही देख लीजिए वहां पर लोग वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये शादी कर रहे हैं और वहां के प्रशासन ने ऐसी शादियों को मान्यता देने की घोषणा भी कर दी है.
विदेश ही नहीं कोरोना वायरस के चलते अपने देश में भी कई लोगों ने ऑनलाइन शादियां कर रहे हैं. हाल ही बुलंद शहर में एक जोड़े ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की मदद से ऑनलाइन निकाह कर लिया था. इसके लिए एक तरफ दूल्हा-दुल्हन और दूसरी तरफ काज़ी साहब मोबइल पर ऑनलाइन निकाह की सारी रस्में अदा करवा रहे थे.
बरेली में भी कुछ ऐसा हुआ. यहां पर एक जोड़े ने अपने घरवालों के सामने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की मदद से शादी कर ली. उन्होंने इस शादी को सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम भी किया था. इस दौरान पंडित जी मंत्र पढ़ते दिखाई दिए और जोड़े ने सबके सामने (ऑनलाइन) फेरे भी लिए. सैंकड़ों लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भी इस शादी के गवाह बने और उन्हें आशीर्वाद भी दिया.
कहने का तात्पर्य बस इतना है कि संकट की इस घड़ी में टेक्नोलॉजी ने इंसान का पूरा साथ निभाया है. जिन बच्चों की पढ़ाई लॉकडाउन के चलते रुक गई थी, इसकी मदद से वो शुरू हो गई है. टीचर ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाते हैं और उन्हें होम वर्क असाइन कर रहे हैं. लॉकडाउन के चलते जिनके ऑफ़िस बंद थे उनका काम भी अब तकनीक के सहारे चल रहा है.
ऐसे लोग अपने-अपने घरों से लैपटॉप/कम्प्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन की मदद से अपना काम कर पार रहे हैं यानी वर्क फ़्रॉम होम. हम जैसे पत्रकारों का काम भी तकनीक की मदद से ही जारी है. कई जगह तो ऐसी भी ख़बरें आई हैं कि लोग अब पूजा-पाठ भी ऑनलाइन करने लगे लगे हैं. मतलब जो पारंपरिक चीज़ें जिनके लिए हमें पंडित जी को बुलाना पड़ता था, लोगों को आमंत्रित करना पड़ता था, ऐसे काम भी अब लोग सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाते हुए भी कर पा रहे हैं.
इसका श्रेय यदि किसी को जाता है तो वो विज्ञान को. विज्ञान ने इतनी तरक्की न की होती तो शायद संकट के इस दौर में हम अपनी परंपराओं को निभाने से वंचित रह जाते. हालांकि, इस तरह के आयोजनों और कार्यक्रमों को अपनी एक लिमेटेशन यानी सीमा हो सकती है. पर टेक्नोलॉजी की मदद से ही सही हम अपने कर्तव्य निभा तो पा रहे हैं.
ये सभी उदाहरण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि, कोरोना वायरस इंसानों के हौसलों को पस्त नहीं कर पाया है. इंसान ने हालात के हिसाब से ख़ुद को ढाल कर जीना सीख लिया है, इसमें सबसे बड़ी मदद टेक्नोलॉजी ने की है.