गर ज़ुबान होती इन जानवरों की, तो तबियत से जवाब देते ये इंसानी क्रूरता का

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जानवरों के लिए जितना प्यार सोशल मीडिया पर झलकता है, उससे कई ज़्यादा क्रूरता दुनियाभर में जानवरों के साथ होती है. जानवरों के सहारे विश्वभर में अरबों-खरबों का व्यवसाय फलता-फूलता है. जानवरों का मीट, खाल और इसके अलावा मनोरंजन के लिए जानवरों पर हुए अत्याचार का कोई हिसाब नहीं है. जानवारों पर हो रहे अत्याचार के बारे में ये तथ्य आपके रौंगटे खड़े कर देंगे.

1. अमेरिका में इस्तेमाल होने वाला 50 प्रतिशत फर चीन से जाता है

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चीन में हर साल लाखों ज़िन्दा जानवरों को उनकी खाल के लिए मार दिया जाता है. जानवरों की खाल कई बार सख्त होने की वजह से उस पर गरम तेल डाल कर निकाला जाता है. कई बार जानवरों की खाल पर किसी और जानवर का नाम लिख दिया जाता है. ऐसे में आप पता भी नहीं कर सकते कि आपने कौन से जानवर की खाल पहनी हुई है.

2. हर साल पूरी दुनिया के लगभग 12 करोड़ बंदर, कुत्ते, चिड़िया, खरगोश, चूहे और कई जानवर प्रयोगशाला में केमिकल टेस्टिंग, खाद्य पदार्थ टेस्टिंग और दवाईयों की टेस्टिंग के लिए मार दिए जाते हैं.

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3. स्पेन का सबसे मशहूर खेल Bullfighting देखने के लिए लाखों दर्शक इकट्ठा होते हैं.

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इस खले में बुल रिंग के अंदर एक व्यक्ति सांड से मुकाबला करता है और अपने बचाव के लिए उसे सांड को मार गिराना होता है. इस खूनी खेल में हर साल 40 हज़ार से भी ज़्यादा सांड़ लाखों लोगों के मनोरंजन के लिए मारे जाते हैं.

4. भारत से सबसे ज़्यादा चमड़ा निर्यात होता है. भारत में स्वस्थ मवेशियों को मारना गैरकानूनी है, इसलिए कई डीलर पहले जानवरों को चोटिल कर अपंग बनाते हैं फिर चमड़ा निकालते हैं.

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 व्यापारी कई भेड़-बकरियों, गाय-भैसों को मीलों तक भूखे प्यासे पैदल चलाते हैं, जानवरों की आंखों में मिर्च झोक कर उन्हें तड़पाते हैं. इन सब से जानवर इतने कमज़ोर हो जाते हैं कि उन्हें अस्वस्थ घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद इन्हें बड़े ट्रकों में ठूंस-ठूंस कर मुम्बई, केरल, कर्नाटक और अन्य राज्य जहां बड़े पैमाने में जानवरों को मारना कानूनी है, वहां ले जाया जाता है.

5. सर्कस में जानवरों को ट्रेनिंग के नाम पर कई तरह से टॉर्चर किया जाता है. 

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उन्हें अनुशासन में रखने के​ लिए कई बार धारदार चीज़ों से मारा जाता है. कई जानवरों को बचपन से लोहे की भारी चेन से बांध कर रखा जाता है.

6. चूज़ों की बिक्री बढ़ाने के लिए खतरनाक केमिकल्स और रंगों से चूज़ों को रंग दिया जाता है.

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सब स्वार्थ और मनोरंजन के लिए ही नहीं होता, करोड़ों जानवरों के गले तो अास्था के नाम पर भी घोंट दिए जाते हैं. 

Article Source- Animal Liberation Front, Dosomething

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