‘धर्म’ शब्द के अर्थ को लेकर लोगों के अलग-अलग विचार हैं. शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो जो धारण करने योग्य है वही धर्म है. कुछ लोगों के लिए धर्म का कोई मतलब नहीं, वहीं कुछ लोग धर्म के लिए अपना सबसे बड़ा धर्म, मानवता का धर्म भी भूल जाते हैं.
छोटा मुंह बड़ी बात हो सकती है, पर दुनिया के किसी भी धर्म में ये बात नहीं कही जाती कि दूसरों को मारो और ख़ुद जियो. कुछ लोग इस बात पर भी लड़ते रहते हैं कि सबसे पुराना धर्म कौन सा है? क्या फ़र्क पड़ता है? भूतकाल में जी रहे हैं ऐसे लोग, ना वर्तमान का ठिकाना और भविष्य की तो बात ही दूसरी है.
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बहाई, जैन आदि धर्मों के अलावा भी इस दुनिया में कई धर्म हैं. कोई धर्म है किसी महान कलाकार के नाम पर तो कोई धर्म ऐसा है जो रचनात्मकता को बढ़ावा देता है.
इन सब के बीच एक ऐसा धर्म भी है जिसके लिए File Sharing इस ब्रह्मांड में सबसे पुण्य का काम है. Kopimism या File Sharing धर्म का गठन 5 जनवरी, 2011 को स्विडिश सरकार ने एक धर्म के रूप में मान्यता दी. Isak Gerson इस धर्म के आध्यात्मिक गुरू हैं.
‘Kopimism’ शब्द दो शब्दों से बना है, ‘Copy’ और ‘Me’. इस धर्म के अनुयायियों को ‘Kompimist’ या ‘Kopimist Intellectual’ कहा जाता है.
Kopimism के अनुसार, ‘संचार सबसे पवित्र है.’ उनकी वेबसाइट पर भी किसी दैवीय शक्ति के विषय में कुछ नहीं लिखा गया है. हर धर्म की तरह ही Kopimism का भी एक धार्मिक चिह्न है. Ctrl+C Ctrl+V इनका धार्मिक चिह्न है.
इस धर्म के अनुयायियों का मानना है कि जानकारी का आदान-प्रदान और जानकारी Copy करना एक नेक़ काम है. ये लोग Copyright, Plagiarism जैसी बातों को सिरे से नकारते हैं.
धार्मिक गुरू Isak ने बताया कि इस अनोखे धर्म को सरकारी मान्यता दिलाना आसान नहीं था. 1 साल में 3 बार चक्कर लगाने के बाद अधिकारियों ने इस धर्म को स्वीकृति दी. स्वीडन के क़ानून के अनुसार उसी धर्म को मान्यता दी जा सकती है जिसके अनुयायी Meditation या प्रार्थना करते हों, Kopimism में ये दोनों चीज़ें ही नहीं थी.
Meditation और प्रार्थना के बजाय इस धर्म के लोग इंफोर्मेशन को कॉपी करते हैं, यही उनकी प्रार्थना का तरीका है, जिसे Kopyacting कहा जाता है. प्रार्थना के लिए हिन्दू मंदिर जाते हैं, मुस्लिम मस्जिद, सिख गुरुद्वारे और ईसाई चर्च. विभिन्न धर्मों को मानने वालों के लिए उनके धार्मिक स्थल एक मिलने की जगह की तरह ही होता है. Kopimism के अनुयायी Server या Web Page पर मिलते हैं.
Isak का मानना है कि जानकारी को कॉपी करने से इसकी Value बढ़ जाती है और उनका ये भी मानना है कि Copy करना ग़ैरक़ानूनी नहीं होना चाहिए.
ये अपने तरह का पहला धार्मक संगठन है जो इंसानों पर नहीं, जानकारी और डेटा को ज़्यादा तवज्जो देता है. जानकारी की कोई आयु निहित नहीं होती, इसलिये उसे कॉपी करना अनिवार्य है.
अप्रैल 2012 में इस धर्म में पहली शादी हुई. शादी में पंडित की भूमिका एक कंप्यूटर ने निभाई.
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2015 में National Geographic के एक लेख के मुताबिक, दुनिया का सबसे नया धर्म है, ‘कोई धर्म नहीं’ यानि ऐसे लोग जो किसी भी धर्म से न जुड़े हों. अमेरिका में, लोगों की कमी के कारण कई गिरजाघरों में आख़िरी Collective Service रखी गई.
सिर्फ़ अमेरिका में ही नहीं, पूरी दुनिया में धर्म के प्रति लोगों की सोच बहुत ज़्यादा बदल गई है. धर्म को लेकर जहां कुछ लोग बहुत ज़्यादा भावुक हैं, वहीं ऐसी भी लोगों की तादाद कम नहीं है जिनके लिए ये विषय उतना मायने नहीं रखता.
उत्तरी अमेरिका में ‘कोई धर्म नहीं’ ही दूसरा सबसे बड़ा धर्म बन गया है. यूरोप में भी इस धर्म के अनुयायी तेज़ी से बढ़ रहे हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नास्तिकता ना सिर्फ़ लोगों पर, बल्कि उनकी आने वाली पीढ़ियों पर भी असर डालती है.