भारत में कई राज्य, कई शहर और कई गांव ऐसे हैं, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, और ऐसा ही एक गांव है बड़ा भंगाल गांव, जो रावी नदी के किनारे बसा है और बेहद ही सुंदर है. लेकिन इन दिनों इस गांव पर बहुत बड़ा ख़तरा मंडरा रहा है. इस गांव का संपर्क पूरी तरह से ठप्प हो चुका है. भूस्खलन के कारण रास्ता भी रुक गया है. जी हां, ये इस गांव की वर्तमान स्थिति है. गांव में अकाल की स्थिति हो चुकी है.
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ कसबे में स्थित है ये दूरवर्ती गांव बड़ा भंगाल. इस गांव तक पहुंचने के लिए कोई भी सड़क मार्ग नहीं है. गांव तक केवल बैजनाथ के बीड़ से तीन दिन का पैदल सफ़र तय करके थमसर पास को पार करके ही पहुंचा जा सकता है. बड़ा भंगाल गांव में 6 महीनों तक बर्फ़ गिरने के कारण गांव बाकी गांवों से कट जाता है. इसलिए बर्फ़ गिरने से पहले ही गांव के लोग पास के बीड़ गांव में चले जाते हैं. हैरानी की बात ये है कि यहां पर केवल एक ही सेटेलाइट फ़ोन है. मगर अब ये गांव पूरे देश से पूरी तरह से कट चुका है.
कैसे पहुंचा जा सकता है बड़ा भंगाल गांव
अगर आप इस गांव को देखना चाहते हैं, तो यहां पहुंचने के लिए आपको ऊंचे पहाड़ों से होते हुए या फिर रावी नदी के किनारे स्थित ख़तरनाक चट्टानों को पार करना होगा. बड़ा भंगाल गांव धौलाधर, पंगी और मनीमहेश पहाड़ियों से घिरा हुआ है. और इन पहाड़ियों को पार करके ही आप घाटी में बसे इस गांव तक पहुंच पाएंगे. हालांकि, इस तक पहुंचने वाले ये रास्ते 8 के आठ महीने तो बंद ही रहते हैं. यहां का चट्टानों का रास्ता छोटा तो है, पर बहुत ही ख़तरनाक है और इस रास्ते का इस्तेमाल भी आप केवल साल में 6 महीने ही कर सकते हैं, वो भी अगर मौसम में कुछ उलट-फेर नहीं हुआ तो.
मगर अब ये गांव खतरे में है. और हर दिन के साथ इसपर ख़तरा और बढ़ता जा रहा है.
कई पब्लिकेशंस की रिपोर्ट्स के अनुसार, पता चला है कि भूस्खलन के कारण इस गांव का संपर्क बाकी जगहों से पूरी तरह से कट चुका है. गांव के 400 चरवाहों, उनके मवेशियों भेड़ और कुत्तों का जीवन संकट में है. गांव के पास जमा राशन भी ख़त्म होने की कगार पर है और बचे राशन से वो एक महीना भी नहीं गुज़ार पाएंगे.
गांववासी अपनी भेड़ों को नमक खिलाने में भी असमर्थ हैं, जो कि मवेशियों के लिए एक पोषक तत्व है. और ये मवेशी ही गांववालों की आय और आजीविका का मुख्य स्रोत हैं और गांव की वर्तमान स्थिति गांववालों के वर्तमान और भविष्य को प्रभावित कर रही है.
लेकिन कभी सोचा है कि आज ये गांव इस स्थिति में क्यों है?
बड़ा भंगाल गांव की इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण है, यहां कच्ची-पक्की सड़क तो क्या, यहां रास्ता ही नहीं है. इस गांव तक पहुंचने के लिए लगभग 76 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. हालांकि, बडाग्रा में बारिश के कारण हुए लैंडस्लाइड्स की वजह से कई बड़े शहरों से गांव का संपर्क टूट गया है. वैसे तो गांव के पास झुरड़ी जगह है, जहां 6 किलोमीटर का रास्ता था, लेकिन वो भी भूस्खलन की वजह से गायब हो चुका है. उस पर अप्रैल महीने से लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन के कारण उस सड़क को दोबारा बनाना भी संभव नहीं है. वास्तव में, यहां स्थिति इतनी खराब है कि इस क्षेत्र में जाने के लिए घोड़ों और ख़च्चरों की व्यवस्था करना भी संभव नहीं है. इससे संपर्क करने का केवल एक ही जरिया है और वो है सेटेलाइट फ़ोन, और वो भी खराब मौसम के कारण इन दिनों ख़राब चल रहा है. अगर अभी भी ऑथॉरिटीज़ ने यहां की स्थिति सुधारने के लिए कोई एक्शन नहीं लिया, तो जल्दी ही बड़ा भंगाल गांव पूरी तरह से अकालग्रस्त घोषित हो जाएगा.
मगर इस पर सरकार क्या कर रही है?
इस गांव की सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी अगर यहां तक एक पक्की सड़क का निर्माण हो जाए तो. हालांकि, बैजनाथ के SDM, विकास शुक्ला का कहना है कि यहां तक के लिए जिस इलाके से होकर सड़क बननी है, वो जंगल का एरिया है. जिसपर काम कराने के लिए बहुत अधिक धन की ज़रूरत होगी.
क्या हम अपने स्तर पर कुछ कर सकते हैं?
जी हां इसको बचाने के लिए हम अपने स्तर पर बहुत कुछ कर सकते हैं, जैसे हम अपने ख़र्चे पर यहां के लोगों के लिए हेलीकॉप्टर से डेली यूज़ का सामान भिजवा सकते हैं. इसके अलावा इसके बारे में जितना हो सके सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर लोगों को जानकारी दें.
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