संत से लेकर आध्यात्मिक गुरु बनने का स्वामी विवेकानंद का सफ़र, कैद है इन दुर्लभ तस्वीरों में

Vishu

स्वामी विवेकानंद. एक युवा संन्यासी, जिन्होंने भारतीय संस्कृति को विदेशों में पहचान दिलाई. साहित्य, इतिहास और आध्यात्म की अद्भुत जानकारी रखने वाले विवेकानन्द को एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू के तौर पर जाना जाता है, जो हिन्दू धर्म को प्रोग्रेसिव और व्यवहारिक बनाने के समर्थक रहे. 

कलकत्ता में पैदा हुए स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र नाथ था. पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाईकोर्ट के मशहूर वकील थे. पिता को पश्चिमी संस्कृति से लगाव था, वहीं माता धार्मिक विचारों की महिला थी. परिवार के धार्मिक, आध्यात्मिक संस्कारों की वजह से बचपन से ही स्वामी विवेकानंद की इन चीज़ों के प्रति उत्सुकता बनी रही.

विवेकानंद एक Day Dreamer थे. वे एक नए समाज की कल्पना करते थे. एक ऐसा समाज, जिसमें धर्म या जाति के आधार पर लोगों में कोई भेद न हो. उन्‍होंने वेदांत के सिद्धांतों को इसी रूप में रखा. विवेकानन्‍द को युवाओं से बड़ी आशाएं थीं. वे नए भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका को बेहद अहम मानते थे.

25 साल की उम्र में नरेन्द्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया. उसके बाद उन्होंने पैदल ही पूरे देश की यात्रा की. सन्‌ 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी. स्वामी विवेकानन्द उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे. वहां उनके विचार सुनकर सभी विद्वान हैरान रह गए. अमेरिका में अब एक बड़ा समुदाय स्वामी विवेकानंद के विचारों को सुनना चाहता था.

एक संत के तौर पर भारत भ्रमण के दौरान स्वामी विवेकानंद की ये पहली तस्वीर है. जयपुर, 1888.

तीन वर्ष तक वे अमेरिका में रहे. उनके ज्ञान और बोलने की शैली को देखते हुए अमेरिकी मीडिया ने उन्हें ‘साइक्लॉनिक हिन्दू’ का नाम दिया.

भुवनेश्वरी देवी (1841-1911). स्वामी विवेकानंद की माताजी

दक्षिण पासाडेना, California, जनवरी 1900

दक्षिण California की वेदांता सोसाइटी के अनुसार, स्वामी विवेकानंद की छाते के साथ तस्वीर दक्षिण पासाडेना के Montery रोड पर ली गई थी. स्वामी विवेकानंद के पीछे खड़ा घर और पेड़ अब नष्ट हो चुके हैं. इस तस्वीर में स्वामी जी एक छाते के साथ नज़र आ रहे हैं और तस्वीर में घर का एक छोटा-सा हिस्सा दिखाई पड़ रहा है, लेकिन लेकिन स्वामी रिताजनंदा की किताब स्वामी तुरियानंद में घर को पूरा देखा जा सकता है.इस घर को अब विवेकानंद हाउस कहा जाता है. इस घर को 1955 में एक श्रद्धालु ने खरीदा था और इसे दक्षिण California की वेदांता सोसाइटी को दान कर दिया गया था. 1989 में विवेकानंद हाउज़ को आधिकारिक रूप से ऐतिहासिक लैंडमार्क घोषित किया गया.

दक्षिण पासाडीना, California, जनवरी 1900 

अलामेडा, California, अप्रैल 1900 

अमेरिका के शिकागो में धार्मिक गुरुओं के साथ मौजूद स्वामी विवेकानंद, 1893

स्वामी विवेकानंद का मानना था कि आध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा. अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की कई शाखाएं स्थापित की. उनका विश्वास था कि हिंदुस्तान की भूमि धर्म एवं दर्शन की भूमि है. यहां बड़े-बड़े महात्माओं व ऋषियों का जन्म हुआ, यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है.

4 जुलाई 1902 को महज 39 साल की उम्र में उन्होंने शरीर त्याग दिया. उनका जीवन आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा.

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