हर बार स्वतंत्रता दिवस और गणंतत्र दिवस के अवसर पर आपने राष्ट्रपति के सुरक्षा कर्मियों को ज़रूर देखा होगा. सुर्ख लाल और काली ड्रेस में दिखने वाले इन सुरक्षाकर्मियों को प्रेज़िडेंट्स बॉडीगार्ड (पीजीबी) कहा जाता है. इनका इतिहास हमारी आज़ादी से दो सदी अधिक पुराना है.
245 वर्ष पुराना है पीजीबी का इतिहास
ये दस्ता भारतीय सेना की सबसे पुरानी टुकड़ी का ही बदला हुआ स्वरूप है. इसका गठन 1773 में बनारस में गर्वनर वॉरन हेंस्टिंग्स ने किया था. तब इसे द गार्ड ऑफ़ मुग़ल्स के नााम से जाना जाता था. 1784 में इसे ‘द गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड’ कहा जाने लगा और फिर 1944 इसका नाम बदलकर ‘44वें डिवीज़नल रिकोनिसेंस स्क्वाड्रन (जीजीबीजी)’ का नाम दे दिया गया.
आर्मी से ही किया जाता है इनका चयन
आज़ादी के बाद इसे ‘प्रेज़िडेंट्स बॉडीगार्ड्स (पीबीजी)’ का टाइटल दे दिया गया. वर्तमान में ये लगभग सैनिकों की एक छोटी यूनिट है, जो राष्ट्रपति सचिवालय के आधीन काम करती है. पीजीबी इन दिनों राष्ट्रपति भवन में रस्मी शिष्टाचार गतिविधियों को पूरा करती है. इनका चयन राष्ट्रपति सचिवालय इंडियन आर्मी के जवानों में से ही करता है. इसके बाद उन्हें आला दर्जे की ट्रेनिंग दी जाती है. इनमें से कई को पैरा मिल्ट्री फ़ोर्स और इंडियन एयर फ़ोर्स से सेलेक्ट किया जाता है.
जीते हैं कई युद्ध सम्मान
इस टुकड़ी का काम सिर्फ़ प्रेज़िडेंट की रक्षा करना नहीं है, इसने भारतीय सेना के लिए कई युद्ध सम्मान भी जीते हैं. 1811 में इन्हें पहले युद्ध सम्मान जावा से सम्मानित किया गया था. वहीं आज़ादी के बाद पीजीबी ने 1962 में भारत-चीन युद्ध और 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश की सेवा की थी.
पिछले 245 वर्षों से इस टुकड़ी ने सैदेव देश की सेवा की है और उसकी आन-बान-शान में चार चांद लगाए हैं. उनके इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.