ये हैं प्राचीन भारत के वो 8 विश्वविद्यालय, जिनकी वजह से भारत दुनियाभर में शिक्षा गुरू बना था

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प्राचीन काल से ही भारत शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है. उस दौर से ही हमारे देश में शिक्षा का काफी महत्व रहा है. प्राचीन काल से ही भारत के नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय विश्व विख्यात रहे हैं. इन विश्वविद्यालयों में भारत के ही नहीं, बल्कि देश विदेश के छात्र भी अध्ययन करने करने आया करते थे. 

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आइये प्राचीन भारत के ऐसे ही 8 प्रमुख विश्वविद्यालयों के बारे में जानते हैं- 

1- तक्षशिला विश्वविद्यालय

तक्षशिला प्राचीन भारत में गांधार देश की राजधानी और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था. तक्षशिला विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक था. उस दौर में विश्वविद्यालय हिन्दू एवं बौद्ध दोनों के लिये महत्व का केन्द्र हुआ करता था. कहा जाता है कि चाणक्य यहां पर आचार्य हुआ करते थे. 405 ईसवी में फ़ाह्यान यहां आया था. वर्तमान समय में तक्षशिला पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी ज़िले की एक तहसील व महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है, जो रावलपिंडी से लगभग 32 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है. 

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2- नालंदा विश्वविद्यालय

प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय 5वीं से लेकर 13 वीं सदी तक उच्च शिक्षा के लिए दुनिया का प्रमुख केन्द्र हुआ करता था. इस शिक्षा केन्द्र में बौद्ध धर्म के हीनयान महायान के साथ ही अन्य धर्मों व देशों के अनेकों छात्र पढ़ते थे. वर्तमान में बिहार के नालंदा ज़िले के राजगीर में स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी या नालंदा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी दुनियाभर में प्रसिद्ध है. 

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3- विक्रमशिला विश्वविद्यालय 

बिहार के भागलपुर ज़िले में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय एक ज़माने में भारत का प्रसिद्ध शिक्षा-केन्द्र हुआ करता था. इसकी स्थापना 8वीं शताब्दी में पाल राजा धर्मपाल ने की थी. प्रसिद्ध पण्डित अतीश दीपंकर ने यहीं से शिक्षा हासिल की थी. इस विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के तुरन्त बाद ही अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व प्राप्त कर लिया था. विक्रमशिला विश्वविद्यालय के प्रख्यात विद्वानों की एक लम्बी सूची है. 

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4- तेल्हाड़ा विश्वविद्यालय 

नालंदा ज़िले के तेल्हाड़ा में मिले तेल्हाड़ा विश्वविद्यालय के अवशेष से पता चला है कि ये नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय से भी 300 साल पुराना था. तेल्हाड़ा विश्वविद्यालय की स्थापना कुषाण काल जबकि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल में हुई थी. तेल्हाड़ा विश्वविद्यालय में देश विदेश के सैकड़ों छात्र महायान की पढ़ाई करते थे.

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5- वल्लभी विश्वविद्यालय

वल्लभी विश्वविद्यालय सौराष्ट्र (गुजरात) में स्थित था. प्राचीन काल में वल्लभी विश्वविद्यालय ज्ञान का महत्त्वपूर्ण केन्द्र हुआ करता था और उस दौर यहां कई मठ भी हुआ करते थे. 7वीं सदी के मध्य में यहां चीनी यात्री ह्वेन त्सांग और अन्त में आईचिन आए थे, जिन्होंने इसकी तुलना बिहार के प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय से की थी.  

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6- पुष्पगिरी विश्वविद्यालय

पुष्पगिरी विश्वविद्यालय वर्तमान भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित था. इसकी स्थापना तीसरी शताब्दी में कलिंग राजाओं ने की थी. अगले 800 साल तक यानी 11वीं शताब्दी तक ये विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए विश्व विख्यात रहा. इस विश्वविद्यालय का परिसर तीन पहाड़ों ललित गिरी, रत्न गिरी और उदयगिरी तक फैला हुआ था.  

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7- ओदंतपुर विश्वविद्यालय

ओदंतपुर प्राचीन काल में प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हुआ करता था. ओदंतपुर विश्वविद्यालय भी नालंदा और विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय की तरह विख्‍यात हुआ करता था. लेकिन ओदंतपुर विश्वविद्यालय आज भी धरती के गर्भ में दबा है, जिसके कारण बहुत ही कम लोग इस विश्‍वविद्यालय के इतिहास से परिचित हैं.

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8- शारदापीठ

724 ईसवी से लेकर 760 ईसवी तक ‘शारदापीठ’ देवी सरस्वती का प्राचीन मन्दिर हुआ करता था. कुषाण साम्राज्य के दौरान ये शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. वर्तमान में ये पाक अधिकृत कश्मीर में शारदा के निकट किशनगंगा नदी (नीलम नदी) के किनारे स्थित है. ये भारत-पाक नियन्त्रण-रेखा के निकट स्थित है.  

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ये 8 विश्वविद्यालय ही नहीं प्राचीन भारत में ऐसे ही कई और विश्वविद्यालय भी थे, जिनमें शिक्षा ग्रहण करने देश विदेश के छात्र आया करते थे. 

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