बचपन वाली होली याद है? सुबह-सुबह उठकर, पुराने कपड़े पहनकर, गुलाल और पिचकारी साथ लिए घर से निकल पड़ते थे.
फिर दोस्तों से मिलना, जो रंग से परहेज़ करे, उसे भी होली खेलने के लिए मनाना, दौड़ना-भागना और बीच-बीच में गुजिया, दही-वड़ा ब्रेक.
बड़े होने के बाद वो दिन किसी सपने से कम नहीं लगते. बचपन वाली होली मज़ेदार होती थी.
बचपन की यादों को ताज़ा करने के लिए इंटरनेट और कुछ साथियों की ज़िन्दगी से लेकर आए हैं कुछ तस्वीरें:
आप भी अपने बचपन की होली की तस्वीरें कमेंट बॉक्स में डाल सकते हैं.