बारिश… बूंदे…चारों तरफ़ हरियाली.
अगर बारिश में सड़कों, नालियों और कीचड़ को कुछ देर के लिए नज़रअंदाज़ कर दिया जाए तो बारिश का मौसम बेहद ख़ुशनुमा है.
हल्की सी सर्दी, गर्मी का कोई नाम-ओ-निशान नहीं, बाहर देखो तो लगता है मानो पेड़-पौधे ख़ुशी से झूम रहे हैं. गर्मा-गरम पकौड़े, अदरक-इलायची वाली चाय और खिड़की पर पड़ती बूंदों को देखना, इससे अच्छा क्या होगा भला?
बूंदों की साज़िश को और क़रीब से महसूस करवाती हैं बरसात पर लिखी गईं ये शायरियां-
क्यों? चढ़ने लगा न हल्का-हल्का सुरूर?