ज़िंदगी के कुछ पड़ाव वक़्त के साथ पीछे छूट जाते हैं. लेकिन ये पड़ाव हमें कुछ हसीन यादें दे जाते हैं. कॉलेज में बिताया गया वो टाइम भी उन्हीं में से एक है. तब नए दोस्त बनाना, उनके साथ वेल्लापंती, फ़ालतू सी चीज़ों पर बहस करना और लाइफ़ के हर पल को इंजॉय करना ही एक मकसद था. आज जब हम कॉर्पोरेट जगत की कभी न ख़त्म होने वाली रेस में भागे जा रहे हैं, तब अकसर हमें उन दिनों की याद सताती है.
अब समय का पहिया तो पीछे नहीं घुमाया जा सकता, लेकिन उन यादों को एक बार फिर से ताज़ा कर कुछ सुकून ज़रूर हासिल किया जा सकता है.
दफ़्तर के कुछ लोगों से ही हमने पूछ लिया कि वो अपने कॉलेज से जुड़ी किस चीज़ को सबसे ज़्यादा Miss करते हैं. उनके जवाब वापस उस दौर में ले गए:
मैगी
कैंटीन की वो मैगी जो ऑर्डर एक करता था, लेकिन शेयर पूरा ग्रुप करता था. हॉस्टल में देर रात जब भूख लगती थी, तब मैगी ने ही इसे शांत किया था.
बस पास
सिर्फ़ 25 रुपये में पूरे महीने के लिए मिलने वाला वो बस पास, जिससे संडे को पूरे शहर का दर्शन किया जाता था.
लेक्चर बंक करना
अपनी फ़ेवरेट मूवी का फ़र्स्ट डे फ़र्स्ट शो देखने के लिए मॉर्निंग लेक्चर बंक करना भला कौन भूल सकता है.
Fest
कल्चरल फे़स्टिवल मतलब नए फ्रेंड्स बनाना, कॉम्पिटिशन, म्यूज़िक और ढेर सारी मस्ती. 3-5 दिनों तक चलने वाले ये Festival प्रोफ़ेसर और उनके लेक्चर से राहत देने वाले होते थे.
कॉलेज की लाइब्रेरी
कॉलेज की वो लाइब्रेरी, जहां पढ़ाई कम अपने नेक्स्ट हैंगआउट का प्लान ज़्यादा बनता था.
Group Study
हर बार हॉस्टल में Group Study के नाम पर इकट्ठा होते थे, तब पढ़ाई कम मस्ती ज़्यादा करते थे.
चाय का अड्डा
ये कॉलेज की कैंटीन भी हो सकती है या फिर उसके बाहर कोई चाय की टपरी. वहां की चाय का अलग ही स्वाद था.
The Ad-Mad Show
एक ऐसा मंच जहां हर स्टूडेंट की क्रिएटिविटी और Stage Presence Skills से सबका सामना होता था.
पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ना
पढ़ाई करने का कोई दायरा नहीं था. यहां आप कभी किसी कोने में, तो कभी किसी पेड़ के नीचे बैठकर सुकून से पढ़ सकते थे.
लाइफ़ टाइम दोस्ती की शुरुआत
यहीं हमें कुछ ऐसे दोस्त मिले, जिनके साथ हमारी दोस्ती लाइफ़ टाइम तक कायम रही.
ग्रेड्स की परवाह न करना
यहां किसी को अपने ग्रेड्स की कोई परवाह नहीं थी. यहां बस पासिंग मार्क्स से Next Year में पहुंचने की खु़शी सभी मिलकर सेलिब्रेट करते थे.
कॉलेज का क्रश
कॉलेज में हर लड़का/ लड़की किसी न किसी पर ज़रूर फ़िदा होता था. ये दोस्त हमेशा कुछ न कुछ तरकीब निकाल ही लेते थे दोनों को मिलाने के लिए.
कॉलेज ट्रिप
दोस्तों के साथ किसी हिल स्टेशन या किसी कॉलेज ट्रिप के दौरान की गई मस्ती और शरारतें आज भी सभी को याद होंगी.
Exams
डेट शीट आते ही रट्टेमार कर किसी तरह Exams क्लीयर करना. उस वक़्त भले ही सिलेबस याद न हो, लेकिन ये ज़रूर याद रहता था कि कौन सा दोस्त कहां बैठा है.
कॉलेज के बाद टच में रहेंगे
हमेशा अपने दोस्तों से यही कहना, लेकिन करियर बनाने बहुत कम लोग ही अपने इस वादे को पूरा कर पाते हैं.
दोस्त का टिफ़िन
हर ग्रुप में ऐसा एक फ्रेंड ज़रूर होता था, जिसकी मम्मी इतना टेस्टी खाना बनाती थी कि सभी लोग उंगलियां चाटते रह जाते थे. कई बार उसे इस बात की भनक ही न लगती कि उसका टिफ़िन गोल हो चुका है.
7-8 घंटे की नींद
अाज की इस भाग-दौड़ भरी लाइफ़ में हम पूरी नींद ले ही नहीं पाते. ऐसे में हम कॉलेज के दिनों में उस 7-8 घंटे की नींद को याद कर आहें भरते रहते हैं.
कुछ बनने का सपना
कॉलेज के दिनों में हर किसा का एक सपना होता था, जिसे साकार करने के लिए वो बहुत एक्साइटेड रहता था. लेकिन करियर बनाने के चक्कर में वो सपना कहीं पीछे छूट जाता था, जिसकी याद रह-रह कर सताती रहती है.
Seniors and Juniors
कुछ सुपर सीनियर्स की सीख और कुछ जूनियर्स की सेंसलेस बातें.
Sports Day
Annual Sports Day पर अपने दोस्त के लिए जमकर सीटियां और तालियां बजाना.
अगर इसे पढ़ने के बाद आपको कॉलेज के दिनों की याद आग गई हो, तो इसे अपने दोस्तों से शेयर करना न भूलें