प्राकृतिक संसाधनों के खनन, ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु परिवर्तन से कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं. इनमें से एक है, विश्वव्यापी जलसंकट. भारत भी इससे अछूता नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक दिल्ली, बेंगलुरू समेत देश के 21 बड़े शहरों में अंडरग्राउंड वॉटर पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा.
कई प्रकृति प्रेमी पर्यावरण को बचाने में निरंतर लगे हुए हैं. अधिकतर लोग अपने आस-पास की इन समस्याओं को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं, पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अकेले ही कुछ कर दिखाने की ठानी है. किसी ने सालों तक पेड़ लगाकर अपने दम पर जंगल बना दिया, तो किसी ने अकेले ही मुंबई के बीच की सफ़ाई कर डाली.
ऐसे ही एक शख़्स हैं रामवीर तंवर. ग्रेटर नोएडा के एक गांव के रहने वाले रामवीर से झीलों की बदहाली देखी नहीं गई और उन्होंने अकेले ही झीलों की सफ़ाई का ज़िम्मा उठा लिया.
रामवीर के शब्दों में,
उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में दो शहर हैं, नोएडा और ग्रेटर नोएडा. नोएडा में 200 से ज़्यादा झीलें थी पर आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, एक भी नहीं बची है. ग्रेटर नोएडा की हालत थोड़ी बेहतर है, पर वहां की झीलें भी काफ़ी प्रदूषित हैं.
-रामवीर तंवर
नोएडा के झीलों को देखने के लिए कभी सैंकडों की तादाद में लोग आते थे पर अब वो झीलें कचरा डालने की जगह बनकर रह गई हैं. रामवीर के शब्दों में,
2017 में डाबरा गांव में मैंने एक झील साफ़ करने की कोशिश की. गांव के कई लोग मदद को आगे आए. हमने वन विभाग से झील के आस-पास लगाने के लिए पेड़ मांगे. अब वो पेड़ फल-फूल रहे हैं.
-रामवीर तंवर
अपने प्रकृति प्रेम के बारे में रामवीर ये कहते हैं,
बचपन में मैं अपने दोस्तों के साथ इन झीलों के आस-पास खेला करता था. बीतते वक़्त के साथ सारे जलाशय ग़ायब हो गए. जो बचे रह गए वो ख़ुद अपनी बदहाली की दास्तां कह रहे हैं. ग्राउंडवॉटर की क्वालिटी में भी काफ़ी गिरावट आई है.
-रामवीर तंवर
रामवीर ने बताया कि कॉलेज के समय से वे ‘जल चौपाल’ का आयोजन करते आए हैं. आज 50 गांवों में ‘जल चौपाल’ का आयोजन होता है.
रामवीर की कोशिशों और गांववालों की सहायता से आज नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कई झीलों की शक़्ल-ओ-सूरत बदली है. झीलों को दोबारा प्रदूषित होने से बचाने के लिए रामवीर की टीम एक दूसरा गड्ढा खोदती है, जिसमें Double Filtration System लगाया जाता है. गड्ढों और Filters को हफ़्ते में एक बार साफ़ किया जाता है.
रामवीर जो कर रहे हैं, वैसे कुछ आप भी अपने आस-पास शुरू कर सकते हैं. यक़ीन मानिए छोटी-छोटी कोशिशों से ही इस दुनिया की शक़्ल बदलेगी.
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