हम में से कई लोग ज़िन्दगी को मुश्किल बना लेते हैं. हर एक समस्या को अपने ऊपर इतना हावी होने देते हैं कि अपनेआप को अपने ही हाथों से दुखी कर लेते हैं. ज़िन्दगी इतनी ख़ूबसूरत है, हर पल ख़ुशी मिल सकती है पर नहीं, हम छोटी-छोटी समस्याओं को भी बड़ा बना लेते हैं और क़िस्मत या ऊपरवाले को कोसते रहते हैं.
मैंने ज़िन्दगी को कभी गंभीरता से नहीं लिया. गंभीरता के दूसरी छोर पर ही खड़ा रहा हूं मैं.
दादा जी ने आगे बताया कि वो बहुत मज़ाकिया क़िस्म के शख़्स हैं.
एक बार मैं अपनी बीवी के पास सेलिंग करके लौट रहा था और अचानक मेरे दिमाग़ में चोर बनने का ख़याल आया. मैं ज़ोर-ज़ोर से दरवाज़ा पीटने लगा, उसका रिज़ल्ट अच्छा नहीं हुआ. उसने पूरे मोहल्ले को इत्तिला कर दिया. मैं गिरफ़्तार होते-होते बचा
अपनी मस्खरी के क़िस्से जारी रखते हुए दादा जी ने अपने भाई के साथ किए प्रैंक के बारे में बताया.
मैं अपने भाई के साथ सफ़र कर रहा था और टिकट कलेक्टर आ गये. मैंने ऐसा दिखाया कि मैं अपने भाई को जानता नहीं और टीसी उसे अरेस्ट करने को कहा क्योंकि उसके पास टिकट नहीं था. मेरा भाई चौंक गया और जब उसे लेकर जाने ही वाले थे कि मैं ज़ोर से हंस पड़ा. मेरे भाई को मुझ पर ग़ुस्सा तो आया पर उसे आदत हो चुकी थी.
दादा जी अपने परिवार वालों के बीच भी अपने प्रैंक्स के लिए काफ़ी मशहूर थे. उनका कहना है कि हंसी-मज़ाक के बिना क्या है ज़िन्दगी?
मैं अभी भी खुलकर जीता हूं. 90 का हो गया हूं, 5 बजे उठता हूं, अपने और अपनी पत्नी के लिए नाश्ता बनाता हूं और फिर 7 बजे काम पर निकल जाता हूं. मैं एक रिपेयर शॉप पर काम करता हूं. काम के बाद मैं सैर पर जाता हूं या फिर पत्नी के साथ फ़िल्म देखने. विकेंड पर मैं बागवानी करता हूं या फिर घर में ही कुछ मरम्मत के लिए ढूंढता हूं. मैं खाली नहीं बैठ सकता.
लॉकडाउन में अपने आप को दादा जी WhatsApp के ज़रिए व्यस्त रख रहे हैं. दादा जी परिवार के लोगों पर ही Memes बनाते हैं और उन्हें Family WhatsApp Group पर डालते हैं.
मेरा Meme गेम बहुत सही है. मैं परिवार के लोगों के लिए Quiz और Puzzle भी रखता हूं. बताओ ये किस परिवार के सदस्य की करतूत है? कभी-कभी रात में तीन पत्ती भी रखता हूं. मेरे सारे प्रैंक्स ने मुझे ब्लफ़मास्टर बना दिया है. तो आप सोच सकते हैं कि ये गेम्स कितने मज़ेदार होंगे.
दादा जी का मानना है कि एडवेंचर, प्रैंक्स, मौज मस्ती, चॉकलेट, काजू कतली,चीज़, बियर वाले फ़्रिज से भरी होनी चाहिए ज़िन्दगी.
हम सोच-सोच कर ज़िन्दगी को कॉम्प्लिकेट कर लेते हैं, एक 90 साल के शख़्स जिसने ज़िन्दगी के सभी उतार-चढ़ाव देखे हैं से समझिए, कि ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव बने रहेंगे, तो चिल करिए और एक ठंडी बियर लीजिए जब तक ज़िन्दगी है
कहानी कैसी लगी कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताइए.