दृढ़ इच्छाशक्ति की मिसाल. इस जोड़े ने 46 हफ़्तों में मुंबई के माहिम बीच से हटाया 650 टन कूड़ा

Sanchita Pathak

हर इंसान अपनी ज़िन्दगी में अलग-अलग मुकाम लेकर आगे बढ़ता है. किसी को अपना घर बनाना होता है, तो किसी को बड़ा सा बैंक बैलेंस, तो किसी को पूरी दुनिया की सैर करनी होती है.

कम ही लोग होते हैं जो दूसरों के लिए या फिर समाज, देश और प्रकृति के लिए कुछ अलग कर गुज़रना चाहते हैं.

मिलिए मुंबई के इस कपल से

मायानगरी मुंबई अपने समुद्री तटों के लिए जानी जाती है. इंसानों की बढ़ती गतिविधियों के कारण यहां के समुद्री तटों की ख़ूबसूरती भी नष्ट होने लगी है. वर्सोवा समुद्री तट को साफ़ करने का बीड़ा उठाया था वक़ील अफ़्रोज़ शाह ने.

इसी तरह, सितंबर 2017 में इंद्रनील सेनगुप्ता और राबिया तिवारी ने भी माहिम समुद्री तट की सफ़ाई करने का निर्णय लिया. 2 लोग ऐसे लोग, जिन्हें समुद्री तटों की सफ़ाई और प्रकृति के दुश्मन प्लास्टिक के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी, उन्होंने सफ़ाई का बीड़ा उठाया.

पर कहते हैं न अगर सच्चे मन से चाहो तो कोई भी कुछ भी हासिल कर सकता है.

दस्ताने पहनकर और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ इंद्रनील और राबिया ने सफ़ाई शुरू कर दी. 2017 में दो लोगों द्वारा शुरू की गई इस मुहीम से आज कई लोग जुड़ चुके हैं और माहिम बीच से 650 टन प्लास्टिक हटाया जा चुका है.

यूं हुई सफ़ाई की शुरुआत

The Logical Indian ने इंद्रनील और राबिया से बात-चीत की. इस बातचीत में इंद्रनील ने बताया कि जुलाई 2017 में वो माहिम बीच के पास रहने आए. अपने घर से उन्हें Beach के बजाए सिर्फ़ कूड़ा और प्लास्टिक ही नज़र आता था. इंद्रनील ने बताया,

हमने BMC (Brihanmumbai Municipal Corporation) से भी मदद मांगी, पर कोई मदद नहीं मिली. जिन कॉन्ट्रेक्टर्स को बीच की सफ़ाई का काम सौंपा गया था वो अपना काम नहीं करते थे. और तब मैंने और मेरी पत्नी ने ये काम ख़ुद करने का निर्णय लिया.

अफ़्रोज़ शाह से प्रेरित होकर इस जोड़े ने अपार्टमेंट के दो अन्य लोगों के साथ मिलकर माहिम बीच की सफ़ाई का काम शुरू किया. तब से लेकर आज तक हर शनिवार और रविवार 8 से 10 इंद्रनील और राबिया कुछ अन्यVolunteers के साथ मिलकर बीच की सफ़ाई का काम कर रहे हैं.

आसान नहीं था माहिम बीच की सफ़ाई करना

अपने काम के बारे में इंद्रनील ने ये बताया,

ये थकाने वाला काम है, लेकिन मॉल या पब जाने के बजाए हम Weekend पर बीच की सफ़ाई का काम करते हैं.

इंद्रनील और राबिया को उम्मीद थी कि इस सफ़ाई अभियान से कई लोग जुड़ेंगे लेकिन अब तक सिर्फ़ 25-30 Volunteers ही आगे आए हैं.

सोशल मीडिया पर दिए संदेश

जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंच जाता है सोशल मीडिया

आज के ज़माने की ये कहावत इंद्रनील और राबिया के भी काम आई. WhatsApp, Facebook, Instagram पर ये दोनों लोगों से इस मुहीम से जुड़ने की अपील करते हैं. धीरे-धीरे बीएमसी वर्कर्स भी इनके साथ जुड़ने लगे हैं.

46 हफ़्तों की मेहनत रंग लाई

46 हफ़्तों पहले माहिम बीच पर कूड़ा और प्लास्टिक ही नज़र आते थे. अब इस बीच की सूरत ही बदल गई है. इंद्रनील और राबिया के लगातार प्रयासों से यहां की रेत फिर से दिखने लगी है. बीच को फिर से कूड़े का ढेर बनने से बचाने के लिए इन दोनों ने अपना सफ़ाई अभियान जारी रखा है.

बीच की सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी हैं तत्पर

माहिम बीच उतना पॉपुलर नहीं है, इसीलिए ये ड्रग एडिक्ट्स का अड्डा भी बन जाता है. इंद्रनील ने बताया,

मशहूर समुद्री तटों की तरह यहां स्ट्रीट लाइट्स नहीं हैं. इस कारण ये बीच असुरक्षित है. हमने लोकल पुलिस से यहां लाइटें लगवाने और पेट्रोलिंग करने का आग्रह किया है.

राबिया और इंद्रनील की तरही ही हम भी अपने आस-पास की सफ़ाई पर ध्यान दे सकते हैं. लेकिन हममें से कुछ लोगों को सफ़ाई करना तो दूर, कूड़ेदान में कचरा तक डालने में भी आलस आता है. 

आज भी कुछ लोग सड़क पर ही कूड़ा फेंकते हैं. ये लोग एक बार भी नहीं सोचते कि कचरे को सड़क पर फेंक कर वो किसी सफ़ाई कर्मचारी का काम बढ़ा रहे हैं.

Image Source- Facebook

आपको ये भी पसंद आएगा
बेवफ़ा समोसे वाला: प्यार में धोखा मिला तो खोल ली दुकान, धोखा खाये लवर्स को देता है डिस्काउंट
जानिये दिल्ली, नई दिल्ली और दिल्ली-NCR में क्या अंतर है, अधिकतर लोगों को ये नहीं मालूम होगा
जानिए भारत की ये 8 प्रमुख ख़ुफ़िया और सुरक्षा जांच एजेंसियां क्या काम और कैसे काम करती हैं
मिलिए गनौरी पासवान से, जिन्होंने छेनी व हथोड़े से 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां
ये IPS ऑफ़िसर बेड़िया जनजाति का शोषण देख ना पाए, देखिए अब कैसे संवार रहे हैं उन लोगों का जीवन
अजय बंगा से लेकर इंदिरा नूई तक, CEO भाई बहनों की वो जोड़ी जो IIM और IIT से पास-आउट हैं