डॉक्टर ने सिर्फ़ 1 साल और जीने का वक़्त दिया था, लेकिन पिछले 8 साल से मौत को मात देता आ रहा है ये शख़्स

Maahi

वो कहते हैं न, ‘किसी को खोने का असली एहसास, उसके जाने के बाद ही होता है’. ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है, ये हमें चुटकी में वो सब कुछ सिखा जाती है, जिसे हम उम्र भर नहीं भूलते.

thread

आज हम आपको कैंसर से जूझ रहे ओसामा सुलेमान के बारे में बताने जा रहे हैं. करीब 8 साल पहले सुलेमान को ब्रेन कैंसर हो गया था, 9 महीने ट्रीटमेंट के बाद डॉक्टरों ने कह दिया था कि उसके पास जीने के लिए सिर्फ़ 6 महीने या 1 साल ही बचा है. लेकिन डॉक्टर्स के कहे से उलट सुलेमान आज भी ज़िंदा हैं और ज़िन्दगी की क़ीमत बख़ूबी समझते हैं. अपने इस लेटर में उन्होंने ज़िन्दगी की क़िताब से कुछ पन्ने पढ़ कर सुनाने की कोशिश की है.

vietnamnet

‘आज 8 साल बाद भी मैं इस बीमारी से लड़ कर कैसे ज़िंदा हूं? यही बताने के लिए आप लोगों के बीच आया हूं. जब मुझे पता चला कि मेरे पास कम समय है, तो मैंने वो सभी काम किए, जो वो पहले से करता था, मैं ख़ुद को अपने काम में बिज़ी रखता था, घूमने जाता था. अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने लगा, दोस्तों के घर जाना और उनके साथ पार्टी करना. इस बीच मैंने वो सब किया, जो मैं पहले नहीं कर पाया था. इस दौरान मैंने अपनी बीमारी को भूल कर ज़िन्दगी जीना सीखा. मैं खुशियों को अपनी ज़िन्दगी में सबसे ज़्यादा महत्व देने लगा. इस बीच इस बीमारी ने मुझे कई बार तोड़ने की कोशिश भी की, लेकिन मैं डरा नहीं, बस मेरा लेफ़्ट साइड पैरालाईज़्ड हो गया है, इसके बाद भी मैं जी रहा हूं.

सुलेमान की ये कहानी कई लोगों को प्रेरणा देती है. उसने ज़िन्दगी की अहमियत को समझ कर किस तरह मौत को मात दी. क्योंकि जब इंसान मौत के करीब होता है, तभी उसे ज़िन्दगी का एहसास होता है. ऐसे समय इंसान अपनी ग़लतियों को सुधारना चाहता है, वो बस ज़िन्दगी को जीना चाहता है. जब इंसान इस धरती पर आता है तो वो साथ में अपनी मौत का समय भी लेकर आता है. लेकिन ज़िन्दगी को कैसे जीना है, ये इंसान के हाथ में होता है.

ज़िन्दगी को लेकर मुझे भी इस गाने को गुनगुनाने का मन कर रहा है..

हर घड़ी बदल रही है, रूप ज़िन्दगी

छांव हैं कभी, कभी है धूप ज़िन्दगी.

हर पल यहां जी भर जियो

जो है समां कल हो ना हो 

आपको ये भी पसंद आएगा
बेवफ़ा समोसे वाला: प्यार में धोखा मिला तो खोल ली दुकान, धोखा खाये लवर्स को देता है डिस्काउंट
जानिये दिल्ली, नई दिल्ली और दिल्ली-NCR में क्या अंतर है, अधिकतर लोगों को ये नहीं मालूम होगा
जानिए भारत की ये 8 प्रमुख ख़ुफ़िया और सुरक्षा जांच एजेंसियां क्या काम और कैसे काम करती हैं
मिलिए गनौरी पासवान से, जिन्होंने छेनी व हथोड़े से 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां
ये IPS ऑफ़िसर बेड़िया जनजाति का शोषण देख ना पाए, देखिए अब कैसे संवार रहे हैं उन लोगों का जीवन
अजय बंगा से लेकर इंदिरा नूई तक, CEO भाई बहनों की वो जोड़ी जो IIM और IIT से पास-आउट हैं