अनाथ बच्चों का पिता, बूढ़ी महिला का बेटा बन कर उनकी मदद करने वाला ये IAS ऑफ़िसर एक रियल हीरो है

Akanksha Tiwari

कई लोगों की पहचान उनके नेक कामों से होती है. ऐसे ही चंद दरियादिल इंसानों में फ़ैज़ाबाद ज़िले के ज़िलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार पाठक भी हैं, जो अपने मानवीय कार्यों को लेकर सभी के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. ये ऑफ़िसर ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहता है. पाठक अब तक कई सराहनीय काम कर चुके हैं, इनमें से कुछ काम प्रेरित करने वाले हैं. 

कुछ वक़्त पहले ज़िलाधिकारी ने एक बीमार और बूढ़ी महिला का सहारा बन उसका इलाज कराया, निस्वार्थभाव से उसकी सेवा की. यहीं नहीं, उसकी मौत के बाद बेटा बन कर उसका अंतिम संस्कार भी किया. इसके अलावा हाल ही में उन्होंने तीन बेसहारा बच्चों के लिए 5 लाख रुपये की सहायता राशि का बैंक में खाता खुलवाया. इन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है.

रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में रामपुर मया गांव के किसान महेन्द्र कुमार की तालाब में डूबने से मौत हो गई थी. महेंद्र की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी गायत्री देवी ने बीमा क्लेम किया, लेकिन जब तक गायत्री देवी को वो पैसे हासिल कर पाती उससे पहले ही एक सड़क दुर्घटना में वो चल बसी. इसी के साथ शिवा, शुभम और लक्ष्मी नामक उनके तीनों बच्चे अनाथ हो गए. ये तीनों मासूम अभी नाबालिग हैं.

ऑफ़िसर पाठक के अनुसार, मृतक किसान महेंद्र की बीमा धनराशि के 5 लाख रुपये मिलने पर, उन्होंने पटल सहायक के.के. श्रीवास्तव को ग्रामीण बैंक में तीनों बच्चों का खाता खुलवाने का अादेश दिया.

वहीं इसी साल जनवरी में डीएम ने एक 100 वर्षीय विधवा महिला रामापति को अपनाया और अपनी मां की तरह उनकी सेवा भी की. इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रामापति के गांव में एक घर भी बनवाया. यही नहीं, निकटम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर्स को रोज़ाना उनके चेकअप का निर्देश भी दिया.

Patrika
इस तरह लोगों की मदद करने का कारण बताते हुए पाठक कहते हैं, ‘ये सब करना मुझे अच्छा लगता है. मैं इसे अपना कर्तव्य मानता हूं और जब मैं किसी की सुविधाजनक ज़िंदगी का माध्यम बनता हूं, तो मुझे संतुष्टि मिलती है.’

दुनिया में अगर इंसान एक-दूसरे की मदद करने की ठान लें, तो शायद कोई बेसहारा नहीं रहेगा.

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