पुरुष टैक्सी चालकों के ताने सुने, घर-काम संभाला, हार नहीं मानी और आज वो एक सफ़ल टैक्सी चालक है

Sanchita Pathak

दुनिया में अक़सर कुछ ऐसे लोग मिल जाते हैं जिनके बारे में जानकर मन में आत्मविश्वास और प्रेरणा घर बना लेते हैं.


कहानियों के समंदर Humans of Bombay ने साझा की है एक ऐसी महिला टैक्सी-ड्राइवर की कहानी जिसे आप बार-बार पढ़ना चाहेंगे.   

उसके पिता की मृत्यु के बाद मां ने काम किया और घर संभाला. अपनी मां को मेहनत करते हुए देखते-देखते वो बड़ी हुई. मां को देखकर उसने अपने पैरों पर खड़े होने का निश्चय किया. शादी से पहले काम शुरू किया और शादी के बाद भी काम करना नहीं छोड़ा. 

फ़ुल-टाइम काम, मेरे बच्चों और घर को मैनेज करना मुश्किल था इसलिए में कोई भी काम उठा लेती. 
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एक दिन उसने अख़बार में पढ़ा कि महिलाओं को भी टैक्सी परमिट मिलती है. ये एक सुनहरा मौक़ा था. उसने ड्राइविंग टेस्ट पास किया और अपने पैसों से टैक्सी ख़रीदी. 

मेरे पति ने मेरा साथ दिया और कहा, ये टैक्सी तुम्हारे नाम पर है, तुम्हें इसे चलाना सिखना ही होगा.  

कुछ महीनों बाद शहर की असंख्य टैक्सियों में उसकी भी टैक्सी शामिल हो गई. 

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मुझे लोअर पारेल से वर्ली तक कि अपनी पहली ट्रिप याद है, दो महिलाएं. मैं नर्वस थी कि वो मेरे ड्राइविंग को जज करेंगी पर वे चौंक गई. उन्होंने कभी महिला टैक्सी-ड्राइवर नहीं देखी थी. उनमें से एक ने ट्रिप ख़त्म होने के बाद मुझे चॉकलेट दिया. 

सफ़लता के साथ-साथ समस्याएं भी बढ़ीं. यूनियन के कुछ पुरुषों ने हालात बिगाड़े और ऐसी व्यवस्था करी कि उसे पैसेंजर न मिले. उसकी टैक्सी के सामने पुरुष ड्राइवर टैक्सी रोकते और उसके ड्राइविंग स्किल पर सवाल उठाते. 

15 दिन ही हुए थे और मैं एक गड्ढे के पास से यू-टर्न लेने की कोशिश कर रही थी तभी उनमें से एक ने चिल्ला कर पूछा, अगर तुम बेसिक ही ठीक से नहीं कर पा रही तो गाड़ी कैसे चलाओगी? 
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इस उलाहने ने उसका आत्मविश्वास हिला दिया और वो घंटों रोईं. कहते हैं न दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं, दूसरे ड्राइवर ने उसका आत्मविश्वास बढ़ाया और उन लोगों को ग़लत साबित करने को कहा. चाहे वो परिवार हो, कोई अनजान हो उसे हर क़दम पर समर्थन करने वाले लोग भी मिले और इसी से उसे कभी न रुकने की प्रेरणा मिली. 

एक बार एक वृद्ध मेरी टैक्सी में बैठा और उसने कहा, मैंने अपने गांव में सुना था कि महिलाएं उन्नति कर रही हैं लेकिन आज मैंने पहली बार वो सामने से देखा. तुम्हें गाड़ी चलाते देखते हुए मुझे गर्व हो रहा है. ट्रिप ख़त्म होने के बाद उन्होंने मुझे 20 रुपये दिए! 
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एक पैसेंजर उससे इतनी प्रभावित हो गई कि उसका इंटरव्यू लिया, जिससे उसे अख़बार में जगह मिली और वो एक शो में भी आईं. 

एक बार एक महिला पुलिस मेरे साथ सेल्फ़ी लेने आई. उसकी बेटी ने उसे मेरे बारे में बताया था. मुझे बहुत ज़्यादा ख़ुशी हुई. 

उसे टैक्सी चलाते-चलाते 3 साल हो गए और टैक्सी ने ही उसे उसकी ज़िन्दगी की ड्राइवर सीट पर बैठाया, उसे दृढ़ और आत्मनिर्भर बनाया. 

इस सबकी शुरुआत का मज़ेदार क़िस्सा बताते हुए उसने कहा, 

ये सब एक डिबेट से शुरू हुआ. मैं और मेरे पति पुरुषों और महिलाओं के रोल्स पर चर्चा कर रहे थे. मैंने उनसे कहा कि एक महिला वो सब कर सकती है जो पुरुष करते हैं. हमारे बीच शर्त लगी और जीत मेरी ही हुई. 

ये कहानी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में बताइए. 

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