भारत में (Same Sex Love) प्रेम करने पर लगे पेहरे को 6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया. IPC की धारा 377 के मुताबिक, LGBTQ हमारे देश में ग़ैरक़ानूनी था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अनैतिक और अमानवीय बताते हुए हटाया.
भारत में सबसे पहले LGBTQ शादी का विज्ञापन 2015 में एक महिला ने दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पद्मा अय्यर ने अपने बेटे के लिए Mid Day में ये विज्ञापन डाला था.
Scroll की एक रिपोर्ट के अनुसार, DNA ने क़ानून का हवाला देकर पद्मा का विज्ञापन नहीं छापा. Hindustan Times और The Times of India ने भी मना कर दिया था.
The Times of India ने अपने 20 मई 2019 के अख़बार में एक ऐतिहासिक कदम उठाया. इस अख़बार ने बीते रविवार से अपने अख़बार के Classifieds (Ads वाला पन्ना) के दरवाज़े LGBTQ+ समुदाय के लोगों के लिए खोल दिए.
विज्ञापन में लिखा गया
ठीक इसी पंक्ति के ऊपर छापा गया
इसी के साथ अख़बार ने कुछ LGBTQ+ की Coming Out Story, Anniversary, किराए के घर के लिए विज्ञापन, नौकरी के लिए विज्ञापन आदि छापे.
TOI के डायरेक्टर संजीव भार्गव ने The Print को बताया,
LGBTQ समुदाय के लोगों से, Activists से हफ़्तों बातचीत करने के बाद ये कैंपेन शुरू किया गया.
-संजीव भार्गव
TOI जैसे अख़बार में अगर LGBTQ+ के बारे में विज्ञापन छपेंगे, तो ये न सिर्फ़ उनकी ज़िन्दगी आसान करेगा बल्कि आज भी Homosexuality/ समलैंगिकता को ‘गंदा’ समझने वालों के मन से ‘गंदगी’ को भी हटाएगा.