खेल रत्न सम्मानित मरियप्पन थंगावेलु कभी करते थे मज़दूरी, सपना पूरा करने के लिए की कड़ी मेहनत

J P Gupta

कहते हैं जिनके अंदर कुछ कर गुज़रने का जज़्बा होता है वो विपरीत परिस्तिथियों में भी हार नहीं मानते और आख़िरकार अपनी मंज़िल को पाकर ही दम लेते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है खेल रत्न से सम्मानित होने जा रहे पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता मरियप्पन थंगावेलु की. उन्होंने 5 साल की उम्र में अपने पैर खो दिए, मुश्किल की घड़ी में पिता छोड़ कर चले गए, घर और सपने को पूरा करने के लिए कभी अख़बार बेचना पड़ा तो कभी मज़दूरी करनी पड़ी.

मरियप्पन का जीवन काफ़ी चुनौती पूर्ण रहा है. लेकिन उन्होंने हमेशा अपने जीवन की सारी मुश्किलों का डटकर सामना किया और कभी हौसला नहीं छोड़ा. उनकी लगन और कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि उन्हें 29 अगस्त को राष्ट्रपति भवन में खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा.

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मरियप्पन जब भी अपनी पुरानी ज़िंदगी के बारे में सोचते हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि 5 साल कि उम्र में एक बस उनके सीधे पैर को कुचल कर चली गई थी. तब से ही वो दिव्यांग हैं. 

कभी करते थे मज़दूरी 

मरियप्पन कहते हैं- ‘2012-2015 तक 3 वर्षों तक परिवार को चलाने के लिए मैंने अपनी मां की मदद के लिए सबकुछ किया जो मैं कर सकता था. मैं सुबह को अख़बार बेचता था और दिन में निर्माण स्थलों पर दिहाड़ी मज़दूर. इस तरह मैं दिन के क़रीब 200 रुपये कमा लेता था. हमारे पिता बचपन में ही हमें छोड़ कर चले गए थे.’

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मरियप्पन तमिलनाडु के सेलम ज़िले के रहने वाले हैं. उनकी मां ने सब्ज़ी बेचकर उन्हें और अपने दो बच्चों को पढ़ाया है. मरियप्पन जब स्कूल में थे तब उन्होंने पैरालंपिक खेलों के बारे में सुना था.

कोच ने बदली क़िस्मत 

इसके बाद उन्होंने इन खेलों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. 2013 में कोच सत्य नारायण ने राष्ट्रीय पैराएथलेटिक्स चैंपियनशिप में उनकी प्रतिभा को पहचाना था, तब वो 18 साल के थे. इसके 2 साल बाद मरियप्पन बेंगलुरू आ गए. यहां उन्होंने ट्रेनिंग ली और 2016 में रियो में हुए पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लिया. यहां उन्होंने हाई जंप कैटेगरी में स्वर्ण पदक हासिल कर सबको हैरान कर दिया था.

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बेंगलुरू में टोक्यो पैरालंपिक की कर रहे हैं तैयारी 

इसके बाद इनाम में मिले कुछ पैसों से उन्होंने एक ज़मीन ख़रीद ली थी. इसके बाद उनके आर्थिक हालात कुछ सुधरे थे. 2018 में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर एशियन पैरा गेम्स में हाई जंप में रजत पदक जीता था. फ़िलहाल वो बेंगलुरू में रह कर Sports Authority Of India के सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे हैं. SAI ने उन्हें कोच की नौकरी भी दी है.

मरियप्पन का मकसद साल 2021 में होने वाले टोक्यो पैरालंपिक में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना गोल्ड हासिल करना है. उनका पिछला रिकॉर्ड 1.89 मीटर का है. पैरालंपिक्स में हाई जंप की कैटेगरी का वर्ल्ड रिकॉर्ड 1.96 मीटर का है.

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इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मरियप्पन को 2 मीटर का हाई जंप लगाना होगा. मरियप्पन कहते हैं- ‘मैं टोक्यो पैरालंपिक के लिए रोज़ाना दिन में दो बार प्रैक्टिस कर रहा हूं. मेरा लक्ष्य वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना है. मुझे लगता है कि मैं अपने लक्ष्य को ज़रूर हासिल कर पाऊंगा.’

हमें उम्मीद है कि वो अपने लक्ष्य को पाने में ज़रूर कामयाब होंगे.

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