हमारी फ़र्स्ट ऐड किट का परमानेंट रूममेट, ‘बरनॉल’ कब ट्रोल्स का हथियार बन गया, पता ही नहीं चला

Sanchita Pathak

हम सभी के घर में मौजूद फ़र्स्ट-ऐड डब्बे में कुछ दवाइयां काफ़ी कॉमन हैं. ये ऐसी दवाइयां हैं जो हर किसी के घर पर मिल जाएंगी. जैसे- पुदीन हरा, सोफ़्रामाइसीन, पैरासिटामोल और जल जाने पर इस्तेमाल किया जाने वाला, बरनॉल. 

Dr Morepen

बरनॉल कंपनी, ओनरेबल मेन्शन 

बरनॉल बनाते हैं Reckitt Benckiser. वही कंपनी जो Dettol, Lysol, Veet, Durex की निर्माता है. भारतीय घरों में बरनॉल पहुंचा 1960 के दशक में. चूल्हे, स्टोव या कोयले पर खाना बनता था और खाना बनाते हुए उंगलियां, हाथ अक्सर जल जाते थे. ऐसे मौकों पर बरनॉल बढ़िया काम करता था, जिस वजह से उसे पसंद किया गया.

‘हाथ जल गया, शुक्र है घर में बरनॉल है’ काफ़ी प्रसिद्ध पंच लाइन्स में से एक है.
इंटरनेट पर सर्च करने से पता चलता है कि बरनॉल को बतौर ऐंटीसेप्टिक क्रीम लॉन्च किया गया था पर ये जले पर लगाने वाली क्रीम बन गई. 

Snapdeal

एक रिपोर्ट के अनुसार 2001 में इसे Dr Morepen ने लगभग 9 करोड़ में ख़रीदा. 

एक विज्ञापन भी याद होगा जब छोटी बच्ची को खिलौना बताता है कि उसका हाथ जलेगा और मां बरनॉल के बारे में बताती है.   

पहले क्या होता था 

पहले हम एक-दूसरे को सच्ची में आग या भाप से जल जाने पर बरनॉल लगाने की हिदायत देते थे. फ़र्स्ट ऐड किट भी ये अभिन्न अंग था. ज़्यादातर लोगों को जले पर लगाने के लिए कोई और मलहम पता ही नहीं होगा. घरेलू इलाज अलग मैटर है, पर क्रीम में तो बरनॉल ही है. 

अब क्या होता है 

सोशल मीडिया जनता ने अब इसके दूसरे मायने बना दिए हैं. अगर कोई शख़्स किसी का विरोध करता है और अपना ओपिनियन रखता है, तो उसकी जलन को कम करने के लिए ‘बरनॉल लगा ले कह दिया जाता है’. या फिर उस मोमेंट को ‘बरनॉल मोमेंट’ क़रार दिया जाता है. 

कुछ इस तरह- 

सोशल मीडिया से लेकर आम बात-चीत तक 

चाहे वो ट्विटर हो, फ़ेसबुक हो या इंस्टाग्राम ‘बरनॉल लगा ले’ हर तरफ़, हर जगह, हर कहीं पे है. ट्रोल्स की ये भाषा अब आम बोल-चाल की भाषा बनती जा रही है. यार-दोस्त से लेकर व्हाट्सप्प पर फूफा-चाचा भी इस वाक्य का इस्तेमाल कर रहे हैं.

यही नहीं, राम जन्मभूमि पूजन, चुनाव के दौरान, या यूं ही ट्विटर पर बरनॉल ट्रेन्ड भी करने लगता है. यही नहीं ब्रैंड, कंपनी या किसी इंसान के नाम के आगे ‘Burnol for’ या ‘Burnol Moment for’ जोड़कर ट्रोल किया जाता है. 
राम जन्मभूमि पूजन के दौरान आज तक चैनल का एक फ़ेक स्क्रीनशॉट भी काफ़ी शेयर किया गया.  

ट्विटर पर @RiseOfBurnol नाम से एक ट्विटर अकाउंट भी है! 

बरनॉल को एड निकालने की ज़रूरत ही नहीं 

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बीते 5 सालों में बरनॉल को नया ऐड निकालने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी है! सोशल मीडिया ने इसकी सेल ख़ुद-ब-ख़ुद बढ़ा दी. एक रिपोर्ट के मुताबिक़, राम जन्मभूमि पूजन के दौरान गूगल पर बहुत से यूज़र्स ने बरनॉल सर्च किया था. लोग एक-दूसरे को चिढ़ाने के लिए एक क्रीम का नाम लेने लगे और इसने कंपनी को ग़ज़ब का फ़ायदा पहुंचाया. 

बरनॉल की सेल का एक और कारण ये भी है कि हल्का सा जलने पर लोग डॉक्टर के पास नहीं जाते और बरनॉल लगा लेते हैं. 70 के दशक में आया ‘शुक्र है बरनॉल है न’ भारतीयों के दिलों में बस गया और आज तक निकल नहीं पाया है.  

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