केरल के एक छोटे से गांव से शुरू होकर चंद्रयान-2 तक, कुछ ऐसी है ISRO की सफ़लता की कहानी

Maahi

भले ही चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर ‘विक्रम’ का इसरो से संपर्क टूट गया हो, लेकिन इसरो का चंद्रमा पर पहुंचने का हौसला नहीं टूटा. इस मिशन के साथ ही ISRO ने अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया है.  

financialexpress

आज ISRO पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है. इसका श्रेय विक्रम साराभाई को जाता है. उन्हें के नाम पर ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर का नाम ‘विक्रम’ रखा गया. विक्रम साराभाई की वजह से भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में इतनी तरक्की करके बड़े-बड़े अभियानों में सफ़लता प्राप्त की है. 

hinditechnoguru

आइए जानते हैं कौन थे विक्रम साराभाई? 

विक्रम साराभाई का जन्म अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को हुआ था. उनके पिता अंबालाल साराभाई गुजरात के एक संपन्न उद्योगपति थे. विक्रम साराभाई ने ‘केम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ के सेंट जॉन कॉलेज से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी. साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की थी. 

ndtv

कैसे हुई ISRO की स्थापना? 

साल 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कोशिशों के चलते ‘Indian National Committee for Space Research (INCOSPAR) की स्थापना हुई. जबकि 21 नवम्बर 1963 को केरल के थुम्बा में INCOSPAR ने अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया था. जिस जगह पर इस रॉकेट को लॉन्च किया गया वो एक चर्च के बिशप का घर था. 

thebetterindia

विक्रम साराभाई INCOSPAR के पहले चियरपर्सन भी थे. इसी दौरान उन्हें भारत में अंतरिक्ष विज्ञान की संभावनाओं को देखते हुए सरकार को मनाना पड़ा. साथ ही समझाना पड़ा कि भारत के लिए ISRO की स्थापना कितनी ज़रूरी है. इसके बाद विक्रम साराभाई के नेतृत्व में 15 अगस्त 1969 को ISRO की स्थापना हुई. 

thequint

ISRO के पहले रॉकेट को साइकिल के ज़रिए लॉन्चिंग पैड तक ले जाया गया था, अगले रॉकेट की लॉन्चिंग में बैलगाड़ी का भी इस्तेमाल हुआ था, और भी हैरान करने वाली बात ये है कि पहले रॉकेट के वक्त नारियल के पेड़ को लॉन्चिंग पैड बनाया गया था. 

thequint

भारत का पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ द्वारा छोड़ा गया था. भारत के पहले उपग्रह का नाम महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. इस उपग्रह ने 5 दिन बाद काम करना बन्द कर दिया था. लेकिन ये भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. 

pinterest

7 जून 1979 को भारत का दूसरा उपग्रह ‘भास्कर’ जो 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया. साल 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारत निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 था जिसे कक्षा में स्थापित किया गया. इसके बाद इसरो ने साल 1993 पीएसएलवी जबकि साल 2001 जीएसएलवी हैसे रॉकेट लॉन्चर विकसित किए. 

jagran

इसके बाद ISRO ने साल 1993 पीएसएलवी जबकि साल 2001 जीएसएलवी हैसे रॉकेट लॉन्चर विकसित किए. साल 1993 में PSLV ने 40 अलग-अलग देशों से 40 से ज़्यादा सैटेलाइट लॉन्च किए 

rochhak

साल 1983 में ISRO ने कम्युनिकेशन और ब्रॉडकास्ट के उद्देश्य से 9 सैटेलाइट लॉन्च किए. इसे INSAT के रूप में जाना जाता है. 

साल 2008 में ISRO ने 9 विदेशी सहित कुल 11 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया. इसके साथ ही भारत एक रॉकेट से दस उपग्रहों को प्रक्षेपित करने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बना. 

jagran

22 अक्टूबर 2008 को ISRO ने चांद पर ‘चंद्रयान’ भेजकर इतिहास रचा. इससे पहले ऐसा सिर्फ छह देश ही कर पाए थे.

24 सितम्बर 2014 को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला ‘मंगलयान’ (मंगल आर्बिटर मिशन) भेजा गया, जिसने सफ़लतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया. इसके साथ ही भारत अपने पहले ही प्रयास में सफ़ल होने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बना था.

thequint

15 फ़रवरी 2017 का दिन न सिर्फ़ ISRO, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आंख खोल देने वाला था. इस दिन भारत ने ‘PSLV C37′ का प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष में एक साथ 104 सेटेलाईट भेजे थे. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना था. 

साल 1972 में 100 मिलियन के वार्षिक बजट से शुरू होकर इसरो का वार्षिक बजट वर्तमान में 10,000 करोड़ को पार कर गया है. 

आपको ये भी पसंद आएगा
बेवफ़ा समोसे वाला: प्यार में धोखा मिला तो खोल ली दुकान, धोखा खाये लवर्स को देता है डिस्काउंट
जानिये दिल्ली, नई दिल्ली और दिल्ली-NCR में क्या अंतर है, अधिकतर लोगों को ये नहीं मालूम होगा
जानिए भारत की ये 8 प्रमुख ख़ुफ़िया और सुरक्षा जांच एजेंसियां क्या काम और कैसे काम करती हैं
मिलिए गनौरी पासवान से, जिन्होंने छेनी व हथोड़े से 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां
ये IPS ऑफ़िसर बेड़िया जनजाति का शोषण देख ना पाए, देखिए अब कैसे संवार रहे हैं उन लोगों का जीवन
अजय बंगा से लेकर इंदिरा नूई तक, CEO भाई बहनों की वो जोड़ी जो IIM और IIT से पास-आउट हैं