ये बात कोई छिपी हुई नहीं है कि भारत में भारी मात्रा में वोट जाति और धर्म के आधार पर दिए जाते हैं. ऐसे में शायद हो कोई यकीन करे कि जिस गांव में कुल 1650 वोटों में से मुसलमानों के वोट सिर्फ़ 60 हों वहां कोई मुसलमान व्यक्ति चुन कर आ जाए.
साल 2018 के नवंबर महीने में 45 वर्षीय मुहम्मद जियावुद्दीन अपने गांव Pudukottai में परिवार से वालों से मिलने आए थे. जियावुद्दीन पिछले दो दशक से साउदी अरब में काम कर रहे थे लेकिन उनके दिल में गांव बसता था.
तब गाजा चक्रवात की वजह से उनके और आस-पास के गांव बुरी तरह प्रभावित हुए थे. जियावुद्दीन ने नौकर छोड़ कर गांव वालों की मदद करने की ठानी. उनकी वजह से कई सिरों पर छत आए, कई तन ढके.
गांव के लोगों के मुहम्मद जियाउद्दीन द्वारा किए गए काम याद थे. उन्होंने इसका ईनाम अपना वोट देकर चुकाया. The News Minute के रिपोर्ट के अनुसार, पंचायत के चुनाव के लिए गांव में शंकर नाम का एक दूसरा उम्मीदवार भी खड़ा था. शंकर ने लोगों से धर्म के आधार पर वोट मांगा, यहां तक आरती की थाली पर लोगों से उसे वोट देने की प्रतिज्ञा भी दिलवाई.
गांव के एक किसान ने The News Minute से कहा, ‘जब हम गाजा चक्रवात से जूझ रहे थे, तब जियावुद्दीन हमारी मदद करने आया था. हमने MP-MLA के लिए वोट दिया था सब हिन्दू थे, उन्होंने हमे कपड़े का एक टुकड़ा तक नहीं दिया. जियावुद्दीन ने गांव में 15 घर बनवाए, किसे किस चीज़ की ज़रूरत है उसे उंगलियों पर याद था. उसने मदद करने से पहले हिन्दू-मुसलमान नहीं देखा तब हम वोट करने से पहले क्यों देखें… हम इस उदाहरण के साथ भारत का नेतृत्व करेंगे.
मुहम्मद जियाउद्दीन ने हिन्दू बहुल इलाके में ये चुनाव उस वक़्त जीता है जब पूरे देश में CAA-NRC के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हो रहा और केंद्र सराकर पर समाज को बांटने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
यही नहीं आस-पास के गांव में मुहम्मद जियाउद्दीन के ग्रुप के चार अन्य युवा ग्राम पंचायत के चुनाव में जीते. उनका मानना है कि उन्हें ये जीत महिलाओं और युवाओं के बदौलत मिली है, वो ज़्यादा से ज़्यादा काम इस वर्ग के लोगों की भलाई के लिए करेंगे.