वो 7 बातें जो IRCTC का सामना करने वाले हर लाचार-बेबस और मजबूर इंसान के दिमाग़ में ज़रूर आती होंगी

Maahi

फ़ेस्टिवल सीज़न आते ही हर कोई दो से तीन महीने पहले ट्रेन, बस और फ़्लाइट की टिकिट्स बुक करने में जुट जाता है. लंबी दूरी की यात्रा के लिए लोग आज भी ट्रेन को सबसे बेहतर साधन मानते हैं, लेकिन इस दौरान भारतीय रेल की टिकिट पाना जंग जीतने से कम नहीं है. हम अकसर देखते हैं कि चाहे फ़ेस्टिवल सीज़न हो या फिर कोई सामान्य दिन IRCTC की साईट आख़िरी मौक़े पर धोखा दे ही देती है.

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हम भारतीयों के मन में आज भी IRCTC की साईट से टिकिट्स बुक कराने को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं. आईये जानते हैं आख़िर ऐसे कौन से सवाल हैं, जो टिकिट बुक करने से पहले हमारे मन में आते हैं.

1- IRCTC पेज खुलता नहीं है

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जब भी घरवालों का कहीं जाने का प्लान बनता है, तो पापा सबसे पहले ट्रेन टिकट्स बुक करने का ऑर्डर दे डालते हैं. ऐसे में हमें IRCTC पर पूरा भरोसा होता है कि क्लिक करते ही साईट खुलेगी नहीं. टेक्नोलॉजी के इस दौर में भी आज अमूमन हर तीसरे-चौथे भारतीय के साथ ऐसा ही होता है.

2- कॉम्प्लीकेटेड आईडी-पासवर्ड

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ग़लती से IRCTC का पेज खुल भी गया तो जैसे ही आईडी-पासवर्ड डालते हैं, तो जवाब में रॉन्ग आईडी-पासवर्ड दिखता है. सही आईडी-पासवर्ड और कोड डालने के बावजूद पेज ओपन नहीं हो पाता. Capcha भी कुछ इस तरह का होता है कि उसको पढ़ पाना हर किसी के बस की बात नहीं है. आज तक ये समझ नहीं आया कि इसे इतना मुश्किल क्यों बनाया जाता है?

3- जो सीट चाहिए हो वो मिल नहीं पाती

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पहली बात तो ये कि जब भी ऑनलाइन टिकिट्स बुक करने की सोचते हैं टिकटें तीन-चार महीने पहले से ही बुक हो जाती हैं. मुश्किलों के बाद जो बची हुई टिकट्स मिलती हैं वो भी एक साथ मिल नहीं पाती. अगर परिवार के चार लोगों को एक साथ टिकट्स चाहिए भी हों तो मिल नहीं पाती. पिता को पहले डिब्बे तो बेटे को आठवें डिब्बे में मिलती हैं.

4- पेमेंट के वक़्त साइट का हैंग हो जाना

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ऐसा अकसर हर किसी के साथ होता होगा कि जब भी टिकिट्स बुक करने की सारी प्रोसेस पूरी हो जाती है और पेमेंट का वक़्त आता है ठीक उसी वक़्त हमारी परम पूज्यनीय IRCTC साइट हैंग हो जाती है. सबसे ज़्यादा गुस्सा तो उस वक़्त आता है जब पैसा कट जाने के बावजूद टिकिट्स बुक नहीं होती.

5- पेमेंट होने के बाद भी टिकट्स कन्फ़र्म न हो पाना

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फ़ेस्टिवल्स सीज़न में ट्रेन की टिकट्स मिल पाना समंदर में सिक्का ढूंढ़ने जैसा होता है. पेमेंट होने के बावजूद हमें यात्रा करने के समय तक टिकट्स के कन्फ़र्म होने का इंतज़ार करना पड़ता है. रेलवे की यही कमियां हमारा खून सुखा देती हैं.

6- तत्काल है या आपातकाल

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तत्काल नाम सुनते ही ऐसा लगता है जैसे 1 मिनट में टिकट आपके हाथ में होगी, लेकिन ये तत्काल किसी आपातकाल से कम नहीं है. पिछले कुछ सालों से रेलवे ने यात्रियों के लिए तत्काल की ऑनलाइन सुविधा भी दी हुई है. अब तक ये समझ नहीं आया कि ये सुविधा किन लोगों को दी जाती है? तत्काल टिकट्स के लिए जब भी सुबह IRCTC की साइट खोलकर बैठते हैं, तो 2 मिनट के अंदर सारी टिकिट्स बुक हो जाती हैं. टिकट सेलेक्ट करने और पेमेंट होने तक तो Time Out लिखा आ जाता है.

7- ऑनलाइन बेहतर या ऑफ़लाइन?

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टेक्नोलॉजी के इस दौर में लोग लंबी-लंबी लाइन से बचने के लिए ऑनलाइन टिकट्स बुक कराना बेहतर समझते हैं. इसके लिए भले ही उन्हें 100 से लेकर 200 रुपये एक्स्ट्रा ही क्यों न देना पड़े. लोगों को अब लाइन में लगना बिलकुल पसंद नहीं है, लेकिन ये बात भी सच है कि घूम फिरकर लोगों को लाइन में लगना ही पड़ता है.

अगर IRCTC की साइट को लेकर आपके मन में भी कोई विचार आता हो या फिर कोई Experience रहा हो तो हमारे साथ शेयर करें. 

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