अगर कोई चीज़ बार-बार सामने आये तो ये महज़ इत्तफ़ाक नहीं है. इसके पीछे है एक वैज्ञानिक कारण

Sanchita Pathak

अकसर जब हम कोई नया शब्द सिखते हैं, या कुछ नया देखते हैं तो वो किसी न किसी तरह से हमेशा हमारे सामने आता रहता है. मान लीजिये, अंग्रेज़ी का नया शब्द सीखा. कोई भी शब्द. इस नये शब्द को अब आप हर जगह देखेंगे. लोगों की गाड़ी पर, पोस्टर्स पर, टी.वी. पर. होता है ना ऐसा?

एक और उदाहरण देखिये, अगर आपने Shark पर कोई फ़िल्म देखी तो आपको ये Shark हर तरफ़ नज़र आएगी. ऐसा नहीं है कि इसमें कोई जादू हो, बल्कि ऐसा इसलिए होता है या हुआ क्योंकि वो फ़िल्म देखने के बाद हमारी Observation Power इतनी बढ़ जाती है कि जहां भी वो चीज़ है, हमारा दिमाग़ उसे ढूंढ लेता है.

Daniel Miessler

ये बहुत ही आम बात है और ऐसा हर इंसान के साथ होता है. इस Phenomenon को Baader-Meinhof या Frequency Illusion कहते हैं.

Baader Meinhof Phenomemon तब होता है जब दिमाग़ कुछ नया सीखता है. वो कुछ ऐसा सोचता है, ‘अरे ये तो नई चीज़ है, अब ये जहां दिखेगा मैं Notice करूंगा.’

हंसिये मत, असल में कुछ ऐसा ही होता है.

कुछ लोगों का मानना है कि इस Phenomenon का नाम Arnold Zwicky ने 2006 में रखा था. वहीं कुछ लोग ये भी मानते हैं कि ये 70 के दशक के एक आतंकवादी संगठन के नाम पर रखा है.

ज़्यादातर लोगों ने इस Phenomenon को कभी न कभी अपनी ज़िन्दगी में ज़रूर महसूस किया है. कुछ लोगों के साथ ये इतनी बार होता है कि वे इसे अजीब इत्तेफ़ाक है कह देते हैं. कुछ नंबर्स का बार-बार दिखना, किसी चीज़ को दोबारा देखना, एक ही व्यक्ति की शक्ल हर जगह दिखना इस Phenomenon का ही हिस्सा है.

In5d

वैज्ञानिक इस Phenomenon को Synchronicity से Similar बताते हैं. Synchronicity यानि कि अगर आप किसी के बारे में सोच रहे हैं और उसका फ़ोन या टेक्स्ट आ जाए. या फिर आप जैसे ही फ़ोन या घडी पर देखें, आपको 11:11 या 2:22 दिखे. 

वैज्ञानिक इस Phenomenon को Synchronicity से मिलता-जुलता बताते हैं. Synchronicity यानि कि अगर आप किसी के बारे में सोच रहे हैं और उसका फ़ोन या टेक्स्ट आ जाए. या फिर आप जैसे ही फ़ोन या घड़ी पर देखें, आपको 11:11 या 2:22 दिखे. 

Psychotherapist Jung ने Synchronicity या बार-बार एक ही घटना के घटने को Explain किया है. Synchronicity को कुछ लोग सिर्फ़ इत्तफ़ाक मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसे ऊपरवाले के इशारे की तरह भी देखते हैं. Einstein ने भी ऐसे इत्तफ़ाकों को ‘भगवान का अपनी मौजूदगी जताने का तरीका’ कहा था.

हर बात मात्र संयोग नहीं होती, कुछ घटनाओं के पीछे वैज्ञानिक कारण भी होते हैं.

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