जब दोनों का काम डिजिट्स को गिनना ही है, तो क्यों अलग है मोबाइल और कैलकुलेटर के कीपैड

Manish

कुछ बातों पर हम अपना दिमाग नहीं लगाते हैं. जो चल रहा होता है, उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ जाते हैं. थोड़ा बहुत कभी सोचते भी तो बस यही कि ये तो पहले से ही चला आ रहा है. ऐसी ही बातों में एक बात है कि क्या कभी आपने सोचा कि कैलकुलेटर और मोबाइल फ़ोन के कीपैड अलग-अलग क्यों होते हैं. जबकि काम दोनों का डिजिट्स को टाइप करना ही है. 

अंगद के पांव से भी भारी इस सवाल का ज़वाब हम समुद्र की गहराइयों से निकाल कर लाये हैं.

पुराने ज़माने की फिल्मों में आपने किडनैपर को अगवा किये शख्स के घरवालों से उंगलियां घुमाकर नंबर डायल करते हुए देखा होगा. उस दौर में तो फ़ोन को विलासिता की वस्तु की श्रेणी में रखा जाता था.

समय के साथ धीरे-धीरे तकनीक बदलती रही और उस डायल घुमाकर नंबर लगाने वाले फ़ोन से हम आज के टच स्क्रीन फ़ोन तक पहुंच गये.

अब वापिस आते हैं हमारे मुद्दे पर. दरअसल घुमाने वाले डायल के बाद सबसे पहले अंकों की थ्री-बाई-थ्री सीरीज का प्रयोग एडिंग मशीन में किया गया था. इस मशीन के कीपैड में 1 के अंक को लेफ्ट साइड में सबसे नीचे रखा गया था. उस दौर में लगभग सभी दफ्तरों में इसका प्रयोग किया जाता था. जनता-जनार्दन को भी इस कीपैड को यूज़ करने में कोई परेशानी महसूस नहीं हुई. इस वजह से बाकी मशीन, जिनमें डिजिट्स को टाइप करने की जरुरत होती, उनमें भी इसी कीपैड का यूज़ किया जाने लगा.

आगे चलकर जब मोबाइल टेक्नोलॉजी में क्रांतिकारी परिवर्तन आये, तो इंजीनियर्स ने इसके कीपैड पर भी काम करने के बारे में सोचा. उन्होंने कई तरह के कीपैड के डिज़ाइन पर रिसर्च की. जिसमें यह निकलकर सामने आया कि जिस कीपैड में 1, 2, 3 डिजिट सबसे ऊपर वाली लाइन में होते हैं, उस तरह के कीपैड यूज़ करने में लोगों को ज़्यादा सहूलियत होती है.

इसके अलावा इसकी वजह यह भी थी कि हम मोबाइल से फ़ोन करने के अलावा उससे Text लिखने का काम भी करते हैं. अंग्रेजी में अल्फाबेट A टू Z क्रम में होते हैं. जब ऊपर से लेफ्ट साइड में 1 से और A से कीपैड बनाते हैं तो वो ज़्यादा प्रैक्टिकल नज़र आता है.

इस वजह से मोबाइल के कीपैड में डायल घुमाने वाले फ़ोन से टच स्क्रीन फ़ोन तक आते-आते कीपैड में 1 अंक लेफ्ट साइड में ऊपर आ गया. वहीं दूसरी तरफ़ कैलकुलेटर में गणना करने के अलावा किसी दूसरे काम के लिए कीपैड की जरुरत नहीं पड़ी. इस वजह से इसमें कुछ ज़्यादा सुधार और रिसर्च नहीं की गई और इससे लोगों को भी कोई दिक्कत नहीं हुई.

अब आप समझ गये ना कि कैलकुलेटर और मोबाइल के कीपैड में फर्क क्यों होता है? अब तुरन्त प्रभाव से फुर्ती दिखाओ दोस्त,आर्टिकल को लाइक और शेयर कर डालो. 

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