हर चार साल में एक बार फ़रवरी का महीना 28 के बजाय 29 दिन का होता है. इस साल यानि 2020 में भी फ़रवरी का महीना 29 दिन का है. इसे ‘लीप ईयर’ कहते हैं. साथ ही लीप ईयर में कुल दिनों की संख्या 365 के बजाय 366 हो जाती है. परीक्षा में सवाल आते हैं तो दिमाग़ भंड हो जाता है. जिनका बर्थडे इस दिन होता है, उससे हम सिर्फ़ हमदर्दी जता सकते हैं क्योंकि उनका बर्थडे 4 साल में एक बार ही आता है. लेकिन बहुत लोग ये नहीं जान पाते हैं कि आख़िर इसके पीछे वजह क्या है?
दरअसल, एक कैलेंडर पृथ्वी के मौसम के अनुरूप होता है. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करने 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 46 सेकेण्ड का समय लगाती है. अब पृथ्वी द्वारा लगाए गए इस अतिरिक्त 5 घंटे 48 मिनट और 46 सेकेण्ड को चार बार जोड़ा जाए तो ये समय एक दिन के बराबर होता है. यही वजह है कि हर चार साल में कैलेंडर में एक एक्सट्रा दिन जोड़ना पड़ता है.
लीप ईयर न जोड़ा जाए तो?
लीप ईयर अगर नहीं जोड़ा जाए तो मौसम को महीनों से अनुरूप रखना बेहद मुश्किल होगा. इस दिन को शामिल न करने हम हर साल प्रकृति के कैलेंडर से क़रीब 6 घंटे आगे निकल जाएंगे. इस तरह 100 वर्ष बाद 25 दिन आगे हो जाएंगे और फिर मौसम परिवर्तन के बारे में ज़रा भी जानकारी नहीं रह जाएगी. इसलिए हर चार वर्ष बाद लीप वर्ष मनाया जाता है.
आख़िर किसने लगाया था इतना दिमाग़?
जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर की व्यवस्था जूलियस सीज़र ने 46 बीसी में की. उस समय कैलेंडर का अंतिम महीना फ़रवरी होता था. सबसे छोटा महीना होने के कारण एक्स्ट्रा दिन को फ़रवरी महीने में ही जोड़ दिया गया. मौसम को महीने से मिलाने का जूलियस सीज़र ने भरसक प्रयास किया. इसकी वजह से 46 बीसी में एक्स्ट्रा 90 दिन जोड़े गए, जिसके बाद इस साल में कुल 445 दिन हो गए. इसे सीज़र ने भी ‘भ्रम का अंतिम वर्ष’ कहा था.
वहीं, सीज़र के एक अधिकारी की ग़लती के कारण हर तीसरे साल में लीप ईयर मनाया जाने लगा. इसमें सुधार तब हुआ जब 36 साल बाद जूलियस की जगह सत्ता की क़मान उसके उत्तराधिकारी ऑगस्टस सीज़र के हाथ में आई. ऑगस्टस ने इस ग़लती को सुधारने के लिए आने वाले तीन लीप ईयर बिना एक्स्ट्रा दिन जोड़े गुज़र जाने दिये. फ़िर 8एडी से दोबारा प्रत्येक चार साल में एक एक्स्ट्रा दिन जोड़ा जाने लगा.
हालांकि, अभी भी इस व्यवस्था में कमी रह गई थी, जिसमें 1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने सुधार किया और ग्रेगोरियन कैलेंडर में उन्होंने बताया कि अगर हमे प्राकृतिक घड़ी के अनुसार चलना है, तो हर चार साल में एक दिन जोड़ा जाए लेकिन कुछ अपवादों के साथ. इसके पीछे ग्रेगरी ने ये गणित बताया कि अगर कोई साल 4 से विभाजित हो तो उसमें एक दिन एक्स्ट्रा होगा लेकिन अगर कोई साल 4 के साथ-साथ 100 से भी डिवाइड हो रहा, तब उसमें एक एक्सट्रा दिन नहीं जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही अगर कोई साल 4 और 100 के अलावा 400 से भी डिवाइड हो रहा है, तब हम उसमें एक एक्सट्रा दिन जोड़ेंगे.
ऐसा करने की वजह ये थी कि अगर हर चार साल में एक दिन जोड़ते तो हम सौ साल में काफ़ी दिन शामिल कर लेते. दरअसल, पृथ्वी का परिक्रमा काल 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 45 सेकंड है.
इस हिसाब से शताब्दी साल जैसे 1700, 1800, 1900, 2100 लीप ईयर नहीं माने जाएंगे. वहीं, 2020 2024 2028 2032 2036 2040 2044 2048 2052 2056 2060 2064 2068 2072 2076 2080 2084 2088 2092…. ‘लीप ईयर’ होंगे.