हम हर रोज़ न जाने कितने लोगों से मिलते हैं. कभी ट्रैवेलिंग के दौरान, तो कभी सोशल मीडिया के ज़रिए. ऐसे में लाज़मी है कि कई बार हम कुछ लोगों के प्रति आकर्षित भी हो जाते हैं. लोगों की तरफ़ आकर्षित होने का सीधा-साधा मतलब है कि आपको वो बेहद ही दिलचस्प व ख़ुश मिज़ाज शख़्स लगा.
किसी के प्रति आकर्षण आपको, उस इंसान की शख़्सियत या फिर उसके चेहरे से भी हो सकता है. अमूमन लोगों की तरफ़ हमारा आकर्षण सबसे पहले फ़िजिकल ही होता है क्योंकि यही चीज़ है जिसे हम सबसे पहले देखते हैं. इंसान का नाम जानने से भी पहले. किसी की शख़्सियत को लेकर हमारा आकर्षण अंत में आता है.
कई बार इसी आकर्षण को लोग प्यार का नाम दे बैठते हैं. ख़ैर, प्यार हो या आकर्षण दोनों ही मामलों में हमारा दिमाग़ कई मामलों में एक ही तरह से काम करता है.
जब हम किसी की तरफ़ आकर्षण महसूस करते हैं तो हमारे दिमाग़ के हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) हिस्से से डोपामिन (Dopamine) नाम के रसायन का रिसाव होता है. ये रसायन हमें उस ख़ास इंसान के पास होने पर अच्छा महसूस करवाता है. इस रसायन से हम उस इंसान के पास जाते ही एनर्जेटिक और ख़ुश हो जाते हैं. जबकि ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) की वजह से हम उसके साथ एक अलग जुड़ाव महसूस करते हैं.
कभी-कभी जब हम किसी से ज़्यादा आकर्षित होते हैं तो हमारे शरीर में सेरेटोनिन (Seretonin) नाम का एक अन्य रसायन का रिसाव कम हो जाता है जिसकी वजह से हमारे मूड में बदलाव होने लगते हैं.
अब आप ये भी सोचेंगें कि हम हर किसी की तरफ़ आकर्षित क्यों नहीं होते? लेकिन असल में साइंटिफ़िकली हम उन्हीं लोगों की तरफ़ आकर्षित होते हैं जिनसे हम लगातार मिलते हैं.
ख़ैर जो भी हो ये हम ही चुनते हैं कि हमें किसके साथ रहना है या नहीं. हम सबकी आकर्षण को लेकर व्यक्तिगत तौर पर अलग ‘केमिस्ट्री’ होती है.