गाने सुनते-सुनते कुभी-कभी क्यों आ जाते हैं Goosebumps, जान लो

Sanchita Pathak

फ़र्ज़ करिए, आप दिनभर के थके मांदे घर पहुंचे. आराम से बैठे हेडफ़ोन लगाकर कोई गाना लगाया, ऑटोप्ले में आपके कतई पसंदीदा गाने की धुन शुरू हुई और आपके शरीर में झुर-झुरी दौड़ गई. सारी थकान तो छू हो ही गई, पर गर्दन में ये सिहरन क्यों हुई? रोंगटे क्यों खड़े हो गये?


एक रिपोर्ट के मुताबिक़, वैज्ञानिकों के एक वर्ग ने इस Phenomenon को ‘Skin Orgasm’ नाम दिया है. फ़्रैंच में इस घटना को ‘Frisson’ कहते हैं. ‘Frisson’ यानी तापमान में बदलाव या किसी डर की वजह से नहीं बल्कि Aesthetics की वजह से Goosebumps आना.  

‘Frisson’ किसी गाने, चित्रकारी, फ़िल्म या किसी की ख़ूबसूरत या दुखद याद से हो सकती है. 

Reader’s Digest

गाने सुनकर क्यों होती है सिहरन? 


संगीत में आपकी पसंद/नापसंद आपकी पर्सनैलिटी के बारे में बहुत कुछ बताता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ़ 55% लोग म्यूज़िक की वजह से ‘Frisson’ अनुभव करते हैं. 

Social Cognitive and Affective Neuroscience जर्नल में छपी हार्वार्ड के शोधार्थियों ने ‘Frisson’ का अनुभव करने वाले 10 छात्रों और अनुभव ना करने वाले 10 छात्रों का ब्रेन स्कैन किया. इस स्टडी में पाया गया कि ‘Frisson’ का अनुभव करने वाले लोगों के ब्रैन में ज़्यादा स्ट्रॉन्ग इमोशन्स होते हैं. 

वैज्ञानिकों ने ‘Frisson’ का अनुभव करने वालों को नाम दिया ‘Chill Brains’ और न करने वालों को नाम दिया ‘No Chill Brains’. Chill Brains वालों का इमोशन्ल इंटेलिजेंस ज़्यादा स्ट्रॉन्ग होता है. 

OMG Facts

किस तरह के गानों से सिहरन हो सकती है? 


गाने का Genre मायने नहीं रखता. रॉक म्यूज़िक से लेकर क्लासिकल संगीत तक लोगों के रोंगटे खड़े कर सकता है. 

तो हेडफ़ोन लगाकर बैठिए और अपने दिमाग़ को सोचने दीजिए कि वो किस गाने से आपके शरीर में सिहरन पैदा करवाना चाहता है.  

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