’महिलायें ड्राइव नहीं कर सकती’ इस मानसिकता को तोड़ने के लिए एक इंजीनियर बनी Uber में कैब ड्राईवर

Rashi Sharma

जब बात आज़ादी, एडवेंचर, आत्मविश्वास और समाज की हो तो हमेशा अपने दिल की आवाज़ को सुनना चाहिए. और जब आप दिल की बात सुनते हैं, तो कई बार आपको कभी-कभी जोखिम उठाना ज़रूरी है. हमारे समाज में ज़्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनयर या फिर टीचर बनाना चाहते हैं. लेकिन ज़रूरी नहीं है कि बच्चे वही करें, जो उनके पेरेंट्स चाहें. कभी-कभी अपने दिल की भी सुननी चाहिए और उस प्रोफेशन को चुनना चाहिए, जो आप करना चाहते हैं. ऐसा ही कुछ किया एक 26 साल की लड़की ने. उसने इंजीनियरिंग को छोड़ कर कैब ड्राईवर की जॉब को चुना.

timesofindia

26 वर्षीय राजश्री राजेंद्र देशमुख, जो पुणे में एक इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं, ने हाल ही में कुछ ऐसा ही कर दिखाया. उन्होंने समाज में महिलाओं की भूमिका और उससे जुड़े रूढ़िवादी विचारों को तोड़ने का काम किया है.

आपको बता दें कि वर्तमान में राजश्री Uber कंपनी के साथ बतौर कैब ड्राइवर काम कर रही हैं. ऐसा करने के पीछे न ही उनकी कोई मजबूरी है और न ही कोई आर्थिक समस्या. ये उनकी खुद की च्वॉइस है. ऐसा करने के पीछे 26 वर्षीय राजश्री का एक ही कारण है कि वो इस पुरुषप्रधान समाज के लोगों की उस मानसिकता को तोड़ना चाहती हैं, जो ये सोचते है कि महिलायें गाड़ी ड्राइव नहीं कर सकती हैं.

राजश्री ने M. Tech किया है और वो एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, और वो नागपुर के बजाज कॉलेज में तीन साल तक लेक्चरर रह चुकी हैं. पर उन्होंने अपनी ये जॉब छोड़ दी और लोगों को आवास सम्बन्धी सर्विसेज़ देने का बिज़नेस शुरू किया.

indiatvnews

वो कहती हैं. ‘ड्राइविंग हमेशा से मेरा जुनून रहा है और मैंने ड्राइविंग तब सीखी थी जब मैं इंजीनियरिंग के दूसरे साल में थी.मैंने अपने बिज़नेस के पैसों से अपनी पहली कार खरीदी थी. इस बिज़नेस में मैं लोगों को इंडिया और दूसरे देशों में रहने की जगह दिलवाती थी. इस बिज़नेस के बाद मैंने अपनी हॉबी को अपना प्रोफ़ेशन बनाया.’ आज राजश्री हर महीने 61,000 रुपये से ज़्यादा कमा लेती हैं, जो कि बतौर लेक्चरर उनको मिलने वाली सैलरी से दोगुना है.

आज के युवा को ड्राइविंग के लिए प्रोत्साहित करते हुए वो कहती हैं, ‘मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है, जो दिन में जॉब करते हैं और रात में तीन या चार घंटे के लिए ड्राइविंग भी करते हैं. खासतौर पर अगर वो तीन-चार घंटे इवनिंग के हों, तो ज़्यादा लोगों को कैब की ज़रूरत होती है. मैं लड़कियों को इस काम के लिए प्रोत्साहि करना चाहूंगी कि वो ड्राइविंग को एक पार्टटाइम जॉब की तरह अपनाएं और साथ ही अधिक पैसे कमायें.जब मैं जॉब करती थी, तो मैं बिलकुल भी सेविंग नहीं कर पाती थी, इसलिए मैंने ड्राइविंग को पैसे कमाने का दूसरा जरिया बनाया.’

जब उनसे पूछा गया कि उनके इस फैसले पर उनके पेरेंट्स की क्या प्रतिक्रिया थी, तो उन्होंने बताया, ‘मेरे पेरेंट्स को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी. मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी और मुझे डिग्रियां मिल गयीं थीं. जो कि हर पेरेंट्स को अपने बच्चे से उम्मीद होती है कि उनका बच्चा अच्छे से अपनी पूरी पढ़ाई करे, वो मैंने कर लिया था. इसके अलावा, मैंने बाकी सबकी तरह ही अपने लिए एक सम्मानित नौकरी भी की. अब मैं ड्राइविंग कर रही हूं और मेरे पेरेंट्स ने मेरे इस डिसीज़न में मेरा पूरा साथ दिया है. मेरा और मेरे पेरेंट्स का मानना है कि ज्ञान कभी बर्बाद नहीं होता और हर फील्ड में आपको नई-नई चीज़ें सीखने को मिलती है और आपका ज्ञान और अधिक बढ़ता है. उन्होंने मेरे सपनों को पूरा करने में हमेशा मेरा साथ दिया है और जब मैंने गाड़ी चलाने का फैसला किया, तो इससे उन्होंने मुझे कम नहीं आंका और न ही महसूस होने दिया.’

राजश्री कहती हैं कि केवल महिलायें ही नहीं, बल्कि पुरुष यात्री भी उनको ड्राइविंग करते देखकर बेहद ख़ुश होते हैं.

पुरुष ड्राइवर्स जब मुझे ड्राइव करते हुए देखते हैं, तो वो मुझे घूरते हैं, इसके साथ ही वो ये सोच कर हैरान होते हैं कि किस कैब कंपनी ने महिला ड्राइवर्स को जॉब देनी शुरू कर दी है. उनके चेहरे पर एक विस्मयादिबोधक निशान (Exclamation Mark) होता है मुझे देखकर.

इसके साथ ही वो कहती हैं, ‘जब भी मैं कैब में डीज़ल भरवाने के लिए पेट्रोल पंप जाती हूं, तो वहां पर मौजूद वर्कर्स और एम्प्लोयी एक औरत को येलो कलर की नंबर प्लेट की गाड़ी की ड्राईवर वाली सीट पर बैठे देखकर बहुत ही गर्व करते हैं.’

उनको क्या परेशान करता है पूछने पर वो कहती हैं, मुझे ट्रैफिक या लोगों की घूरती हुई आंखें परेशान नहीं करती हैं, बल्कि मुझे तो लोगों की ये धारणा परेशान करती है कि महिलाएं ड्राइव नहीं कर सकती. मैं चाहती हूं कि महिला ड्राइवर्स पर बनने वाले जोक्स और नकारात्मक टिप्पणियां होनी रुक जायें.

कभी रास्ते पर ज़्यादा ज़ोर से ब्रेक लग जाए, तो सब कहते हैं कि चलाने वाली कोई लड़की ही होगी, ये जो कमेंट आता है वो मुझे परेशान कर देता है. बस उसे बदलके दिखाना है दुनिया को. मेरा लक्ष्य महिलाओं को प्रोत्साहित करना है और मैं ख़ुशी-ख़ुशी ये सब करूंगी, मुझे पता है कि मैं औरतों को प्रेरित कर सकती हूं.’

आपको ये भी पसंद आएगा
Success Story: बिहार की इस बिटिया ने 5 दिन में 5 सरकारी नौकरी हासिल कर रच दिया है इतिहास
पिता UPSC क्लियर नहीं कर पाए थे, बेटी ने सपना पूरा किया, पहले IPS फिर बनी IAS अधिकारी
मिलिए ओडिशा की मटिल्डा कुल्लू से, जो फ़ोर्ब्स मैग्ज़ीन में जगह पाने वाली एकमात्र भारतीय ‘आशा वर्कर’ हैं
पिता ठेले पर बेचते हैं समोसा-कचौड़ी, बेटी ने जीता ‘ब्यूटी कॉन्टेस्ट’, प्रेरणादायक है प्रज्ञा राज की कहानी
मिलिए नेपाल की प्रगति मल्ला से, जिन्हें मिल चुका है दुनिया की बेस्ट ‘हैंड राइटिंग’ का ख़िताब
बिहार के एक किसान की 7 बेटियों ने पुलिस ऑफ़िसर बनकर पेश की एक अनोखी मिसाल