500 की आबादी वाला ये गांव है दुनिया की सबसे ठंडी जगह. यहां पानी तो क्या, ज़िन्दगी भी जम जाए

Rashi Sharma

आज हम आपको दुनिया के सबसे ठंडी जगह की सैर कराएंगे. ये जगह है रूस के साइबेरिया में बर्फ की घाटी में बसा एक छोटा सा गांव और इस गांव का नाम है ‘ओइमाकॉन’ या Oymyakon. ये एक ऐसा गांव है जहां के स्टूडेंट्स तब तक स्कूल जा सकते हैं जब तक यहां का तापमान -52 डिग्री सेल्सियस (-62 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक नहीं पहूंचता. दूर-दराज़ के इस साइबेरियन गांव को स्थायी रूप से दुनिया का सबसे ठंडा और बसा हुआ गांव माना जाता है. और सर्दी के इस मौसम में हाल ही में यहां के तापमान में -62 डिग्री सेल्सियस (-80 डिग्री फॉरेस्ट) तक की गिरावट आई है. एक तरफ इस गांव के लोग इतनी सर्दी में भी गुज़र-बसर कर रहे हैं और यहां हम लोग ज़रा सी ठंड में ठिठुरे जा रहे हैं और तरह-तरह की शिकायतें कर रहे हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ओइमाकॉन गांव रूस की राजधानी मास्को से पूर्व की तरफ 3000 मील दूर स्थित है. बर्फ़ की चादर ओढ़े इस गांव में दूर-दूर तक कहीं हरा मैदान नहीं दिखता. अब आपको ये भी बता दें कि ओइमाकॉन का मतलब होता है, ऐसी जगह जहां पानी न जमता हो, मगर प्रकृति की लीला देखिये कि यहां पानी तो पानी, बल्कि आदमी भी जम जाए.

आमतौर पर जनवरी के महीने में यहां का औसत तापमान -50 डिग्री के आसपास रहता है. यहां पर सबसे कम तापमान -71.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. इसीलिए ओइमाकॉन को ‘Pole of Cold’ यानी ठंडा ध्रुव भी कहा जाता है. कभी-कभी यहां सूरज भी नज़र आता है लेकिन वो तब ही जब ठंड कम होती है, मगर सूरज की गर्मी लोगों को महसूस नहीं होती. यहां की ठंड का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि जब कोई सर्दियों में घर से बाहर निकलता है तो उसकी पलकें तक बर्फ से जम जाती हैं.

साल 1933 में ओइमाकॉन गांव में निम्नतम तापमान -67.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. 1933 में, गांव में -67.7 डिग्री सेल्सियस (-89.9 डिग्री फ़ारेनहाइट) का तापमान दर्ज किया गया, जो उत्तरी गोलार्ध में सबसे कम के तापमान के रूप में स्वीकार किया गया था. पिछले साल 22 दिसंबर को यहां का निम्नतम तापमान -58 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इस बार जब पूरी दुनिया में सर्दी का कहर है, तब यहां का तापमान इतना बढ़ गया है कि यहां के लोगों के पैरों के साथ-साथ उनकी पलकें भी जम गयीं हैं. यहां के आधिकारिक मौसम स्टेशन ने ‘Pole of Cold’ पर -59 डिग्री सेल्सियस (-74 डिग्री फ़ारेनहाइट) तापमान रजिस्टर किया है, लेकिन नए इलेक्ट्रॉनिक थर्मामीटर के अनुसार यहां का टेम्प्रेचर -62 डिग्री सेल्सियस (-80 डिग्री फ़ारेनहाइट) था.

आइमोकॉन का इतिहास भी अजीब है. 1920 और 1930 में ये इस जगह का इस्तेमाल फ़ौज और गडरियों के लिए कुछ वक्त ठहरने की जगह थी. बाद में सोवियत सरकार ने यहां के नोमैडिक लोगों को नियंत्रित करने में मुश्किल के मद्देनजर यहां आइमोकॉन में उन्हें हमेशा के लिए बसा दिया. तब से ऑइमोकॉन इंसानी बस्ती वाली दुनिया की सबसे ठंडी जगह बना हुआ है.

एक बार न्यूजीलैंड के फ़ोटोग्राफ़र Amos Chapple ने इस गांव का टूर किया था और यहां की तस्वीरें खींचने के साथ-साथ यहां से जुड़ी कुछ बातें शेयर कीं. उन्होंने बताया, लोग यहां उन चुनौतियों का सामना करते हैं, जो अन्य लोगों के लिए आसान नहीं हैं. यहां नलों से पानी लेने की सोच भी नहीं सकते. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि यहां पर किसी वाहन को चलाने से उसे पहले हीट वाले गैराज में रखना होता है. यहां इतनी सर्दी होती है कि उनके कैमरे का फ़ोकस भी नहीं बन रहा था, जूम की रिंग भी जम गई थी.

आइमोकॉन एक छोटा सा गांव है, और यहां की आबादी कुल 500 लोग की ही है. ये जगह इतनी ठंडी है कि यहां के लोग हर दिन ज़िन्दगी की जंग लड़ते हैं और छोटी-छोटी ज़रूरतों जो पानी के बिना अधूरी हैं उनकी उपलब्धता के लिए यहां की विषम परिस्थितियों से जूझते हैं. यहां देखते ही देखते पानी जम जाता है, चेहरा बर्फ से ढंक जाता है. पानी अगर हवा में उछालो तो नीचे आने से पहले वो जम जाता है. फिर भी यहां लोग बसे हुए हैं.

दुनिया के सबसे ठंडे गांव की कुछ और फ़ोटोज़:

Source: boredpanda

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