क्यों हर साल मनाली के ये दस गांव 42 दिनों के लिए हो जाते हैं साइलेंट? काफ़ी रोचक है इसकी वजह

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भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से भी मशहूर है. देवभूमि इसलिए क्योंकि पौराणिक काल में यहां देवता निवास किया करते थे. वैसे भी हिमालय क्षेत्र महाभारत और रामायण काल की कई लड़ाईयों का गवाह रहा है. यही कारण है कि आज भी इन पहाड़ी क्षेत्रों में कुलदेवता की पूजा की जाती है.

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हिमाचल प्रदेश के सबसे ख़ूबसूरत जगहों में से एक मनाली के 10 गांवों में आज भी कई तरह की मान्यताएं हैं. ऐसी ही एक मान्यता ये भी है कि इन 10 गांवों में मकर सक्रांति के बाद शोर करने की सख्त मनाही है. 14 जनवरी से लेकर 25 फ़रवरी तक कुल 42 दिनों के लिए यहां के निवासी गाने सुनना, टीवी देखना, यहां तक कि घर के वो काम करना भी बंद कर देते हैं जिनसे शोर होता है.

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गांव वालों का मानना है कि इससे ध्यान मग्न देवी-देवताओं को परेशानी होती है. अगर ऐसा होता है तो उन्हें भगवान के क्रोध का शिकार होना पड़ेगा. मकर सक्रांति के बाद देवी-देवता ध्यान मग्न होने के लिए स्वर्ग लौट जाते हैं. ऐसे समय में शोर करना उनका अपमान माना जाता है. इन गांवों में ये मान्यता आज से नहीं, बल्कि हज़ारों सालों से चली आ रही है.

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परंपराओं के अनुसार, मंदिर को बंद करने से पहले उसमें कीचड़ फैला दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि 42 दिनों बाद जब मंदिर दोबारा से खोला जाएगा और कीचड़ की सतह पर एक फूल खिला हुआ मिलेगा, तो ये गांव वालों के लिए समृद्धि का प्रतीक होगा. 

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मनाली से करीब 4 किमी की दूरी पर स्थित गोशाल गांव में गौतम ऋषि, वेद व्यास ऋषि और नाग देवता कंचन नाग का मंदिर है. मान्यता है कि इसी स्थान पर गौतम ऋषि ध्यान किया करते थे. ये मंदिर हर साल मकर संक्रांति के दिन से 42 दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है. और 42 दिन बाद देवी-देवता के लिए फिर से खोल दिया जाता है. 

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आईएएनएस से बातचीत में मंदिर के पुजारी हरि सिंह ने बताया, सक्रांति के दिन से ही सभी देवी-देवता स्वर्ग में लौट गए हैं और ध्यान मग्न हैं. 42 दिनों के बाद जब तक वो वापस नहीं आ जाते गांववालों को शोर करने की अनुमति नहीं दी जाती. अगर देवी-देवताओं के ध्यान में खलल पहुंचा तो इसे मनुष्यों और पशुओं के लिए अशुभ माना जाता है. 

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पर्यटन स्थल होने के बावजूद यहां के लोग 42 दिनों तक कोई भी ऐसा कार्य नहीं करते जिससे कोई शोर उत्पन्न हो. यहां तक कि पर्यटकों को भी शांत रहने के लिए कहा जाता है. 

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गोशाल गांव के जय राम ठाकुर का कहना है कि, इस दौरान हम गाने सुनना और टीवी देखना भी बंद कर देते हैं. मोबाइल भी हम साइलेंट मोड पर रखते हैं. हम बिल्कुल शांति बनाये रखने पर विशेष ध्यान देते हैं.

Source: indiatoday

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