कहानी जयपुर के उस फ़ेमस ‘महावीर रबड़ी भंडार’ की, जिसे 140 साल पहले एक पहलवान ने खोला था

Nripendra

140 Year Old Mahavir Rabri Bhandar: भारत का राजस्थान राज्य न सिर्फ़ अपने पराक्रमी राजा-महाराजाओं, क़िलों, महलों व लोक-कलाओं से लिए जाना जाता है, बल्कि यहां का खान-पान भी बहुत पसंद किया जाता है. वहीं, यहां आपको 100 साल पुरानी खाने-पीने की दुकानें भी मिल जाएंगी, जो अपने ज़ायके के लिये पर्यटकों के बीच काफ़ी फ़ेमस हैं. 

इस कड़ी में हम जयपुर के फ़ेमस ‘महावीर रबड़ी भंडार’ के बारे में आपको बताते हैं, जिसे कभी 140 साल पहले एक पहलवान ने खोला था और आज भी ये दुकान अपना ज़ायका लोगों को बांटने का काम कर रही है.

आइये, विस्तार से जानते हैं जयपुर के फ़ेमस महावीर रबड़ी भंडार के बारे में. 

‘महावीर रबड़ी भंडार’ 

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140 Year Old Mahavir Rabri Bhandar: हम जिस Mahaveer Rabri Bhandar की बात कर रहे हैं, वो जयपुर के विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक हवा महल के नज़दीक मिश्रा राजाजी की गली में मौजूद है. 140 साल पहले खुली एक छोटी-सी दुकान आज काफ़ी मशहूर है. ये दुकान कितनी फ़ेमस है, इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि शहर में आपको इस नाम के कई दुकान मिल जाएंगी. 

तीसरी-चौथी पीढ़ी मिलकर चला रही है दुकान

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जैसा कि हमने बताया कि ये दुकान 140 वर्ष पुरानी है और लगातार चलती आई है. आज महावीर रबड़ी भंडार को परिवार की तीसरी-चौथी पीढ़ी मिलकर चला रही है. यहां लाजवाब रबड़ी के साथ और भी कई तरह की खाने-पीने की चीज़ें मिल जाएंगी. 

कैसे हुई महावीर रबड़ी भंडार की शुरुआत

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140 Year Old Mahavir Rabri Bhandar: महावीर रबड़ी भंडार की शुरुआत की कहानी भी दिलचस्प है. दरअसल, इस दुकान की शुरुआत करने वाले एक पहलवान थे, जो एक अखाड़ा चलाया करते थे. लेकिन, इसके अलावा, कपूरचंद जी को स्वादिष्ट खाना खाने और लोगों के खिलाने का बड़ा शौक़ था. अपने इस शौक़ की वजह से ही उन्होंने ये दुकान खोली. सबसे पहले उन्होंने इस दुकान के ज़रिये दही और रबड़ी बेचना शुरू किया. 

पहलवानी छोड़ी दुकान के काम में ही लग गए 

दुकान चलाने के साथ-साथ वो पहलवानी भी कर रहे थे, लेकिन जैसे ही उनकी रबड़ी का स्वाद लोगों को पसंद आने लगा और दुकान में भीड़ लगने लगी, उन्होंने पहलवानी छोड़ दी और इस दुकान को ही आगे चलाने का फैसला कर लिया. 

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बाद में जोड़े गए अन्य राजस्थानी व्यंजन 

दुकान के संस्थापक कपूरचंद तो अब नहीं रहे, लेकिन ये दुकान अब भी चल रही है, जिसे कपूरचंद की पोती सीमा बड़जात्या, उनके पति अनिल बड़जात्या और उनकी बेटी अमृता जैन मिलकर संभाल रहे हैं. 

सीमा जब अपने इस फ़ैमिली बिज़नेस से जुड़ी, तो उन्होंने खाने के और आइटम जोड़ने का काम किया, जिसमें बेजड़ की रोटी, आलू-प्याज़ की सब्ज़ी, लहसुन की चटनी, मिर्ची के तकोरे और पारंपरिक रबड़ी के साथ एक थाली सर्व करना शुरू किया. 

वहीं, जब अमृता इस बिज़नेस से जुड़ी, तो उन्होंने मिठाई और अन्य राजस्थानी व्यंजनों को जोड़ने का काम किया. 

हर वर्ग का व्यक्ति पेट भर कर खा सकता है खाना 

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140 Year Old Mahavir Rabri Bhandar: महावीर रबड़ी भंडार में आपको 80 रुपए से लेकर 200 तक की खाने की थाली मिल जाएगी यानी हर वर्ग का व्यक्ति यहां आकर पेट भरकर खाना खा सकता है. यहां ग्राहकों की जबरदस्त भीड़ लगती है. इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां रोज़ 200 किलो सब्ज़ी तैयार होती है. 

तो दोस्तों, अब जब जयपुर जाएं, तो महावीर रबड़ी भंडार जाना न भूलें.  

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