15 बातें जो साबित करती हैं कि रतन टाटा न केवल बेहतर बिज़नेसमैन हैं, बल्कि एक अच्छे इंसान भी हैं

Kratika Nigam

Ratan Tata: Tata Sons और Tata Group के चेयरमैन रतन टाटा वो नाम हैं, जो सिर्फ़ एक बिज़नेसमैन नहीं, बल्कि आदर्श, प्रेरणास्रोत और नेक इंसान हैं. वो शख़्स जो अपने परिवार के साथ-साथ उस परिवार का भी ख़्याल रखते हैं, जो उनकी कंपनी में बना है. रतन टाटा 1990 से लेकर 2012 तक Tata Sons और Tata Group के चेयरमैन थे. रतन टाटा हर ज़रूरतमंद के लिए हमेशा बाहें फैलाकर आगे आते हैं. उन्होंने अपनी करियर जर्नी से करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है. और ये सब सिर्फ़ कहने की बातें नहीं हैं, बल्कि वो इतने बड़े बिज़नेसमैन होने के बावजूद भी ज़मीन से जुड़े हैं.

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इनके इस ज़मीनी जुड़ाव को इनकी ही ये बातें सिद्ध करती हैं, जिससे हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए. इसके अलावा, जो भी ज़िंदगी में कुछ बड़ा करने की चाह रखता है वो भी बिना अपने अंदर अहंकार को लाए तो रतन टाटा (Ratan Naval Tata) की ये 15 बातें ज़रूर जानना.

Ratan Tata

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1. Straydogs के प्रति प्यार

रतन टाटा को जानवरों के प्रति ख़ास लगाव है. इनमें से सबसे ज़्यादा स्ट्रे डॉग्स के प्रति. इन्होंने अपने Instagram पर भी एक फ़ोटो शेयर की थी जिसमें वो होमलेस डॉग्स के साथ बैठे हैं उन्हें प्यार कर रहे हैं. इसके चलते इन्होंने Tata Group of Bombay में Homeless Dogs के लिए एक Kennel Room बनाया है, जिसमें ये स्ट्रे डॉग्स रह सकते हैं. इसके अलावा, वो कई गैर सरकारी संगठनों और Animal Shelters को भी डोनेशन देते रहते हैं.

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2. COVID-19 के दौरान मदद के लिए आगे आए

कोविड-19 के दौरान हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए रतन टाटा ने PPE किट, Testing Kits, Respiratory Systems आदि के लिए 500 करोड़ रुपये देने का फ़ैसला किया था.

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3. कुपोषण (Malnutrition) की समस्या को सुधारने के लिए आगे आए रतन टाटा

2012 में एक इंटरव्यू के दौरान, रतन टाटा ने Malnutrition के मुद्दे और प्रेगनेंट महिलाओं को लेकर कही थी ये अहम बात,

मेरा सबसे पहला लक्ष्य ये है कि मुझे भारत में कुपोषित बच्चों और गर्भवती मांओं के पोषण के लिए बहुत कुछ करना है क्योंकि इससे आने वाले सालों में हमारी आबादी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में बदलाव आएगा.

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4. ख़राब आर्थिक स्थिति से गुज़र रहे स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए मदद की

आर्थिक तंगी से गुज़र रहे स्टडेंट्स को टाटा ट्रस्ट आर्थिक मदद और स्कॉलरशिप देता है. इसके अलावा, जो स्टूडेंट्स पढ़ाई के प्रति गंभीर होते हैं और इंटरनेशनल यूनिवर्सिटीज़ में एडमिशन लेना चाहते हैं उन्हें J.N. Tata Endowment, Sir Ratan Tata Scholarship और Tata Scholarship की ओर से मदद की जाती है. ट्रस्ट द्वारा कई स्कॉलरशिप दी गई हैं, जो छात्रों को उनके सपनों को पूरा करने में मदद कर रही हैं. रतन टाटा का उद्देश्य समाज को शिक्षित करना है, आज के युवाओं का सही मार्गदर्शन करना है न कि अपने पैसे से सिर्फ़ अपनी मदद करना है.

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5. Pandemic के दौरान अपने पूर्व कर्मचारी से मिलने गए थे

कोरोना महामारी के दौरान, 5 जनवरी 2021 को रतन टाटा मुंबई से पुणे से अपने एक पूर्व कर्मचारी से मिलने गए, जो पिछले 2 सालों से बीमार था. वाकई में वो जितने बड़े बिज़नेसमैन हैं उससे कहीं ज़्यादा बड़े और नेक इंसान हैं.

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6. 26/11 में हमले से प्रभावित हुए 80 कर्मचारियों के परिवार वालों से मिलने गए थे

26/11 के हमले के दौरान प्रभावित हुए परिवारों से रतन टाटा ने पर्सनली मुलाक़ात की और हमले से प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा, बच्चों की शिक्षा और जीवन भर चिकित्सा सुविधाएं देने का फ़ैसला किया. साथ ही, बिना राशि की परवाह किए सबके कर्ज़ भी माफ़ कर दिए गए. यहां तक कि एक वेंडर की 4 साल की पोती की दवा और इलाज करवाया जिसे घटना के दौरान 4 गोलियां लगी थीं. यहां तक ​​कि रेलवे कर्मचारियों, पुलिस कर्मचारियों और पैदल चलने वालों को भी मुआवज़े के रूप में मदद की गई, जिनका टाटा ग्रुप से कोई लेना-देना भी नहीं था.

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7. रतन टाटा अपने ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठते हैं

रतन टाटा आज कितने ही बड़े बिज़नेसमैन हैं, लेकिन वो उससे कहीं ज़्यादा विनम्र इंसान हैं. जब वो अकेले कहीं जाते हैं तो गाड़ी में अपने ड्राइवर की बगल वाली में सीट पर बैठते हैं न कि पीछे वाली सीट पर. और, जब ड्राइवर आस-पास नहीं होता है तो वो ख़ुद गाड़ी चलाना पसंद करते हैं.

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8. छोटे से बच्चे से मिलने के लिए वापस आए थे

रतन टाटा एक स्कूल के 25वीं वर्षगांठ समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर गए थे. जहां बच्चों ने अपने एक दोस्त को जो रतन टाटा से मिलना चाहता था उसे रतन टाटा के आगे धक्का दे दिया ताकि वो उन्हें पास से देख पाए, लेकिन टीचर्स ने बच्चों को किनारे कर दिया. रतन टाटा ने उनसे कहा कि वो उनसे बाद में मिलेंगे. कार्यक्रम पूरा होने के बाद वो उन बच्चों से मिलने गए और कहा, ‘मैंने तुमसे वादा किया था कि मैं वापस आऊंगा, है ना?’

9. जब उन्होंने मिडिल क्लास फ़ैमिली के लिए ‘नैनो’ कार बनाई

रतन टाटा चाहते थे कि हर घर में कार हो और उन्होंने सबके सपनों को पूरा करने के लिए टाटा नैनो लॉन्च की. नैनो को बाज़ार में लाने में उन्हें लगभग 6 साल लगे थे. नैनो के लॉन्च इवेंट पर रतन टाटा ने कहा,

मैंने अपना वादा निभाया है. वो सपना पूरा किया है और कम लागत वाली, हर मौसम की गाड़ी बनाई है, जिसे वो भी ख़रीद सकते हैं, जिनके पास ज़्यादा पैसे नहीं हैं. ज़्यादातर लोगों को लगा था कि ये नहीं हो सकता है, लेकिन हमने कर दिखाया. नैनो भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा है.

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10. जब उन्होंने इकोनॉमी क्लास की फ़्लाइट में ट्रेवल किया

22 जनवरी 2016 को एक व्यक्ति ने अपने Facebook पर अपनी और रतन टाटा की फ़्लाइट में एक तस्वीर पोस्ट की जो वायरल हो गई. लोग रतन टाटा की तारीफ़ करते नहीं थक रहे थे क्योंकि वो बिज़नेस क्लास ले सकते थे, लेकिन वो इकॉनमी क्लास में ट्रेवल कर रहे थे.

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11. जब उन्होंने सबसे असफल Idea को Reward किया

रतन टाटा ने टाटा समूह में एक Annual Contest की शुरुआत की, जिसे कंपनी में सबसे असफल विचार को पुरस्कृत करने के लिए शुरू किया गया. इसका उद्देश्य नए विचारों को बढ़ावा देना था, उन्होंने कहा,

नए विचारों को सपोर्ट करना और कपंनी को रिस्क से बचाना है. साथ ही पुरुस्कार देने का उद्देश्य ये है कि कोशिश करना और असफल होना कितना महत्वपूर्ण होता है. असफलता एक सोने की खान है.

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12. जब रतन टाटा ने पूरी टीम को Video Call पर बधाई दी

रतन टाटा ने यूथ टीम की एक बोर्ड बैठक आयोजित की, जिसमें उन्होंने हर तरह की नई साउंड और दृश्य उपकरण का इस्तेमाल किया. इस टीम बैठक में रतन टाटा भी थे. जब पूरा प्रोजक्ट ख़त्म हो गया तो आख़िर में उन्होंने पूरी टीम को वीडियो कॉल पर बधाई दी.

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13. जब रतन टाटा ने एक ड्राइवर को Wave किया

एक दिन एक बॉस ने अपने ड्राइवर से उसके दिन के बारे में पूछा तो उसने कहा कि उसने आज रतन टाटा को गाड़ी चलाते देखा. बॉस ने कहा, ‘इसमें इतनी बड़ी बात क्या है?’ उसने अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कराहट के साथ जवाब दिया, ‘मैंने उन्हें देखकर अपना हाथ उनकी तरफ़ हाय-हेलो के लिए उठाया तो दूर से उन्होंने भी जवाब देते हुए अपना हाथ मेरे लिए उठाया’.

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14. अपनी कंपनी में ही कर्मचारी के तौर पर काम किया

रतन टाटा का जन्म एक अमीर परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने 1971 तक टाटा स्टील, जमशेदपुर में एक ब्लू-कॉलर कार्यकर्ता के रूप में काम किया. न्यूयॉर्क में IBM के साथ काम करने से इनकार करने के बाद रतन टाटा ने टाटा स्टील में ज़मीनी स्तर पर काम किया, विस्फोट को संभाला, भट्ठी और फावड़ा चूना पत्थर में भी काम किया. अपने अच्छे सुझावों और निर्णय लेने के कौशल के साथ उन्होंने कंपनी के कई पहलुओं का प्रबंधन किया क्योंकि बुनियादी बातों को समझने के लिए उन्होंने अपनी ही कंपनी में कर्मचारी के तौर पर काम किया था.

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15. जब उन्होंने Ford से Jaguar Land Rover को Takeover किया

1998 में, Tata Indica के पहले साल में ख़राब प्रतिक्रिया के बाद, रतन टाटा ने अपने Passenger Car Business को Ford को बेचने का फ़ैसला किया, तब Ford के अध्यक्ष Bill Ford ने कहा,

अगर आपको कुछ पता नहीं है तो आपने पैसेंजर कार डिवीज़न की शुरुआत ही क्यों की. ये एक एहसान होगा अगर हम आपसे इस बिज़नेस को ख़रीदते हैं.

शर्मिंदगी के नौ साल बाद, जब Ford दिवालिया होने के कगार पर थी, Tata Group ने उनके लग्ज़री कार ब्रांड, Jaguar Land Rover को ख़रीदने की पेशकश की. Ford के चेयरमैन Bill Ford ने रतन टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा,

आप Jaguar Land Rover (JLR) को ख़रीदकर हम पर बड़ा उपकार कर रहे हैं.

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रतन टाटा से नौजवानों को सीख लेनी चाहिए, जो रातों-रात बड़ा आदमी बनना चाहते हैं. बिज़नेस करने के लिए रतन टाटा जैसा दिमाग़ और व्यक्तित्व चाहिए होता है.

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