मोती साबुन: 80s का वो मशहूर साबुन, जिसके आकर्षक डिज़ाइन व महक ने लोगों का बनाया था दीवाना

Maahi

80s Popular Moti Soap History: चलो उठो, दिवाली आ गई है, मोती स्नान का समय हो गया है. पिछले कुछ सालों से हम दीवाली के मौके पर मोती साबुन (Moti Soap) का एक ऐसा ही विज्ञापन देख रहे हैं. लेकिन 80 के दशक में मोती साबुन का नाम ही काफ़ी था. उस दौर में ये साबुन इस कदर मशहूर हुआ कि अपनी महक के चलते अमीरों की पहचान बन गया था. 80 के दशक के इस मशहूर साबुन का निर्माण Tata Oil Mills Company (TOMCO) ने किया था.

ये भी पढ़ें बॉलीवुड सेलेब्स के वो 15 विज्ञापन जिन्होंने 80s और 90s में खूब धमाल मचाया था

motisoap

दरअसल, भारतीय बाज़ार में 80 के दशक में अधिकतर साबुन ‘चौकोर आकार’ में आते थे, लेकिन ‘टॉमको’ ने इस परंपरा को तोड़ते हुए ‘गोल आकार’ के साबुन बनाने की शुरुआत की. ये ‘गोल आकार’ का साबुन ही मोती साबुन (Moti Soap) था. मार्किट में आते ही ये साबुन लोगों का ध्यान आकर्षित करने में क़ामयाब रहा और कुछ ही सालों में ये देश का नंबर वन साबुन बन गया. शुरुआती दौर में इसकी क़ीमत 25 रुपये के क़रीब थी, जो उस दौर में अन्य साबुनों की तुलना में बेहद महंगा था. कंपनी ने इसे लग्ज़री साबुन के तौर पर पेश किया था.

motisoap

अगर आप 80 के दशक से हैं तो आपने उस दौर के हर एक अख़बार, मैगज़ीन और पत्र-पत्रिकाओं में मोती साबुन (Moti Soap) के प्रिंट विज्ञापन ज़रूर देखे होंगे. अब ये साबुन दीपावली समेत कुछ ख़ास त्योहारों पर ही मिलता है, लेकिन शुरुआती दौर में ये हमेशा उपलब्ध रहता था. 90 के दशक में दूरदर्शन पर ‘मोती साबुन’ के विज्ञापन लोगों को काफ़ी पसंद आते थे.

सन 1993 में टॉमको (Tata Oil Mills) का हिंदुस्तान लीवर (Hindustan Unilever) में विलय हो गया था. विलय के बाद ही मोती साबुन ने अपनी चमक खोनी शुरू कर दी और हिंदुस्तान लीवर ने भी इस ब्रांड पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. 90s के आख़िर तक Mysore Sandal Soap, Handmade Soap और  Ayurvedic Soap की मौजूदगी के चलते Moti Soap की मार्किट क़रीब क़रीब ख़त्म हो चुकी थी. रही बची कसर 2000s में मार्केट में आई कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने पूरी कर दी.

motisoap

साल 2010 तक मोती साबुन (Moti Soap) का मार्केट सिमटकर केवल 20 पर्सेंट ही रह गया था. इसके बाद साल 2013 में हिंदुस्तान लीवर (Hindustan Unilever) ने नए विज्ञापनों के साथ मोती साबुन को नए रूप में पेश किया और ये साबुन एक बार फिर अपनी चंदन और गुलाब की ख़ूबसूरत महक से लोगों को मोहित करने लगा.  

पिछले क़रीब 30 सालों से हिंदुस्तान लीवर (Hindustan Unilever) कंपनी ही इस साबुन को बना रही है. भारत में आज भी कुछ लोग मोती साबुन (Moti Soap) इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि इससे उनके बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं. ये साबुन केवल 2 वैरिएंट गुलाब और चंदन में ही आता है. इसकी आपको छोटी और बड़ी दोनों ही पैकेजिंग मिल जाती है. आज 150 ग्राम वाले मोती साबुन (Moti Soap) की क़ीमत 60 रुपये है.

हिंदुस्तान लीवर (Hindustan Unilever) का दावा है कि ये साबुन आज भी पहले की तरह ही अपने गुणों के लिए मशहूर है. इस साबुन के इस्तेमाल से शरीर  लंबे समय तक तारोताज़ा बना रहता है और त्वचा पर भी झुर्रियां नहीं पड़ती हैं. ऑयली त्वचा के लिए भी ये साबुन बेहद गुणकारी है. ठंड के दिनों में इस साबुन का इस्तेमाल करने से त्वचा ड्राई नहीं पड़ती. इसके साथ ही पिंपल्स वाले चेहरे पर इस साबुन के इस्तेमाल से पिंपल घटाने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें: लक्स साबुन से लेकर घोड़ा बीड़ी तक, 80s और 90s के ये 20 विज्ञापन उस दौर की कहानी कह रहे हैं

आपको ये भी पसंद आएगा