1933 से है अजमेर में ‘भूतिया हलवाई’ की फ़ेमस दुकान, ‘भूतिया’ नाम के पीछे है दिलचस्प क़िस्सा

Nikita Panwar

Ajmer Bhutiya Halwai Interesting Story: अजमेर शहर (राजस्थान) के सुन्दर शहरों में से एक है. जो अपनी विरासत, तीर्थ स्थान और स्मारकों के लिए काफ़ी विख्यात है. इस शहर में दूर-दूर तक आपको ग़ुलाब के फ़ूलों की भीनी-भीनी सुगंध आएगी. क्योंकि यहां ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरग़ाह स्थित है. इस शहर में बॉलीवुड सितारों से लेकर राजनेता अपनी मुराद लेकर आते हैं. दरग़ाह के अलावा भी अजमेर शहर में काफ़ी कुछ दिलचस्प है. स्मारकों, मंदिर और मस्जिद के अलावा, यहां एक बहुत ही फ़ेमस मिठाई की दुकान है. इस दिलचस्प दुकान का नाम है “भूतिया हलवाई’. चलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम इस दुकान के पीछे की दिलचस्प कहानी पढ़ते हैं.

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चलिए जानते हैं ‘भूतिया हलवाई’ दुकान के पीछे की दिलचस्प कहानी-

ये दुकान अलवर गेट, नसीराबाद रोड पर स्थित है.

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अजमेर की फ़ेमस ‘भूतिया हलवाई’ की दुकान अलवर गेट, नसीराबाद रोड पर स्थित है. साथ ही ये दुकान ब्रिटिश शासन काल से चलती आ रही है. कहा जाता है कि, हर एक जगह के पीछे कोई इतिहास या कहानी होती है. एक कहानी इस दुकान की भी है. लोग कहते हैं कि दूध, दही, मिठाइयां और पकवान बनाने वाले इस दुकान के मालिक की क़िस्मत भी रातों-रात चमक गई थी.

1933 में अजमेर में स्थापना हुई थी.

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इस दुकान की स्थापना 1933 में हुई थी और साथ ही इस दुकान के मालिक का नाम लालजी मूलचंद गुप्ता था. जो मथुरा के मूल निवासी थे और अजमेर में आकर इन्होंने अपनी दुकान की स्थापना की थी. 1933 के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन था. साथ ही उस दौरान शाम 5 बजे के बाद सारे मार्केट और दुकानें बंद हो जाती थी.

कैसे हुई ये दुकान इतनी फ़ेमस.

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अलवर गेट के पास स्थित इस दुकान के पीछे रेलवे स्टेशन था. शाम के बाद इस जगह पर काफ़ी सन्नाटा हो जाता था. क्योंकि सब अपने-अपने घरों में रहते थे. अक़्सर किसी भी ख़ाली जगह को लोग ‘भूतिया’ कहना शुरू कर देते हैं. लेकिन दुकान के मालिक़ लालजी को इस बात से कुछ ख़ास फ़र्क नहीं पड़ा और वो सबके दुकान बंद करने के बाद भी अपनी दुकान को बंद करके अंदर मिठाइयां बनाया करते थे. जिसके बाद सुबह होते ही उनकी दुकान दूध, दही, रबड़ी और पकवानों से सजी रहती थी.

लेकिन लोगों को इस बात का ज़रा भी इल्म नहीं था. उन्हें लगता था कि, यहां रोज़ रात भूत आकर सारी मिठाइयां बनाकर कर जाता था. लालजी रोज़ बेख़ौफ़ होकर मिठाइयां बनाते रहे और उन मिठाइयों की बिक्री भी ज़बरदस्त होने लगी.

यही कारण था कि, इस दुकान को लोग ‘भूतिया’ बोलने लगे. आज इस दुकान की मिठाइयां लेने लोग दूर-दूर से आते हैं. साथ ही इस दुकान के गोंद के लड्डू भी काफ़ी मशहूर हैं. आज ये दुकान लालजी के पोते चलाते हैं. अगर आप इन मिठाइयों की डिलीवरी घर पर चाहते हैं, तो इसे ज़ोमैटो या स्विगी से भी ऑर्डर कर सकते हैं.

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