पानी या उसके आस-पास लोग छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सिंगापुर में 1988 में दुनिया का पहला तैरने वाला होटल बनाया गया था. इसका नाम है John Brewer Floating Hotel. कई सालों तक अलग-अलग देशों की सैर करने के बाद ये होटल फ़िलहाल उत्तर कोरिया में है, जिसे अब ढहाने यानी तोड़ने की तैयारी चल रही है.
आइए आज आपको इस ऐतिहासिक होटल से जुड़ी हर वो बात बताते हैं जो कभी सैंकड़ों लोगों की घूमने की पसंदीदा जगह था.
इस होटल को बनाने का आइडिया एक इटैलियन गोताखोर Doug Tarca का था. वो इटली से ऑस्ट्रेलिया गए और कई बिज़नेस कर ख़ूब पैसा कमाया. इसके बाद उन्होंने दुनिया के पहले तैरने वाले होटल का निर्माण शुरू किया. 1988 में ये होटल बनकर तैयार हुआ और उसी साल इसे लोगों के लिए खोल दिया गया.
इस होटल में क़रीब 356 लोगों के रहने की व्यवस्था थी
ये होटल 5 मंजिला था, जिसमें 200 कमरे, नाइट क्लब, बार, रेस्टोरेंट, टेबल टेनिस कोर्ट, हेलीपैड और 50 अंडरवाटर सीट्स थीं, जिनसे समुद्री दुनिया को देखा जा सकता था. इसमें 36 लग्ज़री सूइट्स भी थे. इस होटल में क़रीब 356 लोग रह सकते थे और उनकी सेवा में 98 कर्मचारियों को तैनात किया गया था. इसे ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ़ में तैनात किया गया था.
समुद्री चक्रवात की चपेट में आने से हुआ भारी नुकसान
मगर दुर्भाग्य से होटल समुद्री चक्रवात की चपेट में आ गया और इसे लाखों डॉलर का नुकसान हुआ. 1988-89 में इस होटल के मालिक को क़रीब 7.9 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था. इसके चलते उन्होंने इसे बेचने का फ़ैसला कर लिया. इसे एक जापानी कंपनी ने ख़रीद लिया और इसे वियतनाम के समुद्र में लोगों के लिए खोल दिया. यहां इसका नाम Saigon Floating Hotel रख दिया गया.
उत्तर कोरिया ने एक दुर्घटना के बाद कर दिया था इसे बंद
10 साल तक वियतनाम का फ़ेमस टूरिस्ट स्पॉट रहा. इसके बाद इसे उत्तर कोरिया की ने ख़रीद लिया. उन्होंने इसे दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की समुद्री सीमा में खड़ा कर दिया. ये कई सालों तक इन दोनों देशों के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा. साल 2008 में यहां एक दुर्घटना हुई. हुआ ये कि इस होटल में साउथ कोरिया के एक पर्यटक को उत्तर कोरिया के सैनिक ने गोली मार कर हत्या कर दी. इसके बाद इस होटल को बंद कर दिया गया.
किम जोंग उन को नहीं पसंद आया ये होटल
2018 में इसे फिर से खोलने का प्रयास किया गया. नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग उन ने तब इसका दौरा किया था. मगर उन्हें ये पसंद नहीं आया क्योंकि इसके आर्किटेक्चर में उनके देश की पारंपरिक वास्तुकला की कोई झलक नहीं थी.
इसलिए उन्होंने इसे नष्ट करने का आदेश दे दिया. क़रीब 3 दशकों तक लोगों की सेवा करने और 14,000 किलोमीटर का सफ़र तय करने के बाद अब ये अपने ख़ात्मे का इंतज़ार कर रहा है. जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इसे उत्तर कोरिया के कल्चर के हिसाब से फिर से बनाया जाएगा. अब इस ऐतिहासिक होटल का क्या होगा ये तो उत्तर कोरिया वाले ही बता सकते हैं.
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