कोलकाता की आलू बिरयानी में आलू क्यों डाला जाता है, इसके पीछे की कहानी है बेहद दिलचस्प

Maahi

बिरयानी का अपना एक अलग ही मज़ा है. साफ़ शब्दों में कहें तो सारे व्यंजन एक तरफ़ और बिरयानी एक तरफ. बिरयानी के दीवानों की बात ही निराली है क्योंकि इसकी तलब लोगों को एक शहर से दूसरे शहर तक खींच लाती है. चाहे हैदराबादी बिरयानी हो या फिर लखनवी बिरयानी इसके दीवाने आपको कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी हर जगह मिल जायेंगे.

theculturetri

हैदराबादी, लखनवी, मुरादाबादी, थालासरी, सिंधी, तेहारी, कल्यानी व बॉम्बे चिकन और मटन बिरयानी के बारे में तो आप सभी सुना ही होगा, लेकिन इन सब पर कोलकाता की आलू बिरयानी भारी पड़ती है. अब आप सोच रहे होंगे ये कौन सी बिरयानी है, जो इन सब पर भारी पड़ रही है?

theculturetrip

जी हां, इस आलू बिरयानी का मज़ा ही कुछ और है. कोलकाता शहर में बिरयानी बनाने का तरीका कुछ अलग ही है. यहां मीट या चिकन की जगह आलू की बिरयानी बनाई जाती है. जिस तरह हर नई चीज़ के अस्तित्व में आने के पीछे कोई न कोई कहानी होती है, ठीक उसी तरह कोलकाता की आलू बिरयानी बनने के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है.

theculturetrip

दरअसल, 13 मई, 1956 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह को उनकी रियासत से बेदख़ल कर दिया था. इसके बाद उन्हें कोलकाता से चार किलोमीटर दूर ‘गार्डन रीच’ नाम की जगह पर रहने के लिये जगह दी गई. इस दौरान वाजिद अली शाह के साथ लखनऊ से लगभग 7 हज़ार लोग भी यहां आये थे.

theculturetrip

अवध के नवाब जब कोलकाता आये तो अंग्रेज़ शासकों ने उनको सिर्फ़ एक लाख रुपये महीने की पेंशन मंज़ूरी दी. बड़ा लाव लश्कर होने की वजह से वाजिद अली शाह आर्थिक तंगी से जूझने लगे, इसका पहला असर पड़ा उनके खान–पान पर. इस कटौती से शुरू हुआ एक सिलसिला जिसे आज अवधी–बंगाली मुगलई विरासत कहा जाता है.

nyoooz

इस बीच नवाब साहब की इतनी हैसियत भी नहीं बची थी कि वो अपने लंबे चौड़े कुन्बे के लिये रोज़ाना इतने सारे गोश्त का इंतज़ाम कर सकें. तब नवाब साहब की ओर से बावर्चियों को हिदायत दी गयी कि वो ऐसा तरीका निकाले, जिससे कि बिरयानी में गोश्त कम लगे और उसका टेस्ट भी बना रहे.

theculturetrip

तद्पश्चात बावर्चियों ने बिरयानी बनाने के लिए गोश्त की जगह आलुओं का प्रयोग करना शुरू किया. बिरयानी में आलू डालने के लिए पहले पूरे आलू को छीला जाता था, फिर उसमें छेद किये जाते थे. उसके बाद इन्हें तेज़ गर्म घी में आधा मिनट तला जाता था. तले हुए आलुओं को उबलते हुये नमकीन पानी में तब तक पकाया जाता था, जब तक कि वो पूरी तरह से पक न जाएं. इसके बाद आलुओं को हल्का सुनहरा रंग देने के लिये उनके ऊपर केसर डाल दी जाती थी.

youtube.com

बस फिर क्या था, लोगों को ये आलू बिरयानी पसंद आने लगी और धीरे-धीरे ये लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई. और आज आलम ये है कि लोग इस बिरयानी के दीवाने हैं.

youtube.com

इस बिरयानी की सबसे ख़ास बात इसकी सामग्री और मसाले हैं, जो इस पकवान का स्‍वाद दोगुना कर देते हैं. इसमें इलायची, दालचीनी और लौंग का अलग-अलग फ़्लेवर देकर बिरयानी तैयार की जाती है. वहीं चावल में गुलाब जल और केसर का फ़्लेवर दिया जाता है. कोलकाता की आलू बिरयानी का स्‍वाद और रंग दोनों ही अनोखे हैं. कोलकाता में पार्क स्‍ट्रीट, सॉल्‍ट लेक और लेक गार्डन आदि जगहों की आलू बिरयानी बेहद फ़ेमस है.

अब जब कभी भी कोलकाता का ट्रिप लगे, तो ये आलू बिरयानी खाना न भूलें.

Source: food.ndtv

आपको ये भी पसंद आएगा
एम एस धोनी के सिग्नेचर के साथ मैन ऑफ़ प्लैटिनम ने लॉन्च किया ये यूनिक सिग्नेचर एडिशन ज्वेलरी कलेक्शन
लॉन्च हो गया है दुनिया का सबसे महंगा ‘लिफ़ाफ़ा’, क़ीमत जानकर ‘मिडिल क्लास’ लोग पकड़ लेंगे माथा
बिरयानी, रसगुल्ला या डोसा नहीं, इस साल लोगों ने Swiggy से सबसे ज़्यादा ऑर्डर की ये डिश
Old Monk: जानिए इस ‘देसी रम’ की बोतल पर किसकी तस्वीर छपी होती है, दिलचस्प है कहानी
ये है दुनिया की सबसे महंगी धूल, करोड़ों रुपये है क़ीमत, सिर्फ़ तीन देशों के पास है इसका स्टॉक
Magic Moments: यूपी में बनी इस देसी वोदका की आज दुनिया है दीवानी, बन चुकी है वर्ल्ड की बेस्ट वोदका