सूरज की हानिकारक किरणों से बचने के लिए हम सनस्क्रीन लगाते हैं. गर्मियों में लोग सनस्क्रीन को लगाए बिना बाहर ही नहीं निकलते. मगर सर्दियां आते ही वो अपनी इस आदत को भूल जाते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि सर्दियों में जब सूरज कम निकलता है तो हमें सनस्क्रीन(Sunscreen) लगाने की कोई ज़रूरत नहीं होती, लेकिन ये बहुत ही ग़लत धारणा है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन्हें सर्दियों में लगाना उतना ही ज़रूरी है जितना गर्मियों में. इसके बहुत से फ़ायदे होते हैं, चलिए इसी बात पर जानते हैं कि विंटर्स यानी सर्दियों में सनस्क्रीन लगाने के फ़ायदों के बारे में.
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कितनी सुरक्षित है Sunscreen(How Safe Is Sunscreen)
आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि सनस्क्रीन लगाना कितना सुरक्षित है. जानकारों का कहना है कि संतुलित मात्रा में सनस्क्रीन लगाना हमेशा सुरक्षित रहता है. ये हमारी त्वचा को सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाती है. आजकल मार्केट में जो सनस्क्रीन उपलब्ध हैं वो आसानी से पानी और साबुन के साथ त्वचा से साफ़ हो जाती हैं.
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बेस्ट सनस्क्रीन कैसे चुने?(How To Choose The Best Sunscreen)
बाज़ार में कई तरह की सनस्क्रीन उपलब्ध होती हैं. इनमें से कौन सी बेहतर होती है इसे लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं. त्वचा विशेषज्ञों के मुताबिक, सनस्क्रीन ख़रीदते समय स्किन प्रोटेक्शन फ़ैक्टर को ध्यान में रखना चाहिए. आमतौर पर 15 SPF वाली सनस्क्रीन आसानी से मिल जाती है, लेकिन एक्सपर्ट्स 30 या इससे अधिक SPF वाली क्रीम इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं.
सर्दियों में सनस्क्रीन लगाने के फ़ायदे(Benefits Of Wearing Sunscreen In Winter)
सर्दियों में भी हमें सनस्क्रीन लगानी चाहिए भले ही बाहर चिलचिलाती धूप हो न हो. सनस्क्रीन हमें UV किरणों, टैनिंग और सनबर्न से बचाता है. सर्दियों में इसे लगाने के बहुत से फ़ायदे हैं, चलिए जानते हैं इनके बारे में.
पतली ओज़ोन लेयर
सर्दियों के दौरान ओज़ोन लेयर बहुत पतली होती है. इसका मतलब है कि वो बहुत कम पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है. ये किरणें त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होती हैं. इससे झुर्रियां और समय से पहले बुढ़ापा नज़र आने का ख़तरा बढ़ जाता है. सनस्क्रीन लगाकर इससे बचा जा सकता है.
कैंसर का ख़तरा
सर्दियों में UV Rays के संपर्क में आने का ख़तरा बढ़ जाता है, जिससे त्वचा के कैंसर का भी ख़तरा बढ़ जाता है क्योंकि ये त्वचा की कोशिकाओं में DNA को नुकसान पहुंचा सकती हैं. सनस्क्रीन लगाने से त्वचा की कोशिकाओं को क्षति पहुंचने का ख़तरा कम हो जाता है.
नमी की कमी
सर्दियों में चलने वाली तेज़ हवाओं के कारण त्वचा की नमी कम हो जाती है और वो रूखी हो जाती है. इसके कारण त्वचा में झुर्रियां, उसके फटने और इंफ़ेक्शन होने का ख़तरा रहता है. सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर आप नमी को लॉक इन सभी परेशानियों से बच सकते हैं.
जलन और लालिमा
सर्दियों में त्वचा में जलन और स्किन के लाल होने की शिकायतें बढ़ जाती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्वचा नमी को बनाए रखने की क्षमता खो देती है. इस तरह वो नमी खो देती है और त्वचा रूखी हो जाती है. यही त्वचा में जलन और लालिमा का कारण होता है. इससे बचने के लिए Sunscreen का इस्तेमाल करना चाहिए.
घर में लगी लाइट्स
बाहर की ही नहीं अंदर की रोशनी से भी त्वचा ख़राब हो सकती है. इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से निकलने वाली नीली लाइट भी आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है. इसलिए उचित SPF वाली सनस्क्रीन लगानी ज़रूरी है जो आपको इससे सुरक्षित रखे.
समय से पहले बुढ़ापा आने के संकेत
अधिक समय तक त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाली लाइट के संपर्क में रहने से स्किन में free radical की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसके कारण शरीर में झुर्रियां पड़ने लगती हैं और आप समय से पहले बूढ़े दिखने लगते हैं. यही नहीं इससे आपकी स्किन भी पहले की तुलना में काफ़ी पतली हो जाती है. इसके चलते स्किन पर रिंकल्स और लाइन्स भी दिखाई देने लगती हैं. सनस्क्रीन के इस्तेमाल से आप समय से पहले बूढ़ा दिखाने वाले इन लक्षणों से छुटकारा पा सकते हैं.
Pigmentation
Pigmentation का मतलब त्वचा पर बनने वाले काले धब्बे हैं. ये Melanin के शरीर में अधिक मात्रा में बनने से बनते हैं. मेलेनिन सूर्य की किरणों, गंदगी और प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने से अधिक मात्रा में बनने लगता है. सनस्क्रीन का प्रयोग कर आप इस समस्या से बच सकते हैं.
सनस्क्रीन से जुड़े कुछ मिथक(Sunscreen Myths)
एक बार सनस्क्रीन लगाना काफ़ी है
ये ग़लत धारणा है. जैसे ही Sunscreen रोशनी के संपर्क में आती है तो उसका असर कुछ समय बाद कम होने लगता है. इसलिए अगर आप ज़्यादा समय तक बाहर रहें तो 2-3 घंटे के बाद उसे फिर से लगाएं.
सनस्क्रीन लगाने से त्वचा काली नहीं पड़ती
सनस्क्रीन आपको पराबैंगनी किरणों से बचाती है, मगर इसे लगाने से त्वचा काली नहीं पड़ेगी ये कहना ग़लत है. इसे लगाने बाद भी सूर्य की किरणें त्वचा तक पहुंच जाती हैं और वो उसके रंग को प्रभावित कर सकती हैं.
सनस्क्रीन कभी ख़राब नहीं होती
सनस्क्रीन कई सामग्रियों को मिलाकर बनती है. ये भी वक़्त के साथ ख़राब हो जाती हैं. इसलिए सनस्क्रीन की भी एक एक्सपायरी डेट होती है.
सारी सनस्क्रीन एक जैसी होती हैं.
सारी सनस्क्रीन एक जैसी नहीं होती. सभी में SPF की मात्रा अलग-अलग होती है. कई सनस्क्रीन में Titanium Dioxide, Zinc Oxide और Ecamsule जैसे पदार्थ भी होते हैं. इसलिए सभी एक जैसा मानना ग़लत है.
इसके इस्तेमाल से विटामिन D शरीर को नहीं मिलता
ये धारणा भी ग़लत है. सूर्य की किरणें बहुत तेज़ होती हैं. कपड़े और सनस्क्रीन लगाने के बावजूद वो त्वचा तक पहुंचने में सक्षम होती हैं. इसलिए शरीर को विटामिन D न मिलने का सवाल ही नहीं उठता.
अब से सर्दी हो या गर्मी हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना.