‘बीकानेरवाला’: मिठाई और नमकीन का वो ब्रांड जिसकी शुरुआत बाल्टी में रसगुल्ले बेचने से हुई थी

Akanksha Tiwari

कहते हैं हर बड़ी चीज़ की शुरुआत एक छोटे स्तर से की जाती है. इंसान की मेहनत और लगन उसे एक दिन बड़ा ब्रांड बना देती है. जैसे कि आज ‘बीकानेरवाला’ एक बड़ा ब्रांड बन चुका है. दुनियाभर में अपने टेस्टी फ़ूड आइटम्स के मशहूर ‘बीकानेरवाला’ की शुरुआत ‘लाला केदारनाथ अग्रवाल’ ने की थी. जिन्हें लोग प्यार से ‘काका जी’ कह कर भी बुलाते हैं.  सबने ‘काका जी’ की मिठाई और भुजिया तो ख़ूब खा ली, चलिये अब जानते हैं कि उन्होंने इतने बड़े ब्रांड की शुरुआत की कैसे? 

restaurantindia

ये भी पढ़ें: आज़ादी से पुराना है हल्दीराम का इतिहास, जानिये छोटी सी दुकान कैसे बनी नंबर-1 स्नैक्स कंपनी 

कभी बाल्टी में भरकर रसगुल्ले बेचते थे काका जी 

1955 की बात है. लाला केदारनाथ पैसे कमाने के लिये बड़े भाई के साथ बीकानेर से दिल्ली चले आये. दिल्ली में वो और उनके भाई संतलाल खेमका धर्मशाला में ठहरे हुए थे. यहां से दोनों भाईयों ने बाल्टी में रसगुल्ले भर कर बेचना शुरु किया. रसगुल्ले के साथ-साथ वो कागज़ की पुड़िया में बीकानेरी भुजिया भी बेचते थे. दिल्ली के लोगों को उनके रसगुल्ले और भुजिया का टेस्ट काफ़ी पसंद आया है. इसके बाद उनकी आमदनी भी बढ़ने लगी.

newjport

पराठे वाली गली में खोली दुकान

अग्रवाल भाईयों के पास इतने पैसे जमा हो गये थे कि वो एक दुकान किराये पर ले सकें. इसलिये उन्होंने परांठे वाली गली में एक छोटी सी दुकान किराये पर ले ली. दुकान में काम करने के लिये बीकानेर से कारीगरों को भी बुला लिया. दिल्लीवालों को काका जी का मूंगदाल हलवा ख़ूब पसंद आया और उनकी बिक्री बढ़ गई.  

yumcurry

इस दौरान उन्होंने मोती बाजार और चांदनी चौक में भी दुकान खोल ली. क़िस्मत देखिये इस बीच दीवाली भी थी. इसलिये लोगों ने दुकान से जमकर मिठाई और नमकीन ख़रीदी. आलम ये था कि रसगुल्ले ख़रीदने के लिये दुकान के बाहर लोग लंबी कतार लगा कर खड़े होते थे.  

ये भी पढ़ें: कैसे शराब की बोतल में बिकने वाला Rooh Afza बन गया भारतीयों की पहली पसंद 

marketingmind

‘बीकानेरवाला’ नाम कैसे पड़ा? 

शुरुआत में दुकान का नाम बीकानेरी भुजिया भंडार था. बाद में केदारनाथ अग्रवाल के बड़े भाई जुगल किशोर अग्रवाल के कहने पर इसका का नाम ‘बीकानेरवाला’ रखा गया. वो चाहते थे कि दुकान का नाम ऐसा हो, जिससे बीकानेर वालों का नाम रोशन हो. बस इसलिये सोच विचार के बाद इसका नाम ‘बीकानेरवाला’ पड़ गया. 

tripadvisor

एक वक़्त था जब केदारनाथ अग्रवाल ने 1956 में नई सड़क से रसगुल्ले बेचने की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. यही नहीं, कंपनी का सालाना टर्नओवर लगभग 1000 हज़ार करोड़ रुपये अधिक है. चलो इसी बात पर कुछ मीठा हो जाये? 

आपको ये भी पसंद आएगा
दिल्ली के AIIMS में अब मरीज़ों का इलाज़ हुआ हाई-टेक, AI और Robot से हो रही है जांच
Delhi Pollution Pics: देखिये गैस चैंबर बनी दिल्ली की Before vs After की डरावनी तस्वीरें
जानिए कौन हैं दिल्ली में सबसे महंगा बंगला ख़रीदने वाले भानु चोपड़ा, क़ीमत है 127 करोड़ रुपये
बाइक को ही बना लिया OYO Rooms… इन 6 Viral तस्वीरों में देखिए Couples की हरकतें
ये हैं दिल्ली की 8 सबसे अमीर महिलाएं, इनकी नेटवर्थ के आगे बड़े से बड़े अरबपति भी फ़ेल हैं
दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ी वो 10 हस्तियां, जिन्होंने बॉलीवुड में हासिल किया ऊंचा मुक़ाम